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यूरोप: जंगलों की आग के नुकसान से कैसे उबरेगा पर्यटन उद्योग

लीसा स्टूवे
५ अगस्त २०२३

दक्षिणी यूरोप के जंगलों-झाड़ियों में लगी विनाशकारी आग से भीषण आर्थिक नुकसान हो रहा है. स्थानीय लोगों के लिए इसके क्या मायने हैं? और, उस पर्यटन उद्योग पर इसका क्या असर होगा, जिस पर ज्यादातर स्थानीय आबादी निर्भर है.

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22 जुलाई को जंगलों में लगी भीषण आग के कारण रोड्स द्वीप के होटलों से सुरक्षित निकाले जा रहे पर्यटक
ग्रीस के रोड्स द्वीप पर जंगलों में लगी आग जुलाई में बेकाबू हो गई. आपातकालीन स्थिति के कारण यहां से पर्यटकों को बाहर निकालना जरूरी हो गया. तस्वीर: Eurokinissi /Stringer/AFP

ग्रीस के रोड्स आइलैंड में भड़की आग से बचकर भागते पर्यटकों और सिसिली में बेकाबू होती जंगल की आग की डरावनी तस्वीरें, यूरोपीय मीडिया की सुर्खियों में छाई हुई हैं. सवाल उठने लगे हैं कि भूमध्यसागरीय क्षेत्र, गर्मियों की छुट्टियों का लोकप्रिय ठिकाना बना भी रहेगा या नहीं.

भूमध्यसागरीय क्षेत्र है खासतौर पर प्रभावित

वैज्ञानिक पक्के तौर पर मानते हैं कि भविष्य में लू जैसी प्रचंड मौसमी घटनाएं यूरोप में ज्यादा बढ़ेंगी और नियमितहोंगी. विश्व मौसम संगठन के मुताबिक, भूमध्यसागर के आसपास का इलाका खासतौर पर तेजी से गरम होने लगा है. तीखी धूप से बुरी तरह झुलसी जमीन, आगभड़काने के लिए आदर्श स्थितियां बनाती है.

अप्रैल 2023 में, स्पेन में बेतहाशा तापमान दर्ज किया गया. ग्रीस में जुलाई में आई लू, देश के दर्ज मौसमी इतिहास में सबसे लंबी अवधि की लू थी.

यूनान में अकेले जुलाई में 50,000 हेक्टेयर (123,000 एकड़) से ज्यादा जमीन आग में जल गई. यह क्षेत्र जर्मन राजधानी बर्लिन से आकार में आधे से थोड़ा ही कम है. यूरोपियन फॉरेस्ट फायर इंफॉर्मेशन सिस्टम (ईएफएफआईएस) के डेटा के मुताबिक, स्पेन में तो अप्रैल की शुरुआत में ही जंगलों की आग इस कदर नुकसान करती हुई बेकाबू हो चुकी थी. 

2022 में पूरे साल यूरोपीय संघ के भीतर मोंटेनेग्रो देश के आकार का करीब 8,00,000 हेक्टेयर इलाका तबाह हो गया. यूरोपीय संघ में मानवीय मदद और संकट प्रबंधन आयुक्त यानेस लेनारचिक ने इस साल जनवरी में बताया कि कम-से-कम दो अरब यूरो का नुकसान हुआ था.

हवा से आग बुझाता एक एयरक्राफ्ट
यूरोपीय संघ ने 2023 में हवा से आग बुझाने की अपनी क्षमताओं को दोगुना किया है, ताकि बीते सालों की तरह या उनसे भी भीषण आपदाओं की स्थिति को काबू किया जा सके. तस्वीर: Alberto Lo Bianco/LaPresse/AP Photo/picture alliance/dpa

जीडीपी को भी निगल जाती है जंगल की आग

कई दिनों तक भड़की रहने वाली बेकाबू आग से न सिर्फ कुदरत के लिए विनाशकारी नतीजे होते हैं, बल्कि आजीविकाएं भी तहस-नहस हो जाती हैं और अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंचती है.

बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में मौसमी प्रचंडताओं और जंगल की आग के आर्थिक दुष्प्रभावों पर शोध कर रही सारा मायर कहती हैं कि जहां आग सुलगती है, वहां का सकल घरेलू उत्पाद, यानी जीडीपी गिर जाती है. उन्होंने डीडब्लू को बताया, "पर्यटन सेक्टर में रोजगार के आंकड़े दिखाते हैं कि जंगल की आग की घटनाओं के बाद कम लोग ही नौकरी हासिल कर पाते हैं." 

27 सदस्य देशों वाले यूरोपीय संघ (ईयू) में आग से प्रभावित देश ब्रसेल्स (ईयू की राजधानी) से सहायता के लिए आवेदन कर सकते हैं. जैसे कि यूनान में दूसरे देशों के 500 से ज्यादा अग्निशमन कर्मी बुलाए गए और ईयू ने आग बुझाने वाले नौ अतिरिक्त विमान भी रवाना किए. ये तमाम मदद ईयू की आपदा राहत प्रणाली के जरिए मुहैया कराई जाती है.

इसके अलावा, ईयू सॉलिडेरिटी फंड (एकजुटता कोष) के जरिए भी पुनर्निर्माण के लिए आर्थिक मदद हासिल की जा सकती है. लेकिन उसके लिए यूरोपीय संसद की मंजूरी जरूरी है.

एक स्टेडियम के भीतर बनाए गए बचाव केंद्र में बैठे पर्यटक, जिन्हें रोड्स द्वीप पर लगी आग से सुरक्षित निकाला गया
ग्रीस में 2023 की गर्मी की छुट्टियों का अंततस्वीर: Argyris Mantikos/Eurokinissi/AP/picture alliance

यूरोप के दक्षिण में आग की घटनाएं और पर्यटन

जैसे जर्मनी के लिए कार उद्योग जरूरी है, उसी तरह ग्रीस के लिए भी पर्यटन उद्योग अहम है. यूनान का करीब 20 फीसदी आर्थिक उत्पादन पर्यटन से आता है. स्पेन और इटली में ये क्रमशः 12 और नौ फीसदी है.

लेकिन दक्षिणी यूरोप के पर्यटक स्थल, आने वाले दिनों में गरमी और जंगल की आग की वजह से अपना आकर्षण खो सकते हैं. अंतरराष्ट्रीय रेटिंग्स एजेंसी मूडीज की हालिया रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि अगर ऐसा हुआ, तो अर्थव्यवस्था पर चोट पहुंचेगी.

जलवायु मॉडलों पर आधारित एजेंसी के आकलनों के मुताबिक, तपिश के विभिन्न परिदृश्यों को देखते हुए टूरिस्ट ठिकानों के रूप में तटीय इलाकों का आकर्षण काफी कम हो जाएगा. वहीं उत्तरी क्षेत्र के ज्यादातर देशों की ओर पर्यटकों का रुझान बढ़ेगा.

जर्मनी की हार्स यूनिवर्सिटी में पर्यटन शोध संस्थान के निदेशक हेराल्ड साइज कहते हैं कि भले ही जलवायु मॉडलों में तपिश, सूखे और आग की आशंका जताई गई है, लेकिन "भूमध्यसागरीय क्षेत्र में पर्यटन रातोंरात ढह नहीं जाएगा." उन्होंने जर्मन टीवी चैनल जेडडीएफ को बताया कि उन्हें पर्यटन के मौसमों में बदलाव की उम्मीद है, क्योंकि हो सकता है कि पर्यटक भूमध्यसागरीय क्षेत्र में गर्मियों की बजाय वसंत या सर्दी में छुट्टियां बिताने के लिए आना पसंद करें. 

स्विट्जरलैंड की सेंट गैलन यूनिवर्सिटी में पर्यटन और परिवहन के शोध केंद्र से जुड़े पेट्रो बेरितेली का कहना है, "जंगलो की आग और दूसरी मौसमी अतिशयताएं लोगों के नजरिए में अलग-थलग क्षेत्रीय घटनाएं होती हैं और वे रुकावट नहीं बनतीं. लोगों में भूल जाने की प्रवृत्ति होती है." उन्होंने डीडब्लू को बताया कि दुबई और लास वेगास जैसे ठिकाने दिखाते हैं कि अतिशय गर्मी लोगों को उन जगहों की यात्रा करने से रोक नहीं पाती है.

हवा से आग बुझाने की कोशिश
जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए नए तौर-तरीकों को तलाशने की जरूरत है. तस्वीर: EDDIE SIGUENZA/US ARMY/piemags/IMAGO

पर्यटन को बचाने के नए तरीके

योहान गोल्डामर जर्मनी के फ्राइबुर्ग शहर में ग्लोबल फायर मॉनिटरिंग सेंटर (जीएफएमसी) के निदेशक हैं. आने वाले समय में जंगलों की आग पर काबू पाने के लिए वो नए तौर-तरीकों को खंगालने पर जोर देते हैं.

उन्होंने डीडब्लू को बताया, "शहरीकरण की वजह से बहुत ज्यादा जमीन परती छूट जाती है. जलवायु बदलती है, तो उसके साथ सूखे की अवधियां और लू भी आती हैं. इससे जमीन पर और मार पड़ती है और ऐसे में आग का भड़कना निश्चित है." 

गोल्डामर मानते हैं कि पर्यटन को "ज्यादा टिकाऊ और भागीदारी वाला" बनना चाहिए. वह कहते हैं कि मास टूरिज्म में कटौती करनी होगी. साथ ही, उस अवधारणा पर जोर देना होगा जिसके तहत यात्री या पर्यटक, मिसाल के लिए, ग्रीक किसानों के जैतून की खेती या अंगूर के बागान में जाकर उनकी मदद करें.

2021 में ग्रीक द्वीप इयुबोइआ में लगी विनाशकारी आग के बाद, गोल्डामर ने अपने प्रस्ताव यूनानी सरकार के समक्ष पेश किए. प्रस्तावों में लंबी अवधि तक भू-उपयोग की अवधारणा और आग पर काबू पाने के उपाय भी शामिल हैं. गोल्डामर कहते हैं कि सिर्फ अग्निशमन क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की बजाय रोकथाम के उपाय को आगे रखना चाहिए.

2017 में जंगलों की आग से हुए नुकसान के बाद पुर्तगाल ने ठोस उपाय किए थे. जैसे कि, आग को भड़कने से रोकने की कोशिश के तहत सरकार ने यूकेलिप्टस के पेड़ों को दोबारा लगाने पर रोक लगा दी क्योंकि वे बहुत आसानी से आग पकड़ते हैं. ईएफएफआईएस के ताजा डेटा से पता चलता है कि पुर्तगाल में वैसी भयंकर आग नहीं भड़कती जैसी कि स्पेन, इटली और यूनान में.

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