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"नो फार्मर्स नो फूड" नारे के साथ नीदरलैंड्स में प्रदर्शन

१५ जुलाई २०२२

नीदरलैंड्स में किसान उग्र प्रदर्शन कर रहे हैं. सरकार रासायनिक खाद के अति इस्तेमाल को काबू में करना चाहती है. किसान फैसले को अपने पेट पर लात मारने की तरह देख रहे हैं.

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नीदरलैंड्स में हइवे जाम कर प्रदर्शन करते किसान
तस्वीर: Vincent Jannink/ANP/dpa/picture alliance

नीदरलैंड्स की सरकार नाइट्रोजन ऑक्साइड और अमोनिया के उत्सर्जन पर नियंत्रण की योजना बना रही है. ये दोनों रसायन मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ा देते हैं, लेकिन इसके साथ ही अम्लीयता बढ़ने का कारण धीरे धीरे मिट्टी खराब भी होने लगती है. दोनों रसायनों को घटती जैवविविधता के लिए भी जिम्मेदार माना जा रहा है. खाद से निकली नाइट्रोजन जब आबोहवा में घुलती है तो ये स्मॉग पैदा करती है. इसके अतिसूक्ष्म कण लोगों की सेहत के लिए खतरनाक होते हैं.

2019 में नीदरलैंड्स की कांउसिल ऑफ स्टेट, देश की सर्वोच्च प्रशासनिक अदालत और संसदीय सलाहकार समिति ने नाइट्रोजन उत्सर्जन को लेकर जारी नीतियों को नाकाफी बताया था. इसके बाद सरकार कड़े कदम उठाने पर मजबूर हुई.  जून 2022 में सरकार ने नाइट्रोजन उत्सर्जन में कटौती के लिए एक विस्तृत योजना पेश की. प्लान के तहत देश 2030 तक नाइट्रोजन उत्सर्जन में 50 फीसदी की कटौती करेगा. इस बदलाव से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए 24.3 अरब यूरो का फंड भी बनाया जाना है. प्रांतीय सरकारों को उत्सर्जन कम करने की योजना पेश करने के लिए एक साल का समय दिया गया है.

घास के गट्ठरों से हाइवे जाम करते नीदरलैंड्स के किसान
घास के गट्ठरों से हाइवे जाम करते नीदरलैंड्स के किसानतस्वीर: Rob Engelaar/ANP/dpa/picture alliance

सरकार का साफ संदेश

सरकार का कहना है कि सख्त कदम उठाने ही होंगे. सरकार ने किसानों का जिक्र करते हुए अपने बयान में कहा है, "कैसे और किस तरह वे अपना कारोबार कर सकते हैं. मंत्री को किसानों के लिए तीन विकल्प दिखते हैं, टिकाऊ तरीका, कहीं और जाना या काम बंद करना." सरकार का तर्क है कि एक साल के भीतर किसान पूरी योजना और उसके फायदे समझ जाएंगे.

फिलहाल नीदरलैंड्स के किसान गुस्से में हैं. हाल के दिनों में देश के कुछ हिस्सों में हाइवे पर घास के गट्ठरों में आग लगा दी गई. सुपरमार्केटों में खाने पीने का सामान की रैकें खाली हो गईं. नाराज किसानों ने डिस्ट्रीब्यूशन सेंटरों को ब्लॉक कर दिया. तनाव इस कदर पढ़ गया कि पुलिस ने एक ट्रैक्टर पर गोली चला दी.

नीदरलैंड्स में कृषि और पशुपालन से अच्छी आमदनी होती है. हालांकि यूरोप के बाकी देशों की तरह नीदरलैंड्स के किसान भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले रसायनों का खूब इस्तेमाल करते हैं. सेहत और जैवविविधता के साथ ही ये रसायन भूजल को भी दूषित करते हैं. यही वजह है कि तमाम पर्यावरण संगठनों के साथ साथ आम लोग भी सरकार की नीतियों का समर्थन कर रहे हैं.

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नीदरलैंड्स के किसानों के प्रदर्शन में भी नो फार्मर्स नो फूड का नारा
नीदरलैंड्स के किसानों के प्रदर्शन में भी नो फार्मर्स नो फूड का नारातस्वीर: Lars Klemmer/dpa/picture alliance

क्या कहते हैं किसान

41 साल के याप सेगवार्ड एक डेयरी किसान हैं. उनका फार्म 200 एकड़ में फैला है. सेगवार्ड के पास 180 मवेशी हैं, जिनमें ज्यादातर गाय हैं. सेगवार्ड का परिवार पांच पुश्तों से यही काम कर रहा है. तीन बच्चों के पिता याप सेगवार्ड से जब यह पूछा गया कि क्या वे अपने बच्चों को भी पारिवारिक पेशा अपनाने के लिए प्रेरित करेंगे तो उनका जवाब था, "मैं कहूंगा कि ऐसा सोचना भी मत. इसमें बहुत ज्यादा चिंताएं हैं. जिंदगी बहुत खूबसूरत है और फिलहाल कृषि क्षेत्र में जो कुछ हो रहा है, ये उसके बारे में चिंता करने के लिए नहीं है."

सरकार ने सेगवार्ड के फॉर्म के सामने 12 फीसदी उत्सर्जन घटाने का लक्ष्य रखा है. सेगवार्ड कहते हैं, "एक आम इंसान इस वक्त नीदरलैंड्स को नाइट्रोजन प्रदूषक के तौर पर देख रहा है, जबकि हम फूड प्रोड्यूसर भी हैं. ऐसा लगता है जैसे लोग यह भूल चुके हैं."

1.75 करोड़ की आबादी वाले नीदरलैंड्स में ज्यादातर लोग ग्रामीण इलाकों में रहते हैं. देश में रजिस्टर्ड दुधारू पशुओं की संख्या 15.7 लाख है. 2019 में नीदरलैंड्स के किसानों ने 94.5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद निर्यात किए.

किसानों का लॉबी संगठन एलटीओ सरकार के रुख से नाराज है. एलटीओ नीदरलैंड्स के लगभग आधे 30,000 फॉर्मों का प्रतिनिधित्व करता है. संगठन का कहना है कि सरकार नई खोजों और कृषि के टिकाऊ तरीकों पर ध्यान देने के बजाए मवेशियों की संख्या कम करने और फार्म खरीदने पर जोर दे रही है.

ओएसजे/एनआर (एपी, एएफपी)