तो क्या जिराफ भी विलुप्त हो जाएगा!
पीले-भूरे चकत्तों से भरी चमकीली त्वचा और लंबी गर्दन वाला जिराफ दुनिया का सबसे लंबा जीव है. जिन जीवों को संरक्षण की जरूरत है, उनका नाम याद करिए तो शायद आप भी जिराफ को नहीं गिनेंगे. जबकि इसकी आबादी लगातार घट रही है.
जी फॉर जिराफ
जिराफ से हमारी पहचान बचपन जितनी पुरानी है. अंग्रेजी वर्णमाला सीखते हुए हमें सिखाया जाता है, जी फॉर जिराफ. एक शाकाहारी जीव, जिसका पसंदीदा खाना है अकेशिया के पत्ते. इस प्रजाति के पौधे उष्णकटिबंधीय और कटिबंधीय इलाकों में पाए जाते हैं. जिराफ भी इसी आबोहवा का जीव है. अफ्रीका के करीब 21 देश हैं, जो जिराफ का कुदरती घर माने जाते हैं. इसकी कई प्रजातियां और उपप्रजातियां हैं.
इतनी ऊंचाई तक कैसे पहुंचती है जिराफ की जीभ
अकेशिया के पौधों का आकार अनूठा होता है. इसका ऊपरी हिस्सा ऐसा दिखता है मानो किसी ने छाता तान दिया हो. अपनी लंबी गर्दन के सहारे जिराफ की जीभ बड़े आराम से इसके ऊपरी हिस्सों तक पहुंच जाती है. जिराफ की तो जीभ भी बड़ी लंबी होती है. इसका आकार 18 इंच तक हो सकता है. यानी, सामान्य आकार की लगभग तीन पेंसिलों जितना लंबा. वहीं, हमारी-आपकी (वयस्क) जीभ की औसत लंबाई 3.1 (महिलाएं) से 3.3 इंच (पुरुष) ही होती है.
अभी जीभ का वर्णन खत्म नहीं हुआ
जिराफ की जीभ 'प्रिहेंसिबल' होती है, यानी ऐसी लपलपाने वाली जिसकी मदद से उसे चीजों को पकड़ने या अपनी ओर खींचने में मदद मिलती है. जैसे कि हाथी की सूंड. अपनी इस खास जीभ की मदद से ऊंचाई की टहनियों पर लगे पत्ते अपनी तरफ खींच लेता है. वो कांटों के बीच से पत्ते चुनकर खा लेता है, बिना अपनी जीभ घायल किए. इसमें खास तरह की एक गोंदनुमा परत भी होती है, जो जीभ को सुरक्षित रखने में मदद करती है.
गजब की पाचन शक्ति
क्लीवलैंड जूलॉजिकल सोसायटी के मुताबिक, जिराफ की जीभ किसी भी अन्य जानवर से ज्यादा मजबूत होती है. जिराफ खूब पेटू जीव है. उसे बहुत भूख लगती है और वो ज्यादातर वक्त खाता-पीता ही नजर आता है. नेशनल जिओग्रैफिक के मुताबिक, एक जिराफ दिनभर में 45 किलो तक पत्तियां और टहनियां खा सकता है. काफी अच्छा मेटाबॉलिजम है ना!
तेज धावक
इंसानों में छह फुट खासा लंबा माना जाता है ना! नैशनल जियोग्रैफिक सोसायटी के मुताबिक, इतने तो जिराफ के पांव ही होते हैं. लंबे पैरों से कुलांचे भरता हुआ वो करीब 56 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकता है.
कद के फायदे भी, नुकसान भी
लंबे कद के कारण वो खतरे को दूर से देख सकता है. हालांकि, कद का एक नुकसान यह है कि उसे छोटे स्रोतों से पानी पीने में दिक्कत आती है, अपने पैर छितराकर बैठना पड़ता है. ऐसे में कई बार बड़े जीव हमला भी कर सकते हैं. वैसे उसे रोज पानी की जरूरत नहीं पड़ती. शरीर में तरल की ज्यादातर जरूरत पत्तियों से पूरी हो जाती है.
सबके पास अपने-अपने खास 'चकत्ते'
हम इंसानों के फिंगर प्रिंट की तरह सभी जिराफ के अपने-अपने चकत्तों का खास पैटर्न होता है. ये बड़े सामाजिक जीव माने जाते हैं और आमतौर पर शांति से रहते हैं. इनके सोने का तरीका भी बड़ा दिलचस्प है. आमतौर पर ये खड़े-खड़े सोते हैं. बमुश्किल ही कभी लेटते हैं. यहां तक कि मादा जिराफ भी खड़े-खड़े ही बच्चे को जन्म देती है.
थोड़ा सा सोकर ही काम चल जाता है
सैन डिएगो चिड़ियाघर की वेबसाइट पर मिला कि जिराफ को लंबी नींद की जरूरत ही नहीं पड़ती. वो दिनभर में पांच मिनट से आधे घंटे तक की नींद लेते हैं. सोते समय कोई उनपर हमला ना कर दे, इसलिए झुंड का कोई एक सदस्य जागकर बाकियों की रखवाली करता है.
क्या जिराफ की आबादी फल-फूल रही है?
जिराफ की संख्या तेजी से घट रही है. वन्यजीवन और जलवायु संकट से जुड़े विषयों पर काम करनी वाली संस्था 'नैचुरल रिसोर्सेज डिफेंस काउंसिल' के मुताबिक, जिराफ गंभीर संकट का सामना कर रहे हैं. बीते तीन दशकों में उनकी आबादी करीब 40 प्रतिशत कम हो गई है.
मंडरा रहा है विलुप्त होने का खतरा
इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर (आईयूसीएन) की रेड लिस्ट में इन्हें "वलनरेबल" श्रेणी में रखा गया है. यानी, उनके विलुप्त होने का जोखिम है. अनुमान है कि कुदरती परिवेश में इनकी संख्या बस 117,000 बची है. इंटरनेशनल फंड फॉर एनिमल के मुताबिक, 2016 से पहले ये सबसे कम चिंता वाले जीवों की श्रेणी में थे. सिकुड़ता प्राकृतिक आवास और पोचिंग इनके लिए सबसे बड़ा खतरा साबित हो रहे हैं.
इंसानों से है खतरा
नैचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के मुताबिक, जिराफ को उसकी त्वचा, मस्तिष्क और बोन मैरो जैसी चीजों के लिए पोच किया जा रहा है. तंजानिया, जहां का वह राष्ट्रीय जीव है, वहां कई लोग मानते हैं कि जिराफ के अंगों से एचआईवी-एड्स का इलाज हो सकता है. कई समुदायों में मांस के लिए भी उनका शिकार किया जाता है.