विश्व साइकिल दिवस: साइकिल का 200 सालों का सफर
जर्मन आविष्कारक कार्ल फॉन द्रायस ने 200 साल पहले एक ऐसा दो पहिया बनाया था, जिसे आज की साइकिल का प्रोटोटाइप कहा जा सकता है. तब से लेकर अब तक उस खोज से कैसे दुनिया भर के लोगों की जिंदगी बदली, देखिए.
जर्मन आविष्कार
पैडल से पहले के समय में द्रायस ने 1817 में द्रायसीने बनायी. इस प्रोटोबाइक में सवार को जमीन पर अपने पैर घसीट कर साइकिल को चलाना होता. इसमें सुधार के बाद फ्रांस में 1860 के दशक में इसे बाइसिकिल नाम मिला.
एक खोज से दूसरी की राह
राइट बंधुओं के पहला हवाई जहाज बनाने से पहले उन्होंने ओहायो में एक छोटी सी बाइक रिपेयर शॉप खोली थी. यहीं की वर्कशॉप में उन्होंने राइट फ्लायर बनाया जो उन्होंने सन 1903 में थोड़ा सा उड़ाया भी.
चैंपियनों की परंपरा
सन 1903 में पहले टूर डे फ्रांस का आयोजन हुआ, यह अब विश्व की सबसे पुरानी साइकिल रेस है. आल्प्स के पथरीले रास्तों से गुजरते हुए पेरिस के शॉं से लिजी पर रेस का भव्य समापन होता है.
दोपहिये पर दुनिया का चक्कर
ग्रीस के फ्रेड बिर्चमोर (1912–2012) ने 1935 में साइकिल से ही विश्व भ्रमण किया. यूरोप, एशिया और अमेरिका में साइकिल से उन्होंने करीब 65,000 किलोमीटर की यात्रा की. कहीं कहीं साइकिल को नाव पर लेकर पार किया.
दो चक्कों पर आजादी
19वीं सदी की मशहूर महिला अधिकार कार्यकर्ता सूजन एंथोनी ने साइकिल के बारे में कहा था, "इससे एक महिला को आजादी और स्वावलंबन का एहसास होता है.” कभी महिलाओं पर साइकिल चलाने को लेकर भी कई पाबंदियां होती थीं.
साइकिलों की राजधानी
एम्सटर्डम को विश्व की साइकिल राजधानी कहा जाता है. यहां के कोई 800,000 लोगों में से करीब 63 फीसदी लोग रोजाना साइकिल से चलते हैं. सड़कों पर 32 फीसदी साइकिल, 22 फीसदी कारें और 16 फीसदी सार्वजनिक परिवहन दिखता है.