1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

परमाणु हथियारों को लेकर पुतिन के दिमाग में क्या चल रहा है

५ अक्टूबर २०२२

क्या रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन परमाणु बम का बटन दबाएंगे. पुतिन और उनके दफ्तर क्रेमलिन पर नजर रखने वाले यह पता लगाने में जुटे हैं कि रूसी राष्ट्रपति की परमाणु धमकियां केवल जुबानी हैं या वो सचमुच ऐसा कुछ कर सकते हैं.

https://p.dw.com/p/4Hjjs
परमाणु हथियारों पर पुतिन क्या सोच रहे हैं
पुतिन ने परमाणु विकल्पों के इस्तेमाल की बात की और कहा है कि इसे सिर्फ धमकी ना समझा जायेतस्वीर: Grigory Sysoyev/AP Photo/picture alliance

कई विश्लेषक फिलहाल यही कह रहे हैं कि पुतिन परमाणु हथियारों के सबसे बड़े जखीरे का इस्तेमाल करेंगे इसकी आशंका कम है. हालांकि ऐसा कहते हुए वो बहुत सावधानी बरत रहे हैं. अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए का भी कहना है कि उसने परमाणु हमले की तैयारी से जुड़े कोई संकेत नहीं देखे हैं.

इसके बावजूद पुतिन के इस बयान को गंभीरता से लिया जा रहा है कि रूस की रक्षा के लिए वह "अपने पास उपलब्ध सभी उपायों" का इस्तेमाल करेंगे. बीते शुक्रवार को पुतिन ने कहा कि अमेरिका ने दूसरे विश्व युद्ध में परमाणु बम गिरा कर "एक मिसाल कायम" कर दी थी. इसके बाद पुतिन के परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को लेकर चर्चा और तेज हो गई.

यह भी पढ़ेंः रूस को हथियारों की कैसी मदद दे सकता है उत्तर कोरिया

क्या सोच रहे हैं पुतिन

अमेरिकी राष्ट्रपति के दफ्तर व्हाइट हाउस ने चेतावनी दी है कि अगर पुतिन परमाणु हथियार इस्तेमाल करते हैं तो "रूस के लिए इसके भयानक नतीजे होंगे." हालांकि यह चेतावनी पुतिन के हाथों को कितना रोक सकेगी इसका अंदाजा लगाना ज्यादा मुश्किल नहीं है. क्रेमलिन पर नजर रख रहे लोगों का कहना है कि कितनी भी जानकारी जुटा लो लेकिन यह बताना मुश्किल है कि पुतिन क्या सोच रहे हैं.

पूर्व केजीबी एजेंट जोखिम और अस्थिरता से नहीं डरते. जासूसी उपग्रहों से लैस पश्चिमी खुफिया एजेंसियों के लिये भी यह बताना कठिन है कि पुतिन सिर्फ दिखावा कर रहे हैं या फिर सचमुच परमाणु हथियार इस्तेमाल करने के पक्ष में हैं.

सीआईए के निदेशक विलियम बर्न्स ने सीबीएस न्यूज से कहा, "अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के बीच मैंने ऐसा कोई व्यवहारिक सबूत नहीं देखा है जिससे यह पता चले कि वह सचमुच इस्तेमाल करने की ओर बढ़ रहे हैं और परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का कोई खतरा है. हमें इसे गंभीरता से लेना होगा और वास्तविक तैयारियों के संकेत ढूंढने होंगे."

परमाणु हथियारों पर क्या सोच रहे हैं पुतिन
यूक्रेन से छीने गये इलाकों के नवनियुक्त प्रशासकों के साथ पुतिन तस्वीर: Mikhail Metzel/AP Photo/picture alliance

परमाणु हथियार कितना मददगार

रूस पर नजर रखने वाले विश्लेषक बहुत मेहनत कर रहे है क्योंकि उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा है कि यूक्रेन में रूसी सेना को जो नुकसान हुआ है और पीछे हटना पड़ा है उस स्थिति को बदलने में परमाणु हथियार कैसे मदद करेंगे.

यूक्रेनी सेना अपनी जमीन वापस लेने के लिए टैंकों का कोई बड़ा दस्ता लेकर हमला नहीं कर रही है और युद्ध तो कई बार इतनी छोटी जगहों में हो रहा है जो किसी गांव जैसा है. ऐसे में रूस की परमाणु ताकत का लक्ष्य क्या होगा और उससे कैसे जीत मिलेगी.

यह भी पढ़ेंः परमाणु विनाश से बस एक गलती दूर है दुनिया

संयुक्त राष्ट्र के इंस्टीट्यूट फॉर डिसआर्मामेंट रिसर्च से जुड़े आंद्रे बाकलित्स्की परमाणु खतरे के विशेषज्ञ हैं. वह कहते हैं, "परमाणु हथियार कोई जादू की छड़ी नहीं हैं. ऐसा कुछ नहीं है कि अब बस उसका इस्तेमाल करेंगे और आपकी सारी समस्या खत्म हो जायेगी."

परमाणु हथियार की वर्जनाएं

विश्लेषकों को उम्मीद है कि परमाणु हथियारों से जो वर्जनाएं जुड़ी हैं वो हतोत्साहित करने वाली हैं. 1945 में 6 और 9 अगस्त को अमेरिका ने जब जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराये तो भारी तबाही हुई और करीब 2,10,000 लोग मारे गये. यह तबाही इन हथियारों के दोबारा इस्तेमाल नहीं करने के लिये एक मजबूत दलील बन गई.

इसके बाद से किसी भी देश ने इन परमाणु हथियारों का इस्तेमाल नहीं किया है. विश्लेषकों का अनुमान है कि पुतिन के लिए भी अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रुमैन के बाद दुनिया का पहला ऐसा नेता बनना मुश्किल होगा. अमेरिकी रक्षा विभाग में रूसी सेना की क्षमता की विश्लेषक और रैंड कॉर्प में वरिष्ठ रिसर्चर डारा मेसिकोट का कहना है, "रूस में उस सीमा के पार जाना आज भी एक वर्जना है." बाकलित्स्की का कहना है, "यह पृथ्वी के इतिहास में सबसे बड़े फैसलों मे एक होगा."

परमाणु हथियारों पर क्या सोच रहे हैं पुतिन
चेचेन्या के नेता ने पुतिन से परमाणु हथियार के इस्तेमाल पर विचार करने को कहा थातस्वीर: Mikhail Metzel/Sputnik/AFP/Getty Images

इसके बाद होने वाली प्रतिक्रिया पुतिन को दुनिया के लिए अछूत बना देगी. लंदन के रॉयल यूनाइटेड सर्विसेंज इंस्टीट्यूट में रिसर्चर सिद्धार्थ कौशल का कहना है, "परमाणु हथियारों की वर्जना को तोड़ने पर कम से कम रूस पूरी तरह आर्थिक और कूटनीतिक रूप से अलग थलग हो जायेगा."

रूस लंबी दूरी के जिन हथियारों का इस्तेमाल अमेरिका के खिलाफ कर सकता है, वो जंग के लिए तैयार हैं. हालांकि छोटी दूरी के लिए हथियार जिन्हें टैक्टिकल वेपन कहा जाता है और जो पुतिन यूक्रेन में इस्तेमाल करना चाहेंगे विश्लेषकों के मुताबिक वो तैयार नहीं हैं.

जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र के निरस्त्रीकरण थिंक टैंक से जुड़े पैवेल पोडविग का कहना है, "वो सारे हथियार भंडार में मौजूद हैं. आपको उन्हें बंकर से बाहर लाना होगा, ट्रक में लादना होगा और फिर मिसाइल या डिलीवरी सिस्टम के साथ उन्हें जोड़ना होगा."

धमकियों का डर

रूस ने टैक्टिकल न्यूक्लियर वेपन और उनके क्षमताओं की सूची जारी नहीं की है. पुतिन कोई छोटा हथियार चुपके चुपके तैयार करने का आदेश दे सकते हैं और फिर अचानक इस्तेमाल के लिये उसे सामने ला कर दुनिया को चौंका सकते हैं.

हालांकि हथियारों को भंडार से निकालना भी एक तरकीब हो सकती है. पुतिन इस तरीके का इस्तेमाल कर बिना हथियारों के इस्तेमाल किये ही दबाव बढ़ा देंगे. वह यह उम्मीद कर सकते हैं कि अमेरिकी सेटेलाइट इन गतिविधियों को देख लेंगे और शायद इनका इस्तेमाल पश्चिमी देशों को यूक्रेन से समर्थन वापस लेने पर विवश कर सकता है. विश्लेषक युद्ध के विस्तार के लिए पहले दूसरे तरीकों के इस्तेमाल की भी आशंका देख रहे हैं. इनमें यूक्रेन पर बिना परमाणु हथियारों के हमलों में तेजी लाना शामिल है.

परमाणु हथियारों पर क्या सोच रहे हैं पुतिन
यूक्रेन की सेना ने कई इलाकों से रूसी सेना को पीछे धकेल दिया हैतस्वीर: Metin Aktas/AA/picture alliance

अगर पुतिन परमाणु हथियारों का इस्तेमाल करते है तो वह किसे निशाना बनायेंगे. अगर एक हमले से यूक्रेनी सेना की आगे बढ़ना नहीं रुका तो क्या वो बार बार हमले करेंगे. पोडविग का कहना है कि इस जंग में , "सैनिकों की बड़ी संख्या एक जगह मौजूद नहीं है जिसे निशाना बनाया जा सके." यूक्रेन के समर्पण की उम्मीद में शहरों पर हमला करना एक भयंकर विकल्प होगा, "हजारों या लाखों लोगों को मारने का फैसला एक बहुत मुश्किल फैसला होगा और यही होना भी चाहिए."

पुतिन शायद यह सोच रहे होंगे कि केवल धमकियों से ही पश्चिमी देशों के हथियारों की सप्लाई को धीमा कर देगा और उन्हें 3 लाख अतिरिक्त सैनिकों को जुटाने के लिए समय मिल जायेगा. हालांकि अगर यूक्रेन हमले को पीछे धकेलना जारी रखता है और पुतिन जिसे छीन चुके हैं उसे अपने पास नहीं रख पाते तो फिर पुतिन यह फैसला कर सकते हैं कि उनके गैर परमाणु विकल्प खत्म हो रहे हैं.

रैंड के मेसिकॉट का कहना है, "पुतिन सचमुच सैनिकों को जुटा कर और नए इलाकों को छीन कर अपने पीछे कई पुलों को खतम करते जा रहे हैं. ऐसा लगता है कि वह अपनी शर्तों पर युद्ध जीतना चाहते हैं. मैं बहुत चिंतित हूं कि आखिरकार इसमें और क्या शामिल होगा, क्या यह एक तरह का परमाणु फैसला होगा."

एनआर/आरपी (एपी)