1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

इतिहास बदल सकता है माउंट एवरेस्ट में खोया एक कैमरा

ओंकार सिंह जनौटी
२३ जुलाई २०२१

क्या एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले इंसान नहीं थे? इन दोनों से 30 साल पहले दो ब्रिटिश पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट के लिए निकले. उनके राज एक सदी से एवरेस्ट की ढाल में दबे हैं.

https://p.dw.com/p/3xuYI
1924 में एवरेस्ट के बेस कैंप पर मालोरी और उनकी टीम.
1924 में एवरेस्ट के बेस कैंप पर मालोरी और उनकी टीम. मालोरी (बिना टोपी के)तस्वीर: imago

एडमंड हिलेरी और तेनजिंग नॉर्गे से पहले 1924 में दो ब्रिटिश पर्वतारोही माउंट एवरेस्ट पर फतह करने के लिए निकले थे. इन पर्वतारोहियों का नाम था जॉर्ज मालोरी और एंड्रयू इरविन. 4 जून 1924 को मालोरी और इरविन एडवांस बेस कैंप से माउंट एवरेस्ट के लिए निकले. 7-8 जून को दोनों करीब 8,000 मीटर की ऊंचाई पर थे. लेकिन तभी बादल लग गए. 9 जून को भी आसमान बादलों से घिरा रहा लेकिन जब मौसम साफ हुआ तो मालोरी और इरविन का कोई सुराग नहीं मिला. 38 साल के मालोरी और 22 साल के इरविन दुनिया की सबसे ऊंची चोटी से कभी नहीं लौट सके.

रिसर्चरों और पर्वतारोहियों में आज भी यह बहस होती है कि क्या मालोरी और इरविन शिखर पर चढ़ते समय मारे गए या उससे नीचे उतरते समय? नोएल ओडल वह आखिरी शख्स थे जिन्होंने दोनों को जिंदा देखा था. ओडल के मुताबिक वे दोनों एवेस्ट के बहुत ही करीब थे. ओडल ने उनकी पोजिशन का हवाला देते हुए कहा कि उन्हें पूरा यकीन है कि मालोरी और इरविन अभियान में सफल रहे होंगे.

माउंट एवरेस्ट
कई दशक बाद मिले मालोरी और इरविन के शवतस्वीर: Imago Images/ZUMA/Keystone

1933 में के खोजी अभियान में कैंप 6 से थोड़ा सा ऊपर इरविन की बर्फ काटने वाली कुल्हाड़ी मिली. कई रिसर्चर मानते हैं कि इतनी नीचे मिली कुल्हाड़ी चोटी से वापस लौटने की निशानी है. 1975 में एवरेस्ट से थोड़ा नीचे इरविन का शव मिला. इरविन की कुल्हाड़ी के पास ही 1999 में बर्फ में जमा मालोरी का शव मिला. शव काफी हद तक सुरक्षित था. उनकी जेब में एक बिल और कुछ नोट्स थे.

कोडैक कैमरे की खोज

माउंट एवरेस्ट अभियान को डॉक्यूमेंट करने के लिए मालोरी और इरविन कोडैक कंपनी का एक कैमरा भी लेकर गए थे. अभियान शुरू करने से पहले दोनों ने कहा था कि वे आकाश को छूने वाली चोटी पर फोटो लेंगे. यह कैमरा आज भी सगरमाथा (नेपाली में एवरेस्ट) की ढलान में गुम है. आज भी इस कैमरे को खोजने की कोशिश जारी है. कई नेपाली पर्वतारोहियों को इस कैमरे को सहेजने की ट्रेनिंग भी दी गई.

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, एवरेस्ट की रुखी और सर्द परिस्थितियां कैमरे की फिल्म को सुरक्षित रखने के लिए मुफीद हैं. बेहद ऊंचाई के कारण बर्फीले पहाड़ों में बारिश नहीं होती है. वहां सीधे बर्फ ही गिरती है.

विशेषज्ञों के मुताबिक फिल्म अगर खराब भी हो गई होगी तो भी उस पर पड़े रिफ्लेक्शन को रिक्रिएट किया जा सकता है. इसी रिक्रिएशन के आधार पर पता लगाया जा सकता है कि क्या मालोरी और इरविन एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले इंसान तो नहीं थे? मौजूदा रिकॉर्ड यही कहते हैं कि 1953 में न्यूजीलैंड के पर्वतारोही सर एडमंड हिलेरी और नेपाल के तेनजिंग नॉर्गे माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाले पहले इंसान बने.

पर्वत कैसे बढ़ते हैं जानिए