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अंबानी भाइयों में सुलह, किया नया करार

२४ मई २०१०

झगड़ों को दरकिनार करते हुए मुकेश और अनिल अंबानी ने सुलह कर ली है और कहा है कि उन्होंने एक प्रतिस्पर्धा रहित समझौता किया है ताकि आगे किसी तरह का विवाद नहीं हो.

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अनिल व मुकेश अंबानीतस्वीर: AP

मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इंडिया लिमिटेड और अनिल अंबानी के ग्रुप से जारी बयान में कहा गया है कि इस समझौते से भविष्य में किसी भी तरह के विवाद की आशंका ख़त्म हो जाएगी. दोनों ने प्रतिबद्धता ज़ाहिर की कि वे अपने पिता धीरूभाई अंबानी के सपने को साकार करेंगे.

Anil Ambani, Industrialist
अनिल अंबानीतस्वीर: AP

खाके में

इस बयान में कहा गया है कि गोदावरी बेसिन से गैस सप्लाई के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के हिसाब से काम होगा. अटकलें थीं कि दोनों भाइयों के बीच हुई बातचीत के बाद ये फ़ैसला हुआ है लेकिन दोनों में किसी के भी प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि नहीं की.

समाचार एजेंसी पीटीआई ने लिखा है कि सुप्रीम कोर्ट ने दोनों भाईयों से गैस समझौते पर फिर से बातचीत करने को कहा था ताकि ये समझौता सरकार की नीतियों और कीमतों के खाके में हो.

बताया जाता है कि अनिल अंबानी की प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अन्य कैबिनेट मंत्रियों से बंद दरवाज़े के पीछे बैठक हुई जिसके बाद मुकेश ने भी इन सभी से बात की. इस बैठक के कुछ ही दिनों बाद दोनों भाईयों ने रविवार को सुलह की घोषणा की है.

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हिलेरी के साथ मुकेशतस्वीर: AP

हम साथ साथ

इसके बाद सद्भावना दिखाते हुए मुकेश अंबानी की आरआईएल ने कहा कि वह गैस से चलने वाले ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में 2022 तक नहीं जाएगी. इसी से मिलता जुलता एक बयान रविवार को दोनों ने जारी किया. "आरआईएल और रिलायंस एडीए ग्रुप को उम्मीद है और विश्वास है कि इन कदमों से तालमेल, सहकार और सहयोग का माहौल तैयार होगा और इस तरह दोनों ग्रुप्स के शेयरधारकों के लिए सम्यक शेयरहोल्डर वैल्यू बढ़ेगी."

नया समझौता

अनिल अंबानी ग्रुप ने बयान में कहा, "जनवरी 2006 में दोनों ग्रुप्स के बीच हुए ग़ैर प्रतिस्पर्धी समझौते इसी के साथ रद्द हो गए हैं. नया, आसान ग़ैर प्रतिस्पर्धी समझौता सिर्फ़ गैस से पैदा होने वाली ऊर्जा के बारे में है. आरआईएल (मुकेश) और आरएनआरएल (अनिल) गैस सप्लाई के बारे में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार समझौता करेंगे और इस बारे में जल्द ही फ़ैसला लिया जाएगा."

अनिल अंबानी ग्रुप का कहना था कि इससे दोनों ग्रुपों को ही ज़्यादा वित्तीय लचीलापन मिल सकेगा और दोनों को प्राकृतिक तेल, गैस. पैट्रो केमिकल, ऊर्जा जैसे ज़्यादा विकास वाले क्षेत्रों में काम करने का बराबर अवसर मिल सकेगा.

रिपोर्टः पीटीआई/आभा मोंढे

संपादनः महेश झा