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राजनीतिसंयुक्त राज्य अमेरिका

आकुस के तहत ऑस्ट्रेलिया को तीन पनडुब्बियां देगा अमेरिका

१४ मार्च २०२३

दो साल पहले हुए आकुस समझौते के तहत ऑस्ट्रेलिया को तीन परमाणु शक्ति संपन्न पनडुब्बियां मिलेंगी. इसका मकसद पश्चिमी देशों द्वारा हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन की महत्वाकांक्षाओं के पर कतरना है.

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अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्ष
अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्षतस्वीर: Leah Millis/REUTERS

सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनाक के साथ सैन डिएगो में बैठक के बाद समझौते की जानकारियां उजागर कीं.

अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने 2021 में आकुस (AUKUS) नाम का एक संगठन बनाया था, जिसे चीन से संभावित खतरे के खिलाफ तैयारी के रूप में देखा जा रहा है. इसके तहत तीनों देश साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वॉन्टम टेक्नोलॉजी और समुद्र की सतह के नीचे की क्षमताओं में सहयोग करेंगे.

परमाणु पनडुब्बियां उपलब्ध कराने की यह योजना कई चरणों में पूरी होगी. पनडुब्बियों को तीनों देश मिलकर विकसित करेंगे और इनका निर्माण ऑस्ट्रेलिया में किया जाएगा. इन पनडुब्बियों के लिए अमेरिका अपनी अत्याधुनिक तकनीक साझा करेगा. ऑस्ट्रेलिया को शुरुआत में तीन यूएस-वर्जीनिया पनडुब्बियां मिलेंगी. बाद में तीनों देश मिलकर नई पनडुब्बियां विकसित करेंगे.

समझौते के तहत ये तीनों पनडुब्बियां ऑस्ट्रेलिया में तैनात की जाएंगी और इनका मकसद ऑस्ट्रेलियाई सैनिकों की तैयारी के साथ-साथ खतरों को रोकना भी होगा. ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साझेदारी के तहत भविष्य में ब्रिटिश रॉयल नेवी को भी ऑस्ट्रेलियाई नौसेना जैसी पनडुब्बियां मिलेंगी. ब्रिटिश पनडुब्बियों में भी वही तकनीक और उपकरण लगे होंगे जो अमेरिकी नौसेना इस्तेमाल करती है.

क्या बोला चीन?

चीन हमेशा से ही आकुस समझौते का विरोध करता रहा है. उसका कहना है कि यह समझौता न्यूक्लियर प्रोलीफरेशन ट्रीटी (एनपीटी) का उल्लंघन करता है. उसका तर्क है कि ऑस्ट्रेलिया एक गैर-परमाणु शक्ति संपन्न देश है जिसे एक परमाणु शक्ति संपन्न देश अमेरिका परमाणु हथियारों की सामग्री दे रहा है, जो एनपीटी समझौते की मूल भावना के खिलाफ है.

एनपीटी के मुताबिक परमाणु शक्ति संपन्न देश के रूप में पांच देशों की ही मान्यता है. अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्रांस के पास परमाणु पनडुब्बियां हैं. चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने मीडिया से बातचीत में कहा, "हम अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया से आग्रह करते हैं कि वे शीत युद्ध की मानसिकता से बाहर आएं और अंतरराष्ट्रीय जिम्मेदारियों का सम्मान करते हुए ऐसे कदम उठाएं जो क्षेत्र की शांति और स्थिरता के अनुकूल हों.”

परमाणु हथियार नहीं

इस बात को लेकर लगातार विवाद रहा है कि आकुस समझौते में परमाणु शक्ति को शामिल किया गया है. हालांकि अमेरिका कहता है कि यह समझौता परमाणु हथियारों के बारे में नहीं है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि परमाणु पनडुब्बियां परमाणु शक्ति से चलती हैं, उन पर परमाणु हथियार नहीं हैं.

बाइडेन ने कहा, "इन नौकाओं पर किसी तरह के परमाणु हथियार नहीं होंगे.” 1950 के बाद यह पहली बार है, जबकि अमेरिका ने अपनी परमाणु पनडुब्बी तकनीक किसी के साथ साझा करने पर सहमति दी है. इससे पहले अमेरिका ने ऐसा समझौता सिर्फ ब्रिटेन के साथ किया था.

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीजी ने कहा कि यह समझौता ऑस्ट्रेलिया के इतिहास में "रक्षा क्षेत्र में सबसे बड़ा निवेश है.”

वीके/सीके (रॉयटर्स, एपी)

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