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अगले साल मिल जाएंगे गॉड पार्टिकल

१८ मई २०११

भौतिकविदों ने दावा किया है कि 2012 के अंत तक वे इस बात का पता लगा सकेंगे कि हिग्स बोसोन पार्टिकल सच में होते हैं या नहीं. अभी तक सिर्फ अनुमान ही लगाया गया है कि गॉड पार्टिकल के नाम से मशहूर ये पार्टिकल हो सकते हैं.

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CERN50, ASACUSA, AD Machine The ASACUSA experiment at CERN's AD antiproton decelerator catches antiprotons in helium, where the antiprotons replace electrons, giving exotics atoms. Machine AD - Expérience ASACUSA
तस्वीर: CERN

दशकों से वैज्ञानिक इन कणों के होने या न होने पर शोध कर रहे हैं. परमाणु शोध के लिए बने यूरोपीय संगठन सर्न के महानिदेशक रोल्फ डीटर हॉयर ने कहा, "मुझे पूरा विश्वास है कि 2012 के अंत तक हमें शेक्सपियर के टू बी ऑर नॉट टू बी वाले सवाल का जवाब मिल जाएगा." जिनेवा में सर्न दुनिया का सबसे बड़ा पार्टिकल कोलाइडर चलाता है. और बड़े भारी कोलाइडर की सबसे बड़ी चुनौती है भौतिकी में हिग्स के रहस्य को सुलझाना. रहस्य यह है कि क्यों कुछ अणुओं में बहुत वजन होता है, कुछ में कम और कुछ में बिलकुल नहीं.

हिग्स बोसोन अणुओं का नाम इसकी थ्योरी देने वाले भौतिकशास्त्री पीटर हिग्स के नाम पर रखा गया है. 1964 में उन्होंने इन अणुओं के होने की संभावना जताई थी.

Marko Petek in front of the CMS, a detectors particle in Cern Bild: CERN-Marko Petek
तस्वीर: CERN/Marko Petek

सर्न की एटलास प्रयोगशाला के प्रवक्ता फाबियोला जियानोटी ने कहा, "2012 के आखिर तक या तो हम स्टैंडर्ड मॉडल हिग्स बोसोन का पता लगा लेंगे. अगर नहीं तो इसे खारिज कर देंगे."

द लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर एलएचसी में प्रकाश की गति से सब एटॉमिक पार्टिकल की टक्कर करवाई जाती है. इससे अणु उनकी दिशा के विपरीत दिशाओं में बिखर जाते हैं. इसके बाद ताकतवर चुंबक इनकी दिशा बदलते हैं और फिर कुछ अणु बड़ी प्रयोगशाला में टकराते हैं.

इस टकराव के दौरान तापमान सूर्य से भी एक लाख गुना ज्यादा हो जाता है और बिग बैंग के समय जैसी स्थिति पैदा होती है. 13.7 अरब साल पहले इसी महाटक्कर के कारण ब्रह्मांड अस्तित्व में आया था.

इसी दौरान वैज्ञानिक आधारभूत मैटर के बारे में भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. इस रहस्य में हिग्स भी शामिल है, जिन्हें गॉड पार्टिकल के नाम से जाना जाता है. ये हैं तो रहस्य से भरे लेकिन फिर सब जगह मौजूद हैं. कहा जाता है कि यह सममितीय अणु हैं जो डार्क मैटर का भी राज फाश कर सकते हैं. ब्रह्मांड में 23 फीसदी डार्क मैटर मौजूद है.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ए कुमार

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