2021 के साहित्य पुरस्कारों पर हावी रहा अफ्रीका
नोबेल हो या बुकर, साल 2021 के सबसे बड़े साहित्यिक पुरस्कार अफ्रीकी लेखकों ने ही जीते हैं. एक नजर अफ्रीका के साहित्य को विश्व मंच पर लाने वाले इन लेखकों और उनकी कृतियों पर.
अब्दुलरजाक गुरनाह
तंजानियाई मूल के अब्दुलरजाक गुरनाह को 2021 के साहित्य नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया. गुरनाह जंजीबार सल्तनत में पैदा हुए थे और 1960 के दशक में जंजीबार क्रांति के दौरान यूके चले गए थे. उनकी किताबों में "पैराडाइस", "डेजर्शन" और "बाई द सी" शामिल हैं.
डेमन गालगुट
दक्षिण अफ्रीका के डेमन गालगुट ने अपनी किताब "द प्रॉमिस" के लिए 2021 का ब्रिटेन का बुकर पुरस्कार जीता. उनके पहले उन्हीं के देश के नदिन गोर्डिमर और जे एम कोएट्जी भी बुकर जीत चुके हैं.
मोहम्मद बुगर सार
सेनेगल के रहने वाले 31 साल के मोहम्मद बुगर सार फ्रांस का प्रतिष्ठित प्री गोन्कुअर पुरस्कार जीतने वाले उप-सहारा अफ्रीका के पहले लेखक बने. सार की किताब "द मोस्ट सीक्रेट मेमरी ऑफ मेन" साहित्य की दुनिया पर ही आधारित है.
डेविड डिओप
सेनेगल के ही रहने वाले डेविड डिओप ने इस साल का अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीता. उनकी किताब "ऐट नाइट ऑल ब्लड इस ब्लैक" प्रथम विश्व युद्ध में भाग ले रहे एक सैनिक के पागल होने की कहानी है.
बूबकर बोरिस डिओप
बूबकर बोरिस डिओप को इस साल के प्री नुश्टाट से सम्मानित किया गया. डिओप नाटक भी लिखते हैं और इसके अलावा संपादक भी हैं. उन्होंने सेनेगल के अखबार 'सोल' की स्थापना की थी.
पॉलिना चिजिआने
मोजाम्बिक की पॉलिना चिजिआने ने इस साल का प्री कैमो पुरस्कार जीता. पॉलिना पुर्तगाली भाषा में उपन्यास और लघु कहानियां लिखती हैं.
अफ्रीका में रूचि
पेरिस के सोर्बोन में अफ्रीकी साहित्य पढ़ाने वाले जेवियर गार्नियेर कहते हैं, "यूरोपीय साहित्य की दुनिया में अफ्रीका को लेकर रूचि का पुनर्जागरण हो रहा है." उनका मानना है कि संभव है यह इस वजह से हो रहा हो क्योंकि अफ्रीका में अभी वो सभी समस्याएं नजर आ रही हैं जो भविष्य में हम सभी के सामने आने वाली हैं, चाहे वो पर्यावरणीय संकट हो या सामाजिक संकट. (एएफपी)