अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए मशहूर ब्रेमेन
२७ जुलाई २०१०तब यहां अंतरिक्ष उड़ान के लिए रॉकेट के हिस्से बनाए जाने लगे. आज भी यहां भारी ट्रांसपोर्ट अंतरिक्ष यान आरियाने 5 के हिस्से बनाए जाते हैं. जब 1970 के दशक में यूरोप में भी मानव सहित अंतरिक्ष उड़ान का दौर चला, ब्रेमेन के लिए भी एक नया दौर शुरू हुआ.
यहां उच्च तकनीक का स्पेसलैब बनने लगा, जिसमें भारहीनता के परीक्षण किए जाते हैं. अब तक अमेरिकी स्पेस शट्ल् से बीस बार अंतरिक्ष में स्पेसलैब भेजे जा चुके हैं. स्पेसलैब की वजह से ब्रेमेन सारी दुनिया में मशहूर हुआ. फिर नब्बे के दशक में यहां कोलंबस अंतरिक्ष प्रयोगशाला बनाई गई. इसे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन आईएसएस के लिए यूरोप का सबसे मह्त्वपूर्ण योगदान माना जाता है. अब यहां कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए जर्मन शोध केंद्र में एक नई पहल शुरू की गई है.
"विश्वविद्यालय, अंतरिक्ष संस्थान और उद्यम के निकट आविष्कारों की एक नई संभावना तैयार की जा रही है. आप कह सकते हैं कि यह सृजनशीलता का एक नया खज़ाना है."-केंद्र के प्रोफेसर फ्रांक किर्शनर
इस केंद्र में चलने फिरने वाले रोबोट तैयार किए जा रहे हैं. ब्रेमेन के अंतरिक्ष विशेषज्ञों के लिए यह एक नया क्षेत्र है. उनकी नज़र है मंगल और चांद की खोज पर. वहां की मिट्टी के नमूनों को वे धरती पर लाना चाहते हैं और उनकी जांच करना चाहते हैं. इसके लिए विश्व में पहली बार तीन रोबोट आपस में मिलकर काम कर रहे हैं. प्रयोगशाला में चांद के हालात कृत्रिम रूप से तैयार करते हुए वे मिट्टी जमा करने के प्रयोग कर रहे हैं. इनके ज़रिए ब्रेमेन के रोबोटों को नई भूमिका के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.
"ज़रूरी बात यह है कि हमारे प्रयोग बेरोकटोक जारी रहे, ताकि वास्तविक रूप से इन तकनीकों का अंत में इस्तेमाल भी हो." -फ्रांक किर्शनर
और विज्ञान व तकनीक के दूसरे क्षेत्रों की तरह यहां भी यह एक महत्वपूर्ण सवाल बना हुआ है. हर कहीं खर्चों में कटौती की जा रही है. इस सवाल के जवाब पर निर्भर करेगा कि अंतरिक्ष अनुसंधान के साथ साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता के विकास के मामले में भी ब्रेमेन एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर पाएगा या नहीं.
रिपोर्टः उज्ज्वल भट्टाचार्य
संपादनः ए जमाल