डब्ल्यूएचओ: दुनिया भर में करोड़ों बच्चे घरेलू हिंसा से पीड़ित
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कहा कि दुनिया भर में करोड़ों बच्चे और किशोर अपने घरों, स्कूलों और अन्य जगहों पर हर रोज हिंसा का सामना करते हैं, जिसका आजीवन प्रभाव पड़ सकता है.
बच्चों के साथ कहां-कहां हिंसा
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बच्चों के साथ होने वाली हिंसा को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. डब्ल्यूएचओ का कहना है कि दुनियाभर के करोड़ों बच्चों के साथ घर या स्कूल में हिंसा होती है और यह अक्सर बंद दरवाजे के पीछे होती है.
घर पर भी नहीं सुरक्षित बच्चे
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक हिंसा में परिवार के सदस्यों द्वारा पिटाई और स्कूलों में उत्पीड़न के साथ-साथ शारीरिक, भावनात्मक और यौन हिंसा भी शामिल हैं.
बच्चों पर असर
घर या स्कूल में होने वाली हिंसा बच्चों के मनोविज्ञान पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और उनके व्यक्तित्व पर बुरा असर पड़ता है.
हिंसा के शिकार
रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में हर साल 2 से 17 साल की उम्र के बीच के कुल एक अरब नाबालिग बच्चे हिंसा के शिकार होते हैं.
लड़कियों के लिए अधिक जोखिम
पांच में से तीन बच्चों और किशोरों के मामले में घर पर शारीरिक हिंसा होती है, पांच में से एक लड़की और सात में से एक लड़का यौन हिंसा का सामना करता है.
बच्चों के जीवन पर हिंसा का असर
डांटना, मारना, मौखिक दुर्व्यवहार और अपमान जैसे व्यवहार बच्चों पर महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाल सकते हैं, जिसमें चिंता, अवसाद, नशीली दवाओं की लत, आपराधिक व्यवहार आदि शामिल हो सकते हैं, यहां तक कि कुछ बच्चों की सीखने की क्षमता भी प्रभावित हो सकती है.
"हिंसा एक कड़वी सच्चाई"
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस अधानोम गेब्रियासुस के मुताबिक, "रोकथाम के तमाम उपायों के बावजूद, दुनिया भर में करोड़ों बच्चों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है और यह हमारे समाज की एक कड़वी सच्चाई है." एए/वीके (डीपीए)