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ये है दुनिया का सबसे छोटा गिरगिट

८ फ़रवरी २०२१

अफ्रीकी देश मैडागास्कर में वैज्ञानिकों को दुनिया का सबसे छोटा गिरगिट मिला है. यह आकार में इतना छोटा हैं कि इंसान की ऊंगली पर आराम से बैठ सकता है.

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मैडागास्कर में मिला सबसे छोटा गिरगिट
वैज्ञानिकों ने इसे ब्रूकेशिया नाना नाम दिया हैतस्वीर: Frank Glaw/SNSB-ZSM/dpa/picture alliance

इस छोटे से गिरगिट को ब्रूकेशिया नाना नाम दिया गया है. इसके शरीर का अनुपात भी वैसा ही है जैसा दुनिया में पाए जाने वाले बड़े गिरगिटों का होता है. जर्मनी में बबेरियन स्टेट कलेक्शन ऑफ जूलॉजी के क्यूरेटर फ्रांक ग्लाव कहते हैं, "हमें यह उत्तरी मैडागास्कर के पहाड़ों में मिला." यह खोज 2012 में जर्मनी और मैडागास्कर के वैज्ञानिकों की साझा कोशिशों का नतीजा है.

जब वैज्ञानिकों को एक नर और एक मादा ब्रूकेशिया नाना गिरगिट मिलें तो उन्हें पता नहीं चला कि ये दोनों व्यस्क हैं. बहुत बाद में उन्हें यह बात मालूम हुई. ग्लाव कहते हैं, "हमें पता चला कि मादा के शरीर में अंडे हैं जबकि नर गिरगिट के जननांग बड़े हैं. इससे हमें पता चला कि वे वयस्क हैं."

विज्ञान पत्रिका "साइंटिफिक रिपोर्ट्स" में ग्लाव और उनके साथियों ने लिखा कि नर गिरगिट के जननांग काफी बड़े थे, मतलब उनके शरीर का 20 प्रतिशत उसके जननांग ही थे. एक मूंगफली के आकार जितने नर ब्रूकेशिया गिरगिट के शरीर का आकार 13.5 मिलीमीटर यानी लगभग आधा इंच लंबा होता है जबकि पूंछ के और नौ मिलीमीटर जोड़ लीजिए. वहीं मादा की लंबाई उनकी नाक से लेकर पूंछ तक 29 मिलीमीटर है. 

यह अपनी प्रजाति का अकेला जोड़ा है जो अभी तक मिला है. मैडागास्कर के जंगल खासकर छोटे छोटे जीवों के लिए बहुत मशहूर रहे हैं. मैडागास्कर की एंटानानारीवो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और साइंफिटिक रिपोर्ट्स में छपे शोध के सह लेखक एंडोलालाओ राकोतोआरिसन कहते हैं, "मैडागास्कर में बहुत सारी बहुत ही छोटी कशेरुकी प्रजातियां पाई जाती हैं. इनमें कुछ सबसे छोटे बंदरों से लेकर सबसे छोटी मेंढक तक शामिल हैं."

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खतरे में प्रजातियां

रिसर्चर कहते हैं कि ब्रकेशिया नाना गिरगिट समुद्र तल से 1,300 मीटर की ऊंचाई पर पर्वतों में मिले. ग्लाव कहते हैं, "हम इस बारे में कुछ नहीं कह सकते हैं कि यह प्रजाति इतनी छोटी क्यों है." लेकिन वैज्ञानिक इतना जरूर जानते हैं कि ये गिरगिट लुप्त होने की कगार पर खड़े हैं. हालांकि लुप्तप्राय जीवों की रेड लिस्ट बनाने वाली संस्था इंटरनेशनल यूनियन फॉर द कंजरवेशन फॉर नेचर (आईयूसीएन) को अभी उसका मूल्यांकन करना बाकी है.

ग्लाव कहते हैं, "मैडागास्कर में बसेरों का नष्ट होना उभयचरों और सरीसृपों के लिए सबसे बड़ा खतरा है. हो सकता है कि भविष्य में उन्हें जलवायु परिवर्तन से खतरा हो, लेकिन अभी तो वनों को काटे जाने से खतरा है."

बीसवीं सदी की शुरुआत से मैडागास्कर ने अपने 45 प्रतिशत जंगल गंवा दिए हैं. ग्लाव और उनके साथियों ने मैडागास्कर के तट के पास जिस द्वीप पर ब्रूकेशिया नाना और कई दूसरे गिरगिटों को खोजा है, वह खासतौर से खतरे में है. वह बताते हैं कि ब्रूकेशिया नस्लों की कई प्रजातियां दो वर्ग किलोमीटर से भी कम के इलाके में रहती हैं. उनके मुताबिक, "एक भी बड़ी त्रासदी, जैसे कि जंगल की आग तेजी से यहां की आबादी को खत्म कर देगी." 

मैडागास्कर अपनी जैवविविधता के लिए दुनिया भर में विख्यात है. दुनिया के सबसे अनोखे पौधे और जीवों में से पांच प्रतिशत यहां रहते हैं. लेकिन एक द्वीपीय देश मैडागास्कर दुनिया के सबसे गरीब देशों में शामिल है. ऐसे में संसाधनों की कमी प्रकृति और उसकी अमूल्य धरोहरों को बचाने की राह में अड़चन बनती है.

एके/आईबी (एएफपी, एपी)

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