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समाज

अंतिम संस्कार का सामान मिल रहा ऑनलाइन

२८ नवम्बर २०१८

चाहे गोमूत्र हो या बांस की सीढ़ी, मिट्ठी के घड़े हो या पंडित की व्यवस्था, अंतिम संस्कार के दौरान इस्तेमाल होने वाली ये सारी चीजें अब ऑनलाइन मिल जाएंगी. स्टार्टअप कंपनियां अब अंतिम क्रिया से जुड़े बाजार में उतर आई हैं.

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Indien Varanasi
तस्वीर: Sirsho Bandopadhyay

हिंदू रीति-रिवाज में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया लंबी होती है. शोकाकुल परिवारों के लिए अंतिम क्रिया से जुड़े सामान, पंडित की व्यवस्था आदि करना भागदौड़ का काम हो जाता है. इसी दिक्कत को भांपते हुए अब भारतीय स्टार्टअप कंपनियां अंतिम क्रिया की किट ऑनलाइन उपलब्ध करा रही हैं. प्रोफेशनल जिंदगी में व्यस्त लोग जहां इस कदम का स्वागत कर रहे हैं, वहीं दुकान चलाने वालों कहना है कि इससे उनके व्यापार पर असर पड़ रहा है.

मुंबई के कारोबारी पराग मेहता को दो हफ्तों के अंदर ही एक अन्य अंतिम संस्कार की व्यवस्था करनी पड़ी. समय कम था और उन्होंने अंतिम क्रिया की ऑनलाइन किट ऑर्डर कर दी. इस किट बॉक्स में कुल 38 आइटम आए जिसमें मिट्टी के घड़े, अगरबत्ती, गोमूत्र, उपला, चावल, तिल और गुलाब जल जैसे कई सामान थे. मेहता का कहना है, ''तनावपूर्ण और भावुक लम्हों में इस किट ने हमारा काम आसान कर दिया.'' आमतौर पर हिंदू रीति-रिवाज में अंतिम क्रिया में मृत व्यक्ति के शरीर पर पर चंदन का लेप लगाया जाता है, उपले जलाए जाते हैं और नारियल फोड़ा जाता है. शोकाकुल परिवार पार्थिव शरीर को बांस की सीढ़ी पर लेटाकर श्मशान ले जाते हैं. मुखाग्नि देने वाले व्यक्ति को चिता के चारों ओर चक्कर लगाने के बाद अंतिम क्रिया करनी होती है. अस्थियों को नदी में प्रवाहित किया जाता है.

मेहता ने मुंबई में स्थित स्टार्टअप कंपनी 'सर्वपूजा' से अंतिम क्रिया की सामग्री खरीदी. इसके संस्थापक नीतेश मेहता का कहना है कि एक साल पहले लॉन्च हुए उनके स्टार्टअप ने सालभर के अंदर करीब दो हजार किट्स बेची हैं. अमेरिका में 15 साल रहे कंप्यूटर इंजीनियर नीतेश मेहता के मुताबिक, ''हिंदू रिवाज में मृत व्यक्ति का 24 घंटे के अंदर या अधिकतम तीन दिन के अंदर अंतिम संस्कार करना होता है. ऐसे में ऑनलाइन किट समाधान हो सकता है.''

भारत के कुछ शहरों में यह ऑनलाइन किट पहुंच रही है. पारंपरिक हिंदू समुदाय के अलावा इसे जैन, गुजराती और सिख समुदाय के लोग भी इस्तेमाल कर सकते हैं. कंपनी अभी तक मुनाफा नहीं कमा रही है और उसका मानना है कि कई परिवारों को आज भी पारंपरिक तरीके से खरीदारी करना पसंद है. हालांकि दुकानदारों का कहना है कि उन्हें ऑनलाइन कंपनियों से दिक्कत है. मुंबई स्थित एक श्मशान में अन्त्येष्टि से जुड़े सामानों की दुकान चलाने वाले शशि शिंदे का कहना है, ''हमारा 40 साल का काम करने का अनुभव है. लेकिन आज लोगों को शॉर्टकट और जल्दी काम कराना है और ऑनलाइन शॉपिंग उन्हें ये मौका देता है.'' इनके प्रतिद्वंद्वियों में तीन साल पहले शुरू हुई स्टार्टअप कंपनी 'मोक्षशील' शामिल है. अहमदाबाद में स्थित यह कंपनी पश्चिमी गुजरात में अंतिम संस्कार से जुड़े सामान ऑनलाइन बेचती है. वहीं, कोलकाता में स्थित कंपनी 'अन्त्येष्टि' का पैकेज भी मिलता-जुलता है और इसमें श्मशान की बुकिंग, पंडित की व्यवस्था और शव को श्मशान तक ले जाने के लिए गाड़ी की व्यवस्था भी यह स्टार्टअप मुहैया कराती है. 

'मोक्षशील' के मालिक बिल्वा देसाई सिंह का कहना है कि उनकी कंपनी लोगों को मृत्यु के बारे में बात करने का मौका देती है. वह कहती है, ''भारत की आबादी करोड़ों में है और करोड़ों किस्म के कलंक लगाए जाते हैं. मृत्यु को लेकर भी पूर्वाग्रह है.'' उनके मुताबिक, ''मृत्यु को लेकर जागरूकता महत्वपूर्ण है और हम ऐसा करने की कोशिश कर रहे हैं.'' दोनों ही स्टार्टअप कंपनियां अब अपनी सेवाएं भारत के अन्य शहरों और विदेशों तक फैलाने पर काम कर रही हैं. वहीं, 'सर्वपूजा' के संस्थापक मेहता का कहना है कि जल्द ही उनकी कंपनी मुस्लिम समुदाय की अंतिम क्रिया से जुड़ी किट लॉन्च करेगी. वह कहते हैं कि मौत निश्चित है और हम लोगों की मदद करना चाहते हैं, जिससे वे प्रियजनों को गरिमामय तरीके से अंतिम विदाई दे सके.

वीसी/एमजे (एएफपी)

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