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क्या फिलीपींस में लोकतंत्र बचा रहेगा?

९ जुलाई २०२१

फिलीपींस में कोई व्यक्ति एक बार ही राष्ट्रपति बन सकता है, लेकिन वर्तमान राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटेर्टे की कार्यशैली कथित तौर पर लोकतंत्र के लिए चिंता का सबब बनती जा रही है.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Malacanang Presidential Photographers Division/A. Morandante

फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो डुटेर्टे ने कहा कि अपना कार्यकाल खत्म होने के बाद वे उपराष्ट्रपति के लिए चुनाव लड़ेंगे. डुटेर्टे का कार्यकाल अगले साल मई महीने में खत्म होने वाला है. डुटेर्टे की घोषणा पर कई लोगों ने चिंता व्यक्त की है. इनका मानना है कि इस तरह से डुटेर्टे राष्ट्रपति बनने की सीमा को दरकिनार कर लंबे समय तक सत्ता में बने रह सकते हैं. साथ ही, वे किसी तरह के आपराधिक आरोपों से भी बचे रहेंगे. डुटेर्टे ने इस सप्ताह मीडिया से बात करते हुए कहा, "मुझे इस समय उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार समझिए.”

1987 के संविधान के तहत फिलीपींस में कोई व्यक्ति एक बार ही राष्ट्रपति बन सकता है. उसका कार्यकाल छह वर्षों का होगा. फिलीपींस के कानून के तहत, उपराष्ट्रपति का चुनाव राष्ट्रपति से अलग होता है. अगर राष्ट्रपति की मौत हो जाती है या किसी वजह से वे काम नहीं कर पाते हैं, तो ऐसी स्थिति में उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की भूमिका निभाने के लिए कहा जा सकता है.

संभावित आईसीसी जांच

डुटेर्टे की उम्र 76 साल है. राष्ट्रपति बनने से पहले वे मेयर रह चुके हैं. उन्होंने अपराध के प्रति अपने सख्त रवैये को लेकर राजनीति में नाम कमाया. उन्हें विवादास्पद बयानबाजी और विवादास्पद ड्रग युद्ध के लिए भी जाना जाता है. कहा जाता है कि इस ड्रग युद्ध की वजह से दक्षिण पूर्व एशियाई देश में हजारों लोगों की जान गई. मानवाधिकार संगठनों और सिविल सोसायटी एक्टिविस्टों ने इसे लेकर सरकार की काफी निंदा की है.

पिछले महीने, इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (आईसीसी) के अभियोजकों ने क्रूर ड्रग-विरोधी अभियान और संभवतः दसियों हजार लोगों की कथित गैरकानूनी हत्या की पूरी जांच शुरू करने की मंशा जाहिर की थी. आईसीसी के पूर्व अभियोजक ने पिछले महीने कहा था कि शुरुआती जांच से पता चला है कि ड्रग-विरोधी अभियान के दौरान अमानवीय व्यवहार किया गया. अभियोजक ने औपचारिक जांच शुरू करने के लिए प्राधिकरण की मांग की है. इस मामले पर निर्णय लेने के लिए न्यायाधीशों के पास 120 दिन हैं.

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डुटेर्टे को अमानवीय अपराधों के आरोपों का सामना करना पड़ सकता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि वह आईसीसी की संभावित जांच में कभी भी सहयोग नहीं करेंगे. वहीं, देश और देश से बाहर एक्टिविस्टों की तरफ से लगातार की जा रही आलोचना के बावजूद, फिलीपींस में डुटेर्टे की लोकप्रियता उच्च स्तर पर बनी हुई है.

कमजोर लोकतांत्रिक नींव

डुटेर्टे का लोकतांत्रिक संस्थाओं को कुचलने का एक लंबा ट्रैक रिकॉर्ड है. इनमें सबसे बड़े ब्रॉडकास्ट मीडिया नेटवर्क को बंद कराने से लेकर आतंकवाद विरोधी कानून पारित करना शामिल है. आलोचकों का कहना है कि इस कानून की मदद से असंतोष को दबाया गया और हजारों लोगों की गैर-न्यायिक तरीके से हत्या कर दी गई.

राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि डुटेर्टे प्रशासन ने देश की लोकतांत्रिक संस्थाओं की कमजोरी को उजागर कर दिया है. राजनीतिक विशेषज्ञ रिचर्ड हेडेरियन ने डॉयचे वेले से कहा, "फिलीपींस की लोकतांत्रिक व्यवस्था पहले ही टूट चुकी थी. इससे डुटेर्टे को तानाशाही करने में मदद मिली. डुटेर्टे ने मौजूदा संरचनात्मक कमजोरियों को और अधिक कमजोर कर दिया.”

फिलीपींस में बहुदलीय राजनीतिक व्यवस्था है. आलोचक इसे "प्रशंसक क्लब” के तौर पर बताते हैं जो अपने निजी लाभ के लिए अकसर पार्टियां बदलते हैं. राजनेता और मतदाता विचारधारा की जगह राजनीतिक व्यक्तित्व को ज्यादा तवज्जो देते हैं.

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हेडेरियन ने कहा कि 2016 में डुटेर्टे के राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद संसद के कई सदस्यों बिना किसी संस्थागत जांच और प्रक्रिया के अपना दल बदल लिया था और सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो गए थे. इसने लोकतंत्र की रक्षा के लिए लागू किए गए सुरक्षा उपायों को भी कुचल दिया. हेडेरियन कहते हैं, "फिलीपींस के लोगों को शायद यह उम्मीद से भरा और सुंदर लोकतंत्र लगता होगा, लेकिन सत्तावादी नेता संस्थाओं पर कब्जा करने को तैयार थे.”

युवा और परिपक्व लोकतंत्र

सदियों के औपनिवेशिक शासन ने फिलीपींस को एक युवा लोकतंत्र बना दिया है. यह देश तीन सौ सालों से स्पेनिश शासन के अधीन था. 1946 में इस देश को आजादी मिली. हालांकि, जब 1972 में राष्ट्रपति फर्डिनांड मार्कोस ने मार्शल लॉ की घोषणा की तो लोकतंत्र कमजोर हुआ. 1986 में देश में हुई क्रांति के बाद मार्कोस को सत्ता से हटा दिया गया. इस तख्तापलट के बाद, मार्कोस के मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंदी बेनिग्रो एक्विनो की पत्नी कोराजोन एक्विनो देश की राष्ट्रपति बनी थीं. बेनिग्रो राष्ट्रपति मार्कोस के प्रमुख आलोचकों में से एक थे और 1983 में उनकी हत्या कर दी गई थी.

हालांकि, 1986 की क्रांति के बाद बनी सरकार भी न तो बहुदलीय राजनीतिक व्यवस्था की खामियों को दूर कर सकी और न ही सरकार में राजनीतिक परिवारों के प्रभुत्व को बेअसर कर सकी. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि 2022 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे अब देश की लोकतांत्रिक दिशा तय करेंगे.

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राष्ट्रपति डुटेर्टे की बेटी सारा डुटेर्टे और दिवंगत तानाशाह के बेटे फर्डिनांड मार्कोस जूनियर राष्ट्रपति पद के प्रबल दावेदार के तौर पर उभर रहे हैं. मार्कोस जूनियर ने 2016 के चुनाव में उपराष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव लड़ा था और बहुत ही कम अंतर से हार गए थे.

हेडेरियन ने म्यांमार के हालिया सैन्य तख्तापलट का हवाला देते हुए कहा, "फिलीपींस कोई एकमात्र उदाहरण नहीं है. यह सत्तावादी उदासीनता और प्रतिक्रियावादी लोकप्रियता के विभिन्न रूपों को अपनाने की व्यापक प्रवृति का हिस्सा है. दक्षिण एशिया में यह अकसर देखा जाता है.”

विपक्ष को मजबूत करने की कोशिश

राजनीतिक रणनीतिकार एलन जर्मन ने डीडब्लू को बताया कि फिलीपींस उस रास्ते पर आगे नहीं बढ़ सकता जो दण्ड से मुक्ति की संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता को समाप्त कर रहा है. जर्मन कहते हैं, "इस प्रवृति का मुकाबला करने के लिए एक मजबूत और जुझारू विपक्ष की जरूरत होगी. हालांकि, अभी तक हमारे पास ऐसा विपक्ष नहीं है और राष्ट्रपति चुनाव का समय नजदीक आ रहा है.”

उपराष्ट्रपति लियोनोर रोब्रेडो विपक्षी लिबरल पार्टी के प्रमुख सदस्य हैं, लेकिन वह राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ना चाहते हैं. इस साल जून महीने में पूर्व राष्ट्रपति बेनिग्रो एक्विनो III की मौत हो गई. ऐसे में बेनिग्रो के प्रति जनता की सहानुभूति को लिबरल पार्टी के पक्ष में मोड़ा जा सकता है. जर्मन कहते हैं, "बेनिग्रो की मौत ने सत्ता पक्ष के वोट में सेंध लगा दी है, लेकिन क्या यह पर्याप्त है? हालांकि, एक बात तो तय है कि देश की जनता दण्ड की संस्कृति से छुटकारा पाना चाहती है.”

राजनीतिक दुष्प्रचार

सोशल मीडिया भी राजनीतिक परिदृश्य को आकार देने में अहम भूमिका निभाता है, लेकिन इसके गलत इस्तेमाल से असंतोष को दबा दिया जाता है. सोशल मीडिया पर नकली खाते बनाकर, ट्रोल और बॉट्स का इस्तेमाल करके जनता की राय बदलने का काम किया जाता है.

हार्वर्ड केनेडी स्कूल के एक शोधार्थी जोनाथन ओंग ने फिलीपींस में दुष्प्रचार करने वाले नेटवर्क का अध्ययन किया है. उन्होंने डॉयचे वेले को बताया, "सोशल मीडिया में हेराफेरी की रणनीतियां दिखाती हैं कि राजनीतिक गलियारों में किस तरह से कॉरपोरेट मार्केटिंग का इस्तेमाल किया जाता है. राजनीतिक विज्ञापन पूरी तरह अनियंत्रित होता है.”

सोशल मीडिया और इसके अल्गोरिदम व्यक्तिगत स्तर पर गलत सूचना दे सकते हैं. साथ ही, साजिश के सिद्धांतों और किसी को टारगेट करके उत्पीड़न करने को बढ़ावा दे सकते हैं. ओंग कहते हैं, "इससे न केवल पत्रकारों में बल्कि आम नागरिकों को भी अपनी बात कहने में डर लगता है.”

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