पैरों से निशाना लगाने वाली भारत की तीरंदाज
शीतल देवी पैरालंपिक में मेडल जीतने वाली भारत की सबसे युवा खिलाड़ी बन गई हैं. उनकी उम्र महज 17 साल है.
एक अंक के अंतर से मिली जीत
शीतल देवी और राकेश कुमार की जोड़ी ने तीरंदाजी के 'मिक्स्ड कंपाउंड ओपन इवेंट' में ब्रॉन्ज मेडल जीता. उन्होंने इटली की प्रतिद्वंद्वी जोड़ी को रोमांचक मुकाबले में एक अंक के अंतर से हराया. दोनों टीमों का स्कोर 156-155 रहा.
बीमारी की वजह से नहीं हैं दोनों हाथ
शीतल देवी का जन्म साल 2007 में जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में हुआ था. उन्हें जन्म के समय से ही फोकोमेलिया नाम की एक दुर्लभ बीमारी है. इसके कारण उनकी दोनों बाहें पूरी तरह विकसित नहीं हो पाईं.
पेड़ों पर चढ़ने का था शौक
शारीरिक चुनौतियों के बावजूद शीतल के अंदर एथलेटिक प्रतिभा थी. उन्हें बचपन में पेड़ों पर चढ़ने का शौक था. इससे उनके शरीर का ऊपरी हिस्सा मजबूत हुआ, जो बाद में उनके बहुत काम आया.
सेना के प्रशिक्षकों ने पहचानी प्रतिभा
ओलंपिक की वेबसाइट पर मौजूद जानकारी के मुताबिक, शीतल के करियर को आगे बढ़ाने में भारतीय सेना ने अहम भूमिका निभाई. सेना के प्रशिक्षकों ने ही उनकी एथलेटिक क्षमता और आत्मविश्वास को पहचाना था.
मैट स्टुट्जमैन से मिली प्रेरणा
प्रशिक्षकों ने पहले सोचा कि शीतल को प्रोस्थेटिक (कृत्रिम) हाथ लगाया जाए, लेकिन इससे काम नहीं बना. फिर प्रशिक्षकों को बिना हाथों वाले तीरंदाज, मैट स्टुट्जमैन के बारे में पता चला, जिन्होंने 2012 के लंदन पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीता था.
पैरों की मदद से चलाए तीर
फिर शीतल ने स्टुट्जमैन की तरह ही पैरों की मदद से तीरंदाजी शुरू की. उन्होंने मार्च-अप्रैल 2022 में पैरा-तीरंदाजी राष्ट्रीय चैंपियनशिप में हिस्सा लिया. उनके कोच वेदवान के मुताबिक, इससे उन्हें पैरा-तीरंदाज के तौर पर पहचान मिली.
2023 में गाड़े सफलता के झंडे
शीतल देवी ने 2023 विश्व चैंपियनशिप में सिल्वर और एशियन पैरा गेम्स में एक गोल्ड और सिल्वर मेडल जीता. इसके बाद वह पैरा कंपाउंड तीरंदाजी में विश्व की नंबर एक खिलाड़ी बन गईं. साल 2023 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड भी दिया गया.
क्या होती है कंपाउंड तीरंदाजी
तीरंदाजी दो तरह की होती है, रिकर्व और कंपाउंड. इनमें मुख्य अंतर इस्तेमाल होने वाले धनुष का होता है. रिकर्व तीरंदाजी में सामान्य धनुष होता है, वहीं कंपाउंड के धनुष में पुली, केबल और लेंस लगा होता है. इसे चलाने में कम ताकत लगती है.