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अंधविश्वास की शरण में मारुति

६ अगस्त २०१२

मानेसर कारखाने की अशांति से मारुति सुजुकी इंडिया परेशान है. कंपनी वास्तु विशेषज्ञों की सलाह ले रही है. प्रंबधन अब भी यह नहीं समझ पा रहा है कि दोष कहीं न कहीं उनके भीतर है, इमारत में नहीं.

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तस्वीर: Reuters

बैंगलोर के ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के जानकार देवजन केएन सोम्याजी का दावा है कि मारुति सुजुकी ने उनसे सलाह मांगी है. भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी जानना चाहती है कि उसके मानेसर प्लांट में अशांति क्यों है. कंपनी आए दिन आ रही मुश्किलों को भी हल करना चाहती है.

देवजन का दावा है कि मारुति के कारखाने में वास्तु दोष है. उनके मुताबिक कारखाने के नक्शे में कुछ बदलाव करने होंगे. देवजन कहते हैं, "सुधार ऐसे करने होंगे कि एक हिस्से से दिक्कत अन्य यूनिटों तक न पहुंचे."

सुजुकी इंडिया को उम्मीद है कि वास्तु शास्त्र की शरण में जाने से उसके मानेसर प्लांट में शांति आएगी. कोलकाता के वास्तु विशेषज्ञ अवधेश अग्रवाल भी दावा करते हैं कि मानेसर प्लांट में 'नकारात्मक ऊर्जा' है. कहते हैं, "प्लांट की इस नकारात्मक ऊर्जा को खास पूजाओं के जरिए निष्क्रिय किया जा सकता है. मुझे लगता है कि हवा और सुबह की रोशनी प्लांट में पर्याप्त सकारात्मक ऊर्जा नहीं ला रहे हैं."

Indien Unruhen Gewalt in Maruti Suzuki Fabrik in Manesar
आगजनी से क्षतिग्रस्त हुई इमारततस्वीर: Reuters

भारत के विज्ञान और तार्किक संघ के प्रमुख प्रबीर घोष अशांति के लिए वास्तु को जिम्मेदार नहीं ठहराते. घोष मारुति सुजुकी की आलोचना करते हुए कहते हैं कि इतनी बड़ी कंपनी का अंधविश्वासी बनना दुर्भाग्य है, "कंपनी के इंजीनियर और मैनेजमेंट के लोग अंधविश्वास के सामने झुक गए हैं. यह हैरान करने वाला है."

खुद को वास्तु विशेषज्ञ बताने वालों की आलोचना करते हुए घोष कहते हैं, "ऐसे बेवकूफों को कंपनी की मदद करने के नाम पर नहीं बुलाया जाना चाहिए, उन्हें भगा देना चाहिए."

मानेसर कारखाने में पिछले महीने जबरदस्त हिंसा हुई. कामगारों और प्रबंधन के बीच हुए झगड़े में एक मैनेजर की मौत हो गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए. कामगारों ने मैनजर को जिंदा जला दिया. बीते सालों में भी मानेसर प्लांट में लगातार हड़तालें होती रहीं. कामगारों और प्रबंधन के बीच कई बार विवाद हुआ.

हिंसा की जांच चल रही है. मैनेजमेंट का कहना है कि कामगार बेवजह राजनीति कर रहे हैं. वहीं मजदूर संघ का कहना है कि कारखाने के अंदर शोषण हो रहा है.

रिपोर्टों के मुताबिक आठ घंटे के काम के दौरान सिर्फ 30 मिनट का लंच ब्रेक और दो बार साढ़े सात मिनट के टॉयलेट ब्रेक मिलता है. कामगारों से उम्मीद की जाती है कि वे हर 50 सेंकेंड में एक कार जोड़ देंगे. कर्मचारियों को साल भर में सिर्फ नौ छुट्टियां देना, काम पर एक मिनट देर से भी आए तो तनख्वाह में से 1,500 रुपये काटना. दो तिहाई कामगार ठेके पर हैं. उनकी नौकरी साल साल भर के करार पर चलती है. यह नौकरी किसी भी वक्त छीनी जा सकती है. कर्मचारियों का आरोप है कि प्रबंधन बेहद तनावपूर्ण माहौल में काम करवाता है.

रिपोर्ट: शेख अजीज उर रहमान, ओ सिंह

संपादन: मानसी गोपालकृष्णन