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विज्ञानविश्व

क्या होता है अंतरिक्ष का मलबा?

१७ नवम्बर २०२१

रूस ने इसी हफ्ते एक मिसाइल परीक्षण किया जिसने एक उपग्रह को ध्वस्त कर दिया. अब उसके 1,500 से ज्यादा छोटे-बड़े टुकड़े धरती की कक्षा में तैर रहे हैं. यह मलबा कितना खतरनाक है, जानिए...

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तस्वीर: Stanislav Rishnyak/NASA/Zoonar/picture alliance

रूस की धरती से अंतरिक्ष में मार कर सकने वाली मिसाइल के परीक्षण पर अमेरिका और कई अन्य देशों ने आपत्ति जताई है. इस मिसाइल से रूस ने अपने ही एक बंद पड़ चुके उपग्रह को ध्वस्त कर दिया. इस धमाके से उपग्रह का मलबा अंतरिक्ष में फैल गया और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भी खतरे में आ गया.

विशेषज्ञों का कहना है कि यह मलबा आने वाले कई साल तक अंतरिक्ष में गतिविधियों के लिए खतरा बना रहेगा. आइए, समझते हैं कि यह अंतरिक्ष का यह मलबा होता कैसा है और क्यों खतरनाक है?

अंतरिक्ष से लौटना इतना मुश्किल क्यों?

स्पेस जंक के नाम से जाना जाने वाला यह मलबा अंतरिक्ष यान और उपग्रहों के वे टुकड़े होते हैं जो इस्तेमाल किए जाने के बाद पृथ्वी की कक्षा में ही छोड़ दिए जाते हैं. यानी हमारे सिरों के कई किलोमीटर ऊपर अंतरिक्ष में ऐसे टुकड़े लगातार तैर रहे हैं.

ऐसा ही मलबा तब भी पैदा होता है जब अंतरिक्ष में मिसाइलों के परीक्षण किए जाते हैं. रूस के अलावा चीन, अमेरिका और भारत ने भी ऐसे परीक्षण किए हैं और अपने उपग्रहों को ध्वस्त किया है. भारत ने जब ऐसा परीक्षण किया था तब भी अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने तीखी प्रतिक्रिया की थी क्योंकि यह मलबा अन्य उपग्रहों के लिए खतरा पैदा करता है.

पृथ्वी की कक्षा में यह मलबा धरती के चारों ओर बहुत तेज रफ्तार से चक्कर काट रहा होता है. खासकर निचली कक्षा में 25,265 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार चक्कर काट रहे ये टुकडे अन्य उपग्रहों से टकराकर भारी नुकसान कर सकते हैं.

साउथैम्पटन यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोनॉटिक्स रिसर्च ग्रुप के अध्यक्ष प्रोफेसर ह्यू लुइस कहते हैं, "कक्षा में स्थापित किया गया हर उपग्रह अंतरिक्षीय मलबा बन सकता है.” यानी, जिस तादाद में नए उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे जा रहे हैं, उससे तय है कि मलबा और बढ़ेगा. ईलॉन मस्क की कंपनी स्टारलिंक और वनवेब सैटलाइट जैसी कंपनियां बड़ी संख्या में उपग्रह स्थापित कर रही हैं.

कितने बड़े होते हैं टुकड़े?

अमेरिकी सरकार अंतरिक्ष में तैर रहे टुकड़ों पर नजर रखती है. नासा के मुताबिक सॉफ्टबॉल के आकार से बड़े करीब 23 हजार टुकड़े धरती का चक्कर काट रहे हैं. एक सेंटीमीटर से बड़े लगभग पांच लाख टुकड़े हैं जबकि दस करोड़ टुकड़े ऐसे हैं जिनका आकार एक मिलीमीटर या उससे बड़ा है.

इनमें से वे टुकड़े ज्यादा खतरनाक हैं जो इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के आसपास हैं. आईएसएस एक दिन में पृथ्वी से 15-16 चक्कर लगाता है. यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) का अंदाजा है पृथ्वी की कक्षा में मौजूद मलबे का वजन 9,600 टन से ज्यादा होगा.

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ईएसए के स्पेस सेफ्टी प्रोग्राम ऑफिस के प्रमुख होल्गर क्राक कहते हैं कि अगर यह मलबा इसी तरह बढ़ा रहा तो एक दिन अंतरिक्ष काम करने लायक जगह नहीं रह जाएगी. विशेषज्ञ मानते हैं कि इस मलबे का सबसे ज्यादा असर उन उपग्रहों पर होगा जो एक हजार किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर काट रहे हैं. इस ऊंचाई पर संचार उपग्रह स्थापित किए जाते हैं.

होल्गर क्राक कहते हैं, "अगर आप इसी क्षेत्र में लंबे समय तक रहना चाहते हैं और चक्कर काटना चाहते हैं तो व कुछ दशक बाद संभव नहीं हो पाएगा.”

कचरे की सफाई कैसे हो?

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मुताबिक जो कचरा धरती से 600 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर होगा वह कुछ सालों में धरत पर गिर जाता है. लेकिन जो टुकड़े एक हजार किलोमीटर या उससे अधिक ऊंचाई पर हैं वे कई सदियों तक आसमान में ही चक्कर काटते रहते हैं.

लुईस बताते हैं कि अगर हम अंतरिक्ष में मलबे की सफाई करना चाहते हैं तो उस कचरे को हटाना होगा जो एक हजार किलोमीटर या उससे अधिक ऊंचाई पर है. जापान की अंतरिक्ष एजेंसी (JAXA) और यूरोपीय स्पेस एजेंसियों ने ऐसी कई कंपनियों के साथ गठजोड़ किया है जो अंतरिक्ष में मलबे की सफाई कर रही हैं.

जापानी एजेंसी ने एस्ट्रोस्केल नाम की कंपनी के साथ मिलकर छह महीने लंबा एक प्रोजेक्ट शुरू किया है जो स्पेस जंक हटाने का पहला अभियान है. इसके अलावा ईएसए भी स्विस कंपनी क्लीयरस्पेस के साथ मिलकर ऐसे ही अभियान पर काम कर रही है.

वीके/सीके (रॉयटर्स)