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समाज

मुंबई की बस्तियों की निगरानी करते ड्रोन

१७ अप्रैल २०२०

देश में कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है. सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना हो या फिर लॉकडाउन का, प्रशासन हाईटेक तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है.

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Indien Coronavirus Slums
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Maqbool

मुंबई के एक सरकारी दफ्तर में दर्जन भर अधिकारी एक बड़ी स्क्रीन पर ड्रोन और सीसीटीवी कैमरे द्वारा भेजे गए वीडियो देख रहे हैं. यह वीडियो भीड़भाड़ वाली बस्ती का है. महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के मामले सबसे अधिक हैं और मुंबई में ऐसी बस्तियां हैं जहां पर घनी आबादी है और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना कठिन काम है. पिछले हफ्ते जब डोंगरी इलाके में खरीदारी करते एक दर्जन से अधिक लोगों को कैमरे ने कैद किया तो अधिकारियों ने तुरंत फोन कर लॉकडाउन के नियमों के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पुलिस को बुलाया. देश में 25 मार्च से कोरोना वायरस के संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए तालाबंदी लागू है. पुलिस लॉकडाउन के नियमों का पालन नहीं करने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है. 20 मिनट बाद डोंगरी के फुटेज से पता चला कि अब भी मुट्ठी भर लोग बाहर निकले हुए हैं.

डोंगरी जो कि घनी आबादी वाला इलाका है, वहां लॉकडाउन का सख्ती से पालन कराने के लिए प्रशासन ड्रोन, ट्रैफिक कैमरे और हीट मैप्स का इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन यह सब कम पड़ जाते हैं जब एक गली के बाद दूसरी गली आ जाती है. संकरी गलियों की वजह से उच्च तकनीक भी कई बार नाकाम साबित होती है. मुंबई की आबादी 1.2 करोड़ है और इनमें से 65 फीसदी लोग बस्तियों में रहते हैं. मुंबई की धारावी एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती मानी जाती है. एक अनुमान के मुताबिक धारावी बस्ती में दस लाख के करीब लोग रहते हैं. धारावी में कोरोना वायरस के मामले आने के बाद अधिकारियों की चिंता बढ़ गई है. यहां 16 अप्रैल तक 71 मामले सामने आ चुके हैं और जानकारों का कहना है कि मामले और भी बढ़ सकता है.

अधिकारियों का कहना है कि मुंबई में अधिक मामले इसलिए सामने आ रहे हैं क्योंकि यहां आक्रामक रूप से टेस्ट हो रहे हैं. महाराष्ट्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई ने हर दस लाख में 2,374 टेस्ट किए जबकि राजधानी दिल्ली ने 448 है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने रिपोर्ट के हवाले से लिखा कि 82 फीसदी कोरोना वायरस मरीजों की हालत स्थिर है जबकि 2 फीसदी को क्रिटिकल केयर की जरूरत है. बीएमसी कमिश्नर प्रवीण परदेशी के मुताबिक, "अगर स्थिर मरीजों का प्रतिशत ऐसा ही रहा तो हम पार पा लेंगे." प्रशासन ने झुग्गी बस्तियों के हिस्सों को घेर दिया है, विशेष मेडिकल क्लीनिक बनाए हैं, स्टेडियम में विशाल क्वारंटीन केंद्र बनाए हैं और सरकारी इमारतों को खाली करा दिया है.

पाबंदियों के बावजूद लोग अपने घरों से निकल जाते हैं और सटे-सटे घर होने की वजह से लोग गलियों में बाहर आ जाते हैं. पुलिस को धारावी में रहने वाले लोगों से अपील करनी पड़ती है कि वे अपने अपने घरों के भीतर चले जाएं. बिल्डिंग मैटेरियल की दुकान में काम करने वाले आसिफ सिद्दीकी एक रूम के घर में परिवार के छह सदस्यों के साथ रहते हैं. वह कहते हैं, "हमसे कहा जाता है कि हम एक मीटर की दूरी बनाए रखें, लेकिन मेरा तो घर ही कुल दो मीटर लंबा है. हम सहयोग करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. लेकिन इस तरह की जगह में लगातार घर के भीतर रहना नामुमकिन है."

एए/सीके (रॉयटर्स)

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