अटलांटिक को दादाजी की चुनौती
२७ मई २०१६अलेक्जांडर डोबा की उम्र 69 साल है. उनकी लंबी दाढ़ी पूरी तरह सफेद हो गई है. बाल भी पक चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद उनकी आंखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान दूर से दिखती है. पोलैंड के साहसी दादाजी डोबा पर्वतारोही, पैराशूट जम्पर, ग्लाइडर पायलट और यॉट स्किपर भी हैं. अकेले नाव पर दो बार अटलांटिक महासागर पार कर चुके डोबा अब सबसे दुश्वार यात्रा की तैयारी कर रहे हैं.
2015 में नेशनल जियोग्राफिक एंडवेंचरर चुने गए डोबा इस बार 6,000 किलोमीटर लंबी यात्रा करेंगे. इस बार वो अटलांटिक महासागर का सबसे कठिन रास्ता चुनेंगे. ऐसा रास्ता जिससे विमान और विशाल समुद्री जहाज भी बचने की कोशिश करते हैं. गर्मियों में उत्तरी अटलांटिक का यह इलाका तूफानों, बवंडरों और ताकतवर लहरों के लिए बदनाम रहता है.
दो बच्चों के दादा डोबा 29 मई को न्यूयॉर्क से अपनी कयाक (छोटी कश्ती) के साथ निकलेंगे. उम्मीद है कि 6,000 किलोमीटर चप्पू चलाने के बाद वह अगस्त या सितंबर में पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन पहुंचेंगे. पूरी यात्रा के दौरान वह ज्यादातर दिन रात 6 फुट लंबी कयाक पर बिताएंगे. कयाक में और उनके पीठ्ठू बैग में खाने पीने का सामान और इमरजेंसी किट होगा.
डोबा अब तक अकेले 96,000 किलोमीटर की समुद्री यात्रा कर चुके हैं. उन्हें उम्मीद है कि इसी साल वो 1,00,000 किलोमीटर पूरे कर लेंगे. डोबा ने पहली बार अक्टूबर 2010 से फरवरी 2011 के दौरान अटलांटिक पार किया. लेकिन तब उन्होंने अच्छे मौसम के दौरान सबसे छोटा रास्ता चुना था. ब्राजील से सेनेगल की ओर आते हुए समुद्री हवाएं और लहरें भी उनके अनुकूल थीं.
फिर अक्टूबर 2013 में वह लिस्बन से निकले और अप्रैल 2014 में अटलांटिक पार कर फ्लोरिडा पहुंचे. उस अनुभव के बारे में वह कहते हैं, "दर्जनों शार्क मछलियों ने मेरी टोह ली, एक तो मुझ पर हमला करने के लिए बिल्कुल तैयार थी, मैंने उसके सिर पर चप्पू से बहुत जोरदार वार किये, तब वह वहां से गई."
लेकिन इस बार कई प्राकृतिक ताकतें उनके खिलाफ होंगी. पर डोबा इससे ज्यादा चिंतित नहीं दिखते. पेरु में अमेजन नदी पर यात्रा करने के दौरान हुए अनुभव को याद करते हुए वह कहते हैं, "डाकुओं ने दो बार मुझ पर हमला किया और सब कुछ लूट लिया." डोबा को उम्मीद है कि अंटलांटिक पर ऐसा कुछ नहीं होगा. प्राकृतिक ताकतों का सामना वो अपने अनुभव और उस क्षण आने वाली सूझबूझ से कर सकते हैं.