अंडों का दीवाना जर्मनी
जर्मन इंजीनियरिंग तो पूरी दुनिया में मशहूर है. लेकिन क्या आप मानेंगे कि इस इंजीनियरिंग का इस्तेमाल कर जर्मन लोगों ने अंडे को तोड़ने के लिए भी खास डिवाइस बना रखा है. इसका नाम भी बहुत मजेदार है.
ईस्टर के अंडे
सबको पता है कि खरगोश अंडे नहीं देते फिर भी ईस्टर की छुट्टियों के दौरान ऐसी तस्वीरें दिखना आम है.
नाश्ते वाले अंडे
पूरी दुनिया के नाश्ते में अंडों की एक खास जगह है. कच्चे, उबले, पोच किए या भुने हुए - तमाम रूपों में लोग अंडे खाते हैं. जर्मनी के कई घरों में रविवार सुबह के नाश्ते में काफी हल्के उबले हुए अंडे खाने का चलन है.
खास कप
जर्मनी में खास तरह की डिजाइन वाले एग-कप खूब इस्तेमाल होते हैं. अपने अंडाकार आकार के कारण अंडे इधर उधर डोलते ना रहें इसीलिए यह खास कप बने. इसके साथ अक्सर मैचिंग चम्मच भी लगी होती है.
कवच को तोड़ना
नए नए आइडिया और मशीनों की धरती जर्मनी में उबले अंडे का कवच उतारने के लिए भी एक खास यंत्र बना. जर्मन भाषा में इस यंत्र का नाम एक बेहद लंबा शब्द - आयरशालेनजॉलब्रुखश्टेलेनफेरउअरजाखर - है.
खूब है खपत
जर्मनी में हर व्यक्ति ने 2019 में औसतन 236 अंडे खाए. जर्मन लोग पहले के मुकाबले ज्यादा अंडे खा रहे हैं, जिनमें से दो-तिहाई का उत्पादन भी जर्मनी में ही होता है और बाकी पड़ोसी देश नीदरलैंड से आते हैं.
भूरा या सफेद
मुर्गी के अंडे आमतौर पर इन्हीं दो रंगों के होते हैं. आमतौर पर सफेद के मुकाबले भूरे अंडे सेहत के लिए ज्यादा फायदेमंद माने जाते हैं, जबकि असल में इनमें रंग वाले पिगमेंट्स के अलावा कोई बड़ा अंतर नहीं होता.
पूरे साल रंग-बिरंगे
जर्मनी आने वाले किसी नए इंसान को सुपरमार्केट में बिकने वाले रंग बिरंगे अंडों के क्रेट को देखकर हैरानी हो सकती है. यहां बिकने वाले कुल अंडों में से करीब 6 फीसदी रंगे हुए होते हैं. ईस्टर के आसपास इनकी ब्रिकी करीब 9 फीसदी तक बढ़ जाती है.
अंडे का पेड़
जाहिर है कि खरगोश अंडे नहीं देते बल्कि ये तो पेड़ पर उगते हैं - अगर ईस्टर से जुड़ी सदियों पुरानी जर्मन परंपरा को मानें तो. इस त्योहार में सजावटी पेड़ों पर अंडे लटकाए जाते हैं. ये दोनों ही जीवन का प्रतीक हैं - एक पेड़ और दूसरा अंडा.