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पारंपरिक चिकित्सा को समर्थन देता विश्व स्वास्थ्य संगठन

१७ अगस्त २०२३

गुजरात के गांधीनगर में पारंपरिक चिकित्सा पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की पहली शीर्ष बैठक हो रही है. संस्था इन पद्धतियों के पीछे प्रमाण खोजने की कोशिश कर रही है लेकिन उस पर छद्म विज्ञान को बढ़ावा देने के आरोप लग रहे हैं.

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यूगांडा में एक हर्बल दवा लेता एक व्यक्ति
हर्बल दवातस्वीर: Nicholas Bamulanzeki/AP/picture alliance

संगठन ने एक बयान में कहा कि "दुनियाभर के लाखों लोगों सबसे पहले" पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों का रुख करते हैं. उसने यह भी कहा कि गांधीनगर की बैठक में नीतिनिर्माता और इन पद्धतियों के जानकार साथ मिल कर इनकी तरफ "राजनीतिक प्रतिबद्धता और प्रमाण-आधारित कार्रवाई" करवाने की कोशिश करेंगे.

बैठक का उद्घाटन करते हुए संगठन के मुखिया तेदरोस अधनोम घेब्रेयेसूस ने कहा, "डब्ल्यूएचओ पारंपरिक चिकित्सा के सुरक्षित, किफायती और न्यायोचित इस्तेमाल के प्रमाण और जानकारी इकठ्ठा करने की कोशिश कर रहा है जिनसे नीतियां, मानक और नियम बनाये जा सकें."

छद्म विज्ञान को बढ़ावा?

उन्होंने पहले चेतावनी दी थी कि ये पद्धतियां स्वास्थ्य सेवाओं तक "पहुंच की समस्याओं" को कम कर सकती है लेकिन ये तभी काम की सिद्ध होंगी अगर इन्हें "उचित, प्रभावशाली और - सबसे ज्यादा जरूरी - ताजा वैज्ञानिक प्रमाण के आधार पर सुरक्षित रूप से इस्तेमाल किया जाएगा."

इलाज के लिए पेड़ की राल निकालना
पेड़ की रालतस्वीर: S. Muller/WILDLIFE/picture alliance

लेकिन संगठन को कई आलोचकों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है जो उस पर छद्म विज्ञान को वैज्ञानिक प्रामाणिकता देने का आरोप लगा रहे हैं. ऐसा तब हुआ जब संगठन ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में पूछा कि क्या लोगों ने होम्योपैथी और नेचुरोपैथी जैसे इलाजों का इस्तेमाल किया है.

संगठन ने बाद में एक और पोस्ट में कहा कि उसने इन "चिंताओं" की तरफ ध्यान दिया है और माना कि "उसका संदेश और बेहतर तरीके से दिया जा सकता था."

गांधीनगर में हो रही दो दिवसीय बैठक शहर में हो रही जी20 देशों के स्वास्थ्य मंत्रियों की बैठक के साथ साथ हो रही है. नोबेल विजेता और डब्ल्यूएचओ साइंस काउंसिल के अध्यक्ष हेरोल्ड वरमुस ने वीडियो लिंक के जरिये बैठक को संबोधित किया.

मानकों पर खरा उतरने की जरूरत

उन्होंने कहा, "हमें असली जीवन के एक बेहद जरूरी तथ्य को मानने की जरूरत है कि पारंपरिक चिकित्सा का बहुत इस्तेमाल किया जाता है. यह समझना जरूरी है कि पारंपरिक चिकित्सा में कौन सी सामग्रियों का इस्तेमाल किया जाता है, वो कुछ मामलों में क्यों काम कर जाती हैं... और महत्वपूर्ण रूप से, हमें यह समझने और पहचानने की जरूरत है कि कौन सी पारंपरिक चिकित्साएं काम नहीं करती हैं."

इस बैठक को अब नियमित रूप से आयोजित करने की योजना है. इसके पहले पिछले साल गुजरात में ही डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिनखोला गया था. पारंपरिक चिकित्सा का दुनिया के कुछ हिस्सों में काफी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन इनकी कड़ी आलोचना भी की जाती है.

डब्ल्यूएचओ की पारम्परिक चिकित्सा की परिभाषा के मुताबिक यह स्वास्थ्य को बनाये रखने के लिए और शारीरिक और मानसिक बीमारियों को बचने, उनका पता लगाने और उनका इलाज करने के कुछ समय तक इस्तेमाल किया जाने वाला ज्ञान, कौशल और व्यवहार है.

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लेकिन कई पारंपरिक इलाजों का कोई सिद्ध किया हुआ वैज्ञानिक मूल्य नहीं है. संरक्षणकर्ताओं का कहना है कि इस उद्योग की वजह से बाघ, गेंडे और पैंगोलिन जैसे लुप्तप्राय जानवरों का भारी व्यापार होता है जिसे इनके लुप्त होने का खतरा बढ़ जाता है.

वैज्ञानिक आधार का महत्व

डब्ल्यूएचओ के शोध प्रमुख जॉन रीडर ने एक बयान में कहा, "पारंपरिक चिकित्सा के विज्ञान कोआगे बढ़ाते समय इस पर भी वही कड़े मानक लागू किये जाने चाहियें जो स्वास्थ्य के दूसरे क्षेत्रों में लागू होते हैं."

संगठन के 194 सदस्य देशों में से 2018 के बाद से 170 देशों ने पारंपरिक और कॉम्प्लिमेंटरी चिकित्सा के इस्तेमाल को स्वीकारा है, लेकिन सिर्फ 124 देशों ने बताया कि उनके पास हर्बल दवाओं के इस्तेमाल को लेकर नियम और कानून हैं.

170 देशों में से सिर्फ आधे देशों के पास इस तरह की प्रक्रियाओं और दवाओं को लेकर कोई राष्ट्रीय नीति है. संगठन ने कहा, "प्राकृतिक का मतलब हमेशा सुरक्षित नहीं होता है और सदियों से किसी चीज का इस्तेमाल उसकी गुणकारिता की गारंटी नहीं होता; इसलिए, जो कड़ा प्रमाण जरूरी है उसे पाने के लिए वैज्ञानिक तरीका और प्रक्रिया का इस्तेमाल होना ही चाहिए."

संगठन के मुताबिक इस समय इस्तेमाल किये जा रहे स्वीकृति प्राप्त फार्मास्यूटिकल उत्पादों में से करीब 40 प्रतिशत एक "प्राकृतिक उत्पाद" पर आधारित हैं. संगठन ने जानी मानी दवाओं के बारे में बताया है जो पारंपरिक दवाओं से बनाई जाती हैं, जैसे एस्पिरिन जो विल्लो वृक्ष की छाल के इस्तेमाल से बने फार्मूलेशन पर आधारित है.

सीके/एए (एएफपी)