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राजनीतिउत्तरी अमेरिका

रूस ने मिसाइल से उपग्रह को ध्वस्त किया

१६ नवम्बर २०२१

रूस ने एक मिसाइल का परीक्षण कर अपने ही एक उपग्रह को ध्वस्त कर दिया. लेकिन इस परीक्षण ने इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अंतरिक्ष यात्रियों की जान को खतरे में डाल दिया. अमेरिका ने इसका जवाब देने की बात कही है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीरतस्वीर: Russian Defence Ministry/picture alliance/dpa

रूस ने मिसाइल से उपग्रह को ध्वस्त किया है, जिसपर अमेरिका ने कहा है कि अंतरिक्ष में मलबे के कारण अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) के परिचालन में बाधा आई और वहां मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को आपात स्थिति के लिए तैयार होना पड़ा. इस घटना के लिए अमेरिका ने रूस के एक मिसाइल टेस्ट को जिम्मेदार ठहराते हुए उसकी आलोचना की है.

अमेरिका ने कहा है कि रूस ने एक ‘खतरनाक और गैरजिम्मेदार' मिसाइल परीक्षण कर अपने ही एक उपग्रह को ध्वस्त कर दिया लेकिन इसके मलबे ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र को खतरा पैदा कर दिया. अमेरिका को इस परीक्षण के बारे में पहले से नहीं बताया गया था और इस पर प्रतिक्रिया के लिए वह अपने सहयोगियों से बातचीत करेगा.

तस्वीरेंः बैलेस्टिक और क्रूज मिसाइल का फर्क

इस तरह का यह चौथा परीक्षण था. इससे अंतरिक्ष में मार कर सकने वाले हथियारों की होड़ को बढ़ावा मिल सकता है. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने एक बयान जारी कर सोमवार को कहा, "15 नवंबर को रूस ने गैरजिम्मेदाराना तरीके से एक उपग्रह-रोधी मिसाइल का परीक्षण अपने ही एक उपग्रह के खिलाफ किया. इस परीक्षण में मलबे के 1,500 से ज्यादा बड़े टुकड़े और हजारों छोटे-छोटे टुकड़े पैदा हुए."

क्यों खतरनाक था टेस्ट?

आईएसएस पर इस वक्त चार अमेरिकी, एक जर्मन और दो रूसी अंतरिक्ष यात्री काम कर रहे हैं जिन्हें मलबे के कारण अपने वापसी वाहनों में शरण लेनी पड़ी. यह एक आपातकालीन व्यवस्था है जिसमें अंतरिक्ष यात्री किसी तरह का खतरा होने पर उन वाहनों में चले जाते हैं जिनके जरिए उन्हें पृथ्वी पर लौटाया जा सके. रूसी स्पेस एजेंसी रोसकॉसमोस ने ट्वीट कर बताया कि स्टेशन बाद में ग्रीन लेवल यानी खतरे से बाहर आ गया.

इस घटना पर अमेरिका की प्रतिक्रिया में तीखे शब्दों का प्रयोग किया गया है. अपने बयान में ब्लिंकेन ने कहा कि खतरा टला नहीं है. उन्होंने कहा, "इस खतरनाक और गैर जिम्मेदाराना परीक्षण के कारण लंबे समय तक कक्षा में रहने वाला मलब पैदा हुआ है जो उपग्रहों और अंतरिक्ष में अन्य उपकरणों के लिए दशकों तक खतरा बना रहेगा. रूस दावे तो करता है कि वह अंतरिक्ष में हथियार नहीं बढ़ा रहा है लेकिन इन दावों के उलट वह अंतरिक्ष के आने वाले लंबे समय तक खोज और अनुसंधान के प्रयोग को खतरे में डाल रहा है.”

बढ़ रही है होड़

पेंटागन में पत्रकारों से बातचीत में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जॉन कर्बी ने कहा कि अमेरिका को इस परीक्षण के बारे में पहले से नहीं बताया गया था. अंतरिक्ष उद्योग पर नजर रखने वाली कंपनी सेराडाटा के मुताबिक रूसी मिसाइल ने 1982 में भेजे गए उपग्रह कॉसमोस 1408 को निशाना बनाया था. जासूसी के लिए स्थापित किया गया यह उपग्रह दशकों पहले ही काम बंद कर चुका है.

उपग्रह-रोधी हथियार (ASAT) अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित मिसाइल हैं जो कुछ ही देशों के पास हैं. पिछली बार ऐसा परीक्षण भारत ने 2019 में किया था जिससे बड़ी मात्रा में अंतरिक्षीय मलबा पैदा हुआ था जिसके कारण अमेरिका ने भारत की आलोचना की थी. इससे पहले 2007 में चीन ने और फिर अमेरिका ने 2008 में ऐसा ही परीक्षण किया था.

वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)

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