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सेना में शामिल होने से बचने के लिये कहां भाग रहे हैं रूसी

६ अक्टूबर २०२२

21 सितंबर को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के आंशिक सेना जुटाने की घोषणा के बाद से सीमा से लगते राज्यों में रूसी लोगों की भीड़ उमड़ रही है. बड़ी संख्या में लोगों ने देश छोड़ा है, लेकिन ये लोग गये कहां?

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फौज में भर्ती के डर से देश छोड़ते रूसी
जॉर्जिया के रास्ते रूस से बाहर जाते रूसी नागरिकतस्वीर: AP/picture alliance

रूस छोड़ कर जाने वालों की कुल संख्यासही सही बताना मुश्किल है लेकिन मीडिया रिपोर्टों और पड़ोसी देशों से जारी आंकड़ों के आधार पर यह संख्या लाखों में बताई जा रही है. हालांकि इस संख्या में कई तरह के लोग शामिल हैं. मसलन सेना में भर्ती होने वाले लोगों के परिवारजन और दूसरे यात्री.

स्वतंत्र नोवाया गजेटा यूरोप ने रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन के सूत्रों के हवाले से 26 सितंबर को बताया कि 261,000 लोग सेना जुटाने का अभियान शुरू होने के बाद देश छोड़ चुके हैं. इस रिपोर्ट की स्वतंत्र रूप से पुष्टि की जा सकती है.

विमान के टिकटों के आंकड़े बता रहे हैं कि बड़ी संख्या में लोग देश से बाहर जा रहे हैं. 21 सितंबर से 27 सितंबर वाले हफ्ते में एकतरफा टिकटों की संख्या उससे पिछले हफ्ते के मुकाबले 27 फीसदी ज्यादा थी. यह आंकड़ा स्पेन की फॉरवर्डकीज के हैं जो रिजर्वेशन बुकिंग का विश्लेषण करती है.

रूसी रक्षा मंत्री सर्गेइ शोइगु ने 4 अक्टूबर को घोषणा की कि 300,000 पुरुषों की भर्ती की जानी है और अब तक 200,000 लोगों की भर्ती हो चुकी है.

रूस छोड़ कर जाते लोग
राष्ट्रपति पुतिन के एलान के बाद जॉर्जिया की सीमा पर कारों की कतार लग गई थीतस्वीर: AP/picture alliance

रूस से जाने वाले कहां जा रहे हैं

बाहर जाने वाले कुछ रूसियों ने कजाखस्तान का रुख किया है. रूस की कजाखस्तान के साथ सबसे लंबी जमीनी सीमा है और रूसी लोग वहां बिना पासपोर्ट और वीजा के जा सकते हैं.

कजाखस्तान के गृह मंत्रालय ने 3 अक्टूबर को बताया कि 21 सितंबर से अब तक 200,000 से ज्यादा रूसी देश में आये हैं. इसी अवधि में 147,000 लोग यहां से बाहर गये लेकिन उनकी आखिरी मंजिल कहां थी यह अभी साफ नहीं है.

रूसी नागरिक जॉर्जिया में भी बिना वीजा के जा सकते हैं. जॉर्जिया के गृह मंत्रालय के मुताबिक 21 सितंबर से 29 सितंबर के बीच 68,887 रूसी नागरिक देश में आये और 45,624 बाहर चले गये.

दोनों देशों में यह पता नहीं चल सका है कि वहां से बाहर जाने वाले कितने रूसी नागरिक किस तीसरे देश में गये हैं.

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फॉरवर्डकीज ने हवाई यात्रा के लिये की गई बुकिंग के आधार पर बताया है कि 27 सितंबर को खत्म हुए हफ्ते में रूस से त्बिलिसी, अलमाटी, इस्तांबुल, तेल अवीव और दुबई के लिये जाने वाले यात्रियों की संख्या में 100 फीसदी तक इजाफा हुआ.

रूसी नागरिकों के लिए तुर्की सैर सपाटे की पसंदीदा जगह है. मोबिलाइजेशन की घोषणा के बाद यहां रूसी यात्रियों और उड़ानों की संख्या बढ़ गई. एक शख्स ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि वह सेना में जाने से बचने के लिये तुर्की आया है.

आधिकारिक आंकड़े दिखाते हैं कि अगस्त के आखिर तक तुर्की आने वाले रूसी लोगों की संख्या 30 लाख थी जो पिछले साल की तुलना में 22 फीसदी ज्यादा है.

सेना में जाने के डर से देश छोड़ते रूसी
सैनिकों की भर्ती के लिए इस तरह के मोबाइल सेंटर बनाये गये हैंतस्वीर: Sergey Pivovarov/REUTERS

यूरोपीय संघ और यूरोप के दूसरे देशों में जाने वाले रूसी

यूरोपीय संघ का कहना है कि पुतिन की घोषणा के बाद यहां आने वाले रूसियों की तादाद बढ़ गई है. सितंबर 19 से 25 के बीच 66,000 रूसी नागरिक यूरोपीय संघ में आये. यह उससे पहले के हफ्ते के मुकाबले 30 फीसदी ज्यादा है. यह आंकड़े यूरोपीय संघ की बॉर्डर एजेंसी फ्रंटेक्स के हैं.

26 सितंबर से शुरू हुए हफ्ते में यह संख्या गिर कर 53,000 पर चली गई. फ्रंटेक्स ने इसके पीछे यूरोपीय संघ की वीजा नीति की सख्ती और सेना में काम करने योग्य उम्र के लोगों को रूस से बाहर जाने से रोकने के लिये किये गये उपायों को जिम्मेदार बताया. फ्रंटेक्स के मुताबिक यूरोपीय संघ में आने वाले ज्यादातर रूसी लोगों के पास पहले से ही रेजिडेंस परमिट या फिर वीजा था और कुछ लोग दोहरी नागरिकता वाले भी थे. 

फिनलैंड की रूस के साथ 1,300 किलोमीटर लंबी सीमा है. यह यूरोपीय संघ में आने के लिये रूसियों का प्रमुख रास्ता है. फिनलैंड के आंकड़े बताते हैं कि दक्षिण की ओर से सीमा पर कर आने वाले रूसी सैलानियों की संख्या 21 सितंबर के बाद दोगुनी हो गई. 21 सितंबर से 5 अक्टूबर के बीच चार चेकप्वाइंटों से 59,975 रूसी फिनलैंड आये. इनमें से बहुत सारे लोग दूसरे देशों में गये और 36,116 रूसी अपने घर गये.

सेना में जाने के डर से देश छोड़ते रूसी
नियुक्ति केंद्र के बाहर परिवार से विदा लेता एक रूसी युवकतस्वीर: Yuri Kochetkov/EPA-EFE

यूरोपीय देशों की प्रतिक्रिया

एस्तोनिया, लातविया, लिथुआनिया और पोलैंड में 19 सितंबर से रूसी लोगों को टूरिस्ट वीजा देना बंद करने पर सहमति बन गई. 30 सितंबर से फिनलैंड ने भी यह रोक लगा दी. नॉर्वे का रूस से लगता आर्कटिक बॉर्डर शेंगेन टूरिस्ट वीजा होल्डरों के लिये यूरोप आने का आखिरी सीधा रास्ता बचा है. 30 सितंबर को नॉर्वे के न्याय मंत्रालय ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो तत्काल आदेश पर नॉर्वे रूस से लोगों के आने पर रोक लगा सकता है. 

सेना जुटाने की मुहिम शुरू होने के बाद अर्मेनिया, कजाखस्तान, जॉर्जिया और बेलारूस में जर्मन दूतावासों में जर्मनी और यूरोपीय संघ आने के बारे में जानकारी जुटाने के लिए पहुंच रहे रूसियों की संख्या तेजी से बढ़ गयी.

जर्मन गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि जर्मन संविधान में राजनीतिक शरण देने का प्रावधान है हालांकि, "अलग अलग मामलों का परीक्षण करने और रूस से जर्मनी आने के सीमित रास्तों के कारण हमारा अंदाजा है कि कम ही मामले आयेंगे."

फ्रांस के यूरोपीय मामलों के जूनियर मंत्री लॉरेंस बून ने भी कहा है कि लोगों की निजी स्थिति और सुरक्षा के खतरे को देखने के बाद ही यह फैसला होगा कि उन्हें देश में आने की अनुमति दी जाये या नहीं.

एनआर/आरपी (रॉयटर्स)

रूस को छोड़कर भागते लोग