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समाज

बंगाल की महिलाओं से कथित गैंगरेप का मामला

प्रभाकर मणि तिवारी
१४ जून २०२१

पश्चिम बंगाल में चुनाव नतीजों के करीब डेढ़ महीने बाद अब पूर्व मेदिनीपुर जिले की कुछ महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर टीएमसी कार्यकर्ताओं पर सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया है.

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तस्वीर: picture alliance/dpa/B. Roessler

पश्चिम बंगाल में पहले विधानसभा चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और सत्ता की दावेदार के तौर पर उभरी बीजेपी के आक्रामक अभियान ने सुर्खियां बटोरी थीं. चुनाव नतीजों के बाद राज्य के विभिन्न इलाकों में शुरू हुई हिंसा का मुद्दा सुर्खियों में रहा था. अब यह हिंसा तो काफी हद तक थम गई है लेकिन राज्य की कुछ महिलाओं की ओर से टीएमसी कार्यकर्ताओं पर सामूहिक बलात्कार के आरोप में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद बंगाल एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है.

इन महिलाओं ने विधानसभा चुनाव के बाद टीएमसी कार्यकर्ताओं की ओर से जारी हिंसा के दौरान अपने साथ सामूहिक बलात्कार का आरोप लगाया है. उन्होंने इस मामले की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की मांग की है. इससे पहले बीते महीने भी बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं के परिजनों ने चुनाव बाद की हिंसा के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी. अदालत ने उस पर राज्य सरकार से भी रिपोर्ट मांगी थी. अब ताजा मामले में पीड़िताओं ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने ऐसे मामलों में या तो शिकायत दर्ज ही नहीं की या फिर हल्की धाराओं में दर्ज की है.

नाती के सामने बलात्कार

इन महिलाओं में शामिल पूर्व मेदिनीपुर जिले की खेजुरी विधानसभा क्षेत्र की एक 60 वर्षीय महिला ने याचिका में कहा है कि चुनाव के नतीजे आने के बाद टीएमसी के पांच कार्यकर्ता चार मई की रात को जबरन उनके घर में घुस गए और उनके छह साल के नाती के सामने सामूहिक बलात्कार किया. महिला के अनुसार 4 और 5 मई के बीच देर रात हुई इस घटना में उन्होंने घर की सभी कीमती चीजें भी लूट लीं. महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि पड़ोसियों ने अगले दिन बेहोशी की हालत में पाकर उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया. महिला के मुताबिक पुलिस ने इस मामले की शिकायत दर्ज करने से भी इंकार कर दिया.

महिला का कहना है कि खेजुरी विधानसभा सीट पर बीजेपी की जीत के बावजूद सौ से ज्यादा टीएमसी कार्यकर्ताओं की भीड़ ने तीन मई को उनके घर को घेर लिया था और घर को बम से उड़ाने की धमकी भी दी थी. इस घटना के बाद उनकी बहू ने अगले दिन ही घर छोड़ दिया था.

नाबालिग लड़की का भी आरोप

इसके अलावा अनुसूचित जनजाति की एक 17 साल की नाबालिग लड़की ने भी इसी आरोप में शीर्ष अदालत की शरण ली है. उसने अपनी याचिका में कहा है कि बीती नौ तारीख को टीएमसी के लोगों ने उसके साथ बलात्कार कर उसे जंगल में फेंक दिया था. उसके बाद अगले दिन टीएमसी के नेताओं ने पुलिस में इस घटना की शिकायत की स्थिति में पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी दी थी. उस युवती ने भी इस घटना की जांच सीबीआई या एसआईटी से कराने की अपील की है.

इससे पहले 18 मई को भी सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच की मांग वाली एक याचिका पर पश्चिम बंगाल सरकार को नोटिस जारी किया था. चुनाव के बाद हुई हिंसा में बीजेपी के दो कार्यकर्ताओं की हत्या के आरोप में उनके परिजनों की ओर से याचिका दाखिल की गई थी. इसमें एक महिला ने आरोप लगाया था कि टीएमसी ने लोगों ने उसकी आंखों के सामने कुल्हाड़ी से पति की हत्या कर दी थी.

सरकार को बदनाम करने के लिए?

इस बीच राज्य में चुनाव बाद की हिंसा पर टीएमसी और बीजेपी के बीच आरोप-प्रत्यारोप लगातार तेज हो रहा है. प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष का आरोप है कि चुनाव बाद हुई हिंसा में पार्टी के कम से कम 38 लोगों की हत्या की जा चुकी है और दर्जनों महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया है. उनका आरोप है कि अब भी पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता टीएमसी के आतंक की वजह से घर छोड़ कर दूसरी जगहों पर रह रहे हैं.

लेकिन टीएमसी ने इन आरोपों को निराधार बताया है. पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष कहते हैं, "बीजेपी अपनी चुनावी हार पचा नहीं पा रही है. इसलिए वह सरकार को बदनाम करने के लिए ऐसे निराधार आरोप लगा रही है. चुनावी नतीजों के बाद उसी ने फर्जी वीडियो और तस्वीरों के सहारे दंगे भड़काने का प्रयास किया था."

राजनीतिक पर्यवेक्षक प्रोफेसर समीरन पाल कहते हैं, "हिंसा और रेप के मामलों में कितनी सच्चाई है, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा. लेकिन यह तय है कि बीजेपी यहां राज्य सरकार और टीएमसी को कठघरे में खड़ा करने का कोई भी मौका नहीं चूक रही है. राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर लगातार सरकार को घेरते रहे हैं."

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