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गाम्बिया:बच्चों की मौत के बाद जांच के घेरे में भारतीय कंपनी

६ अक्टूबर २०२२

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत में मेडेन फार्मास्यूटिकल द्वारा बनाए गए खांसी-जुकाम के चार कफ सिरप पर बुधवार को अलर्ट जारी किया. संगठन ने चेतावनी दी कि ये सिरप गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत से जुड़े हो सकते हैं.

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तस्वीर: Bilderbox/picture alliance

संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने यह भी चेतावनी दी कि दूषित दवाएं पश्चिम अफ्रीकी देश के बाहर वितरित की गई होंगी. डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक तेद्रोस अधनोम गेब्रयेसुस ने पत्रकारों से कहा कि चार कफ सिरप जो सवालों में हैं वह "संभावित रूप से गुर्दे की गंभीर दिक्कतों और 66 बच्चों की मौतों से जुड़े हुए हैं." 

तेद्रोस ने कहा कि डब्ल्यूएचओ "भारत में कंपनी और नियामक प्राधिकरणों के साथ आगे की जांच कर रहा है."

डब्ल्यूएचओ द्वारा बुधवार को जारी मेडिकल प्रोडक्ट अलर्ट के मुताबिक चार उत्पादों में प्रोमिथाइजिन ओरल सॉल्यूशन, कोफेक्समेलिन बेबी कफ सिरप, मैकॉफ बेबी कफ सिरप और मैग्रीप एन कोल्ड सिरप हैं.

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गुरुवार को गाम्बिया के अधिकारियों ने पश्चिमी तट क्षेत्र और ऊपरी नदी क्षेत्र में ग्रामीण परिवारों से पैरासिटामोल और प्रोमेथाजिन सिरप इकट्ठा करना शुरू किया.

सवालों में भारत में बने सिरप

जुलाई में गाम्बिया के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एक जांच शुरू की गई थी जो अब भी जारी है. उसने ई कोलाई बैक्टीरिया को किडनी की खराबी से बच्चे की मौत के लिए संभावित कारण के रूप में पाया था.

स्वास्थ्य मंत्रालय की जांच का नेतृत्व करने वाले नेफ्रोलॉजिस्ट अबुबक्र जाग्ने ने बुधवार को समाचार एजेंसी एएफपी को बताया, "जांच के शुरुआती नतीजों से संकेत मिलता है कि यह संभवतः पैरासिटामोल और प्रोमिथाइजिन सिरप है जो इस प्रकोप में गुर्दे की गंभीर दिक्कतों के मामलों का कारण बनता है."

स्वास्थ्य अधिकारियों ने 23 सितंबर को पैरासिटामोल या प्रोमिथाइजिन सिरप वाली सभी दवाओं को वापस लेने का आदेश दिया था.

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66 बच्चों की मौत के बाद जांच

गाम्बिया ने जुलाई में सालों में अपनी सबसे गंभीर बाढ़ का अनुभव किया था. जिससे सीवर और शौचालयों ओवरफ्लो हो गए. मंत्रालय ने सितंबर में एक बयान में कहा, "जुलाई 2022 के बाद से गुर्दे की गंभीर बीमारी की संख्या में वृद्धि हुई है, जिसमें मुख्य रूप से डायरिया से होने वाली बीमारियों के कारण बच्चों में उच्च मृत्यु दर है."

बयान में कहा गया था कि कई बच्चों के मल में ई कोलाई बैक्टीरिया पाए गए, लेकिन कई ने पैरासिटामोल सिरप भी लिया था.

डब्ल्यूएचओ के अलर्ट में कहा गया, "आज तक, दवा निर्माता ने इन उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता पर डब्ल्यूएचओ को कोई गारंटी नहीं दी है."

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साथ ही डब्ल्यूएचओ ने कहा, "उत्पादों के नमूनों के प्रयोगशाला विश्लेषण से इस बात की पुष्टि होती है कि उनमें डायथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल की अस्वीकार्य मात्रा पाई गई."

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वे पदार्थ इंसानों के लिए घातक हो सकते हैं. इसके खतरनाक प्रभाव से "पेट में दर्द, उल्टी, दस्त, पेशाब न होना, सिरदर्द, बदली हुई मानसिक स्थिति और किडनी की समस्या हो सकती है, जिससे जान भी जा सकती है."

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से मिली जानकारी से संकेत मिलता है कि निर्माता ने गाम्बिया को दूषित दवाओं की आपूर्ति की थी.

डब्ल्यूएचओ ने एक ईमेल में कहा, "हालांकि, अफ्रीका के अन्य देशों में अनौपचारिक या अनियमित बाजारों के माध्यम से इन दवाओं की आपूर्ति से इनकार नहीं किया जा सकता है."

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दो सूत्रों के हवाले से कहा कि देश में निर्मित कफ सिरप के इस्तेमाल से जुड़े गाम्बिया में दर्जनों बच्चों की मौत की जांच भारत कर रहा है.

सूत्र ने बताया कि भारत सरकार ने डब्ल्यूएचओ से बच्चों की मौत से जुड़ी रिपोर्ट साझा करने को कहा है जिसमें मौत के लिए कफ सिरप को जिम्मेदार ठहराया गया है.

जिस कंपनी ने यह सिरप बनाए हैं उसका नाम मेडेन फार्मास्यूटिकल है, उसने अलर्ट पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है.

एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)

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