अग्नि-5 जितने जरूरी हैं टॉयलेट
२५ जून २०१२रमेश ने कहा है कि वह रोजाना 18 घंटें टॉयलटों के बारे में सोचने पर बिताते हैं, "यह अग्नि मिसाइल के लॉन्च से ज्यादा जरूरी है. अगर शौचालय ही नहीं हैं तो अग्नि का कोई काम नहीं." रमेश ने यह भी कहा कि महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देते हुए इन शौचालयों को 'बापू' कहा जा सकता है. रमेश के मुताबिक अग्नि ने देश की सुरक्षा के लिए जो किया है, शौचालय गावों की साफ सफाई के लिए वैसे ही महत्वपूर्ण साबित होंगे.
ग्रामीण विकास मंत्री ओडिशा के धामरा में ईको टॉयलट का उद्घाटन कर रहे थे. यह ओडिशा के व्हीलर द्वीप से 15 किलोमीटर की दूरी पर है जहां से अग्नि-5 का परीक्षण किया गया था. यह इको टॉयलेट भारत रक्षा एंव अनुसंधान संस्थान (डीआरडीओ) ने विकसित किए हैं और इनमें बायो डाइजेस्टर तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. सियाचिन में तैनात सैनिकों को इन शौचालयों से काफी मदद मिली है.
रमेश ने बताया कि ग्रीन टॉयलेट प्रॉजेक्ट नाम के अभियान को ओडिशा की 1,000 पंचायतों में लागू किया जाएगा. उनका मानना है कि ग्रामीण इलाकों में सफाई से लोगों की सेहत बेहतर होगी. इस तरह के शौचालय को हर जगह इस्तेमाल किया जा सकता है. इस टॉयलेट के जरिए मल में मौजूद बैक्टीरिया गंदगी को मीथेन गैस और पानी में बदल देता है.
इन शौचालयों से मल निकास साफ और बिना बदबू के होता है और इनका इस्तेमाल पौधों को पानी और खाद देने के लिए किया जा सकता है. डीआरडीओ के डब्ल्यू सेल्वामूर्ति के मुताबिक इससे पानी के प्रदूषण और गंदगी से फैलने वाली बीमारियों को कम किया जा सकेगा. सेल्वामूर्ति कहते हैं कि एक वैश्विक परेशानी के लिए यह भारत का सुझाव है. यह फ्लश से चलने वाली टॉयलेटों से भी अच्छा विकल्प है. इससे सीवेज और सफाई में खर्चे को कम किया जा सकेगा.
एमजी/ओएसजे(पीटीआई)