बस चार साल बचे हैं!
कुछ साल पहले तक जिस बात को असहनीय माना जाता था, वह अब निकट भविष्य की संभावना के रूप में नजर आने लगी है. यूएन के जलवायु विशेषज्ञ कहते हैं कि अगले चार साल में धरती के तापमान की वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस को पार कर सकती है.
मनुष्य के पास वक्त नहीं है
संयुक्त राष्ट्र के जेनेवा स्थित विश्व मौसम संगठन के मुताबिक इस बात की लगभग 50 फीसदी संभावना है कि अगले पांच साल में कम से कम एक बार ऐसा होगा जबकि धरती का औसत तापमान ओद्यौगिक क्रांति से पहले के मुकाबले 1.5 डिग्री ज्यादा रहेगा. नतीजा, जंगल में आग लगने की ज्यादा घटनाएं होंगी.
मौसम की मार
विश्व मौसम संगठन के महासचिव पेटेरी टालस ने ताजा शोध के हवाले से कहा कि अस्थायी तौर पर ही सही, अब यह संभावना बढ़ गई है कि तापमान 1.5 डिग्री से ऊपर चला जाएगा. ऐसा हुआ तो मौसमी आपदाओं में भी वृद्धि होगी, जैसे कि चीन के ग्वांगजो में 2021 में हुआ था जब बाढ़ ने दर्जनों जानें ली थीं.
इकोसिस्टम को नुकसान
2015 में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने सदी के आखिर तक धरती के औसत तापमान को 2 डिग्री से ज्यादा ना बढ़ने देने पर सहमति जताई थी. तब यह अनुमान नहीं था कि बदलाव इतनी तेजी से होंगे. तापमान बढ़ने के असर नजर आने लगे हैं. तुर्की के मरमारा सागर में पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि 60 प्रतिशत प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं.
पिघलते ग्लेशियर
विश्व मौसम संगठन इस बात को लेकर भी चिंतित है कि आर्कटिक का तापमान असामान्य रूप से बढ़ा हुआ है. मसलन, ग्रीनलैंड के जैकब्सहेवन ग्लेशियर ने 2000 और 2010 के बीच पिघलकर इतना पानी बहा दिया पूरी दुनिया का समुद्र जलस्तर एक मिलीमीटर बढ़ गया.
घातक नतीजे
तापमान बढ़ने के नतीजे घातक होंगे. बड़ी संख्या में लोग विस्थापित होंगे या मारे जाएंगे. 2021 के आइडा चक्रवातीय तूफान जैसी आपदाओं में हजारों लोग बेघर हो गए थे और अरबों की संपत्ति का नुकसान हुआ था.
अभी फैसले का वक्त
जेनेवा स्थित विशेषज्ञों की नजर अब 2027 में मिस्र में होने वाले जलवायु सम्मेलन पर है. पिछले साल ग्लासगो में हुए जलवायु सम्मेलन में कई बड़े फैसले लिए गए लेकिन विशेषज्ञों को डर है कि मनुष्य के पास जलवायु सुरक्षा चाक-चौबंद करने के लिए ज्यादा समय नहीं है.