अंग्रेजी के शिक्षक फेल हुए अंग्रेजी की परीक्षा में
२९ अगस्त २०११वियतनाम के प्राथमिक विद्यालयों में अंग्रेजी पढ़ाने वाले बहुत से शिक्षक अंग्रेजी की परीक्षा में ही फेल हो गए हैं. प्रशासन ने उन शिक्षकों को अंग्रेजी की परीक्षा देने को कहा था. शिक्षा एवं प्रशिक्षण मंत्रालय ने अंग्रेजी पढ़ाने वाले सभी शिक्षकों को अंग्रेजी की परीक्षा में कम से कम 550 अंक लाने को कहा था. या फिर अंतर्राष्ट्रीय अंग्रेजी भाषा परीक्षण प्रणाली में 6 स्कोर निर्धारित किए थे.
सरकार ने तय किया है कि जो शिक्षक निर्धारित स्कोर या फिर अंक पाने में कामयाब नहीं होते हैं तो उन्हें अपनी अंग्रेजी में सुधार करनी होगी. साथ ही साथ दोबारा अंग्रेजी की परीक्षा देनी होगी. मंत्रालय ने यह भी एलान किया है कि दो बार फेल होने वाले शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया जाएगा. जब मंत्रालय ने शिक्षकों के नतीजे जानने के लिए सर्वे कराया तो पाया कि कुछ ही शिक्षक परीक्षा में पास हुए हैं.
अंग्रेजी कैसे पढ़ाएंगे शिक्षक
दक्षिण प्रांत बेन त्रे में 700 शिक्षकों में से सिर्फ 61 शिक्षक ही निर्धारित अंक ला पाए हैं. हनोई प्रांत में 90 प्राथमिक विद्यालयों के 150 शिक्षकों ने यह परीक्षा दी लेकिन सिर्फ 28 शिक्षक ही पास हो पाए या फिर निर्धारित नंबर लाने में कामयाब रहे. ऐसे ही नतीजे दूसरे प्रांतों से भी आए हैं.
प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों के लिए अंग्रेजी अनिवार्य है. लेकिन अलग अलग प्रांतों में अंग्रेजी सीखने के लिए उम्र की सीमा अलग है. 'फाप लुआत' अखबार ने खान हुआ प्रांत के शिक्षा और प्रशिक्षण विभाग के डिप्टी डायरेक्टर ली थी हुआ के हवाले से लिखा है प्रशासन ने फेल हुए शिक्षकों को पढ़ाने की इजाजत तो दे दी है लेकिन साल के आखिर तक अंग्रेजी में सुधार करने के लिए कहा है.
लेकिन अधिकतर शिक्षकों को डर है कि वह तय मानकों को शायद ही प्राप्त कर पाए. वहीं एक और अखबार ने हो ची मिन्ह सिटी के शिक्षा विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के हवाले से लिखा है कि शिक्षकों की अंग्रेजी सुधारना आसान काम नहीं है. इस काम को पूरी तरह से सफल बनाने में 2020 तक का समय लग जाएगा.
भारत की तस्वीर कुछ अलग नहीं
भारत में भी ऐसे अंग्रेजी के शिक्षकों की कमी नहीं हैं जो ठीक तरह से अंग्रेजी नहीं जानते हैं. कई बड़े बड़े विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले प्रोफेसर भी अंग्रेजी के मामले में कमजोर साबित होते हैं. निजी स्कूलों में तो अंग्रेजी की पढ़ाई के लिए विशेष शिक्षक होते हैं लेकिन सरकारी विद्यालय की हालत खस्ता हैं.
बच्चों को वही शिक्षक पढ़ाते हैं जो वहां उपलब्ध होते हैं. कई प्रांतों में तो स्थानीय भाषाओं में ही अंग्रेजी की शिक्षा दी जाती है. इसके अलावा कई प्रांतीय सरकारें समय समय पर अंग्रेजी पढ़ने या पास करने की अनिवार्यता समाप्त करती रही है, जबकि कुछ प्रांतों में अंग्रेजी की पढ़ाई छठी कक्षा से शुरू होती है.
रिपोर्ट: एजेंसियां /आमिर अंसारी
संपादन: महेश झा