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राजनीतिसंयुक्त राज्य अमेरिका

हादसे के बाद ईरान ने मदद मांगी थी: अमेरिका

२१ मई २०२४

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत जिस हेलीकॉप्टर हादसे में हुई, उसकी वजह अब तक पता नहीं चल पाई है. उधर अमेरिका ने कहा है कि ईरान ने हादसे के बाद उससे मदद मांगी थी.

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ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत
ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत पर देश में मातम हैतस्वीर: Vahid Salemi/AP Photo/picture alliance

ईरान के राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की हेलीकॉप्टर हादसे में मौत के बाद दुनियाभर से प्रतिक्रिया आ रही है. अमेरिका ने कहा है कि हादसे के बाद ईरान ने उससे बचाव के काम में मदद मांगी थी.

अमेरिका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा, "हमसे ईरान सरकार ने मदद मांगी थी. हमने कहा कि जो बन पड़ेगा करेंगे. इस तरह की स्थिति में हम किसी भी सरकार के सम्मान में करेंगे. हालांकि लॉजिस्टिक्स की वजह से हम किसी तरह की मदद नहीं कर पाने में समर्थ नहीं थे.”

कैसे मांगी मदद?

अमेरिका और ईरान के बीच किसी तरह के कूटनीतिक संबंध नहीं हैं. असल में, दोनों देशों के बीच संबंध बेहद खराब हैं और ईरान के साथ कोई अन्य देश भी व्यापार करता है तो अमेरिका उस पर प्रतिबंध लगा देता है. 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति हुई थी जिसके बाद अमेरिका ने उसके साथ कूटनीतिक संबंध तोड़ लिए थे.

इसलिए यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ईरान ने मदद मांगने के लिए अमेरिका से किस जरिये से संपर्क किया. ईरान की तरफ से भी इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है. जब मिलर से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया.

रईसी के निधन पर दुनियाभर के नेताओं ने संवेदनाएं जाहिर की हैं. अमेरिका ने भी शोक संदेश भेजा लेकिन साथ ही कहा कि "उनके हाथ खून से सने थे.”

अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, "ईरान जब नया राष्ट्रपतिचुन रहा है तो हम वहां के लोगों के साथ और मानवाधिकारों व मूलभूत आजादी के लिए उनके संघर्ष में अपना समर्थन जारी रखेंगे.”

ऐसी खबरें हैं कि ईरान और अमेरिका के बीच ओमान में बातचीत हुई है, जिसका मकसद मध्य-एशिया में स्थिरता लाना है. हाल ही में इस्राएल और ईरान के बीच हुए तनाव के बाद यह बातचीत हुई है.

संवेदनाओं की भाषा

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के दफ्तर ने ईरान के प्रति जारी अपनी संवेदनाओं को रईसी का समर्थन नहीं बताया. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन कर्बी ने कहा, "यह एक ऐसा व्यक्ति था, जिसके हाथ खून से सने थे. हमें किसी की जान जाने का दुख तो है और व्यवहार के रूप में आधिकारिक रूप से अपनी संवेदनाएं जाहिर करते हैं.”

अमेरिका ने पहले भी कई बार अपने विरोधियों की मौत पर इसी तरह की भाषा का प्रयोग किया है. रूस के जोसेफ स्टालिन से लेकर उत्तर कोरिया के किम इल सुंग और क्यूबा के फिदेल कास्त्रो आदि की मौत पर अमेरिका की ओर से इसी तरह की संवेदनाएं जाहिर की गई थीं.

रईसी की मौत पर यूरोपीय देशों से भी इसी तरह की प्रतिक्रियाएं आई हैं. ईरान के बहुत से विरोधियों ने तो रईसी की मौत पर खुशी भी मनाई है. अमेरिका में महिला अधिकार कार्यकर्ता मसीह अलीनेजाद, हाल ही में जिनकी हत्या की साजिश का खुलासा हुआ था, ने ट्विटर पर लिखा, "आपकी संवेदनाएं सिर्फ प्रताड़ित लोगों के जख्मों पर नमक ही छिड़क रही है.”

‘अमेरिका का हाथ नहीं'

अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने संकेत दिया कि रईसी की मौत के बाद अमेरिकी सेनाओं की स्थिति या तैनाती में किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है. उन्होंने मीडिया से कहा, "मुझे तो मोटे तौर पर क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति में कोई प्रभाव नहीं दिखाई देता.”

उन्होंने हादसे में अमेरिका की किसी भी भूमिका से साफ इनकार किया. उन्होंने कहा, "अमेरिका का इस घटना में कोई हाथ नहीं है. यह सीधी और साफ बात है. कोई भी वजह हो सकती है. मशीनी खराबी हो सकती है, पायलट की गलती हो सकती है.”

कौन हैं राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी

ईरानी सेना ने हादसे की जांच का आदेश दे दिया है. आमतौर पर ईरान में जब भी इस तरह के हादसे हुए हैं तो उसने इस्राएल या अमेरिका पर इल्जाम लगाया है. इन दोनों ही देशों ने ईरान में कई बार विभिन्न ठिकानों पर हमले किए हैं.

ईरान के विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जारिफ ने कहा कि हादसे की वजह अमेरिका के लगाए प्रतिबंध हैं जिनके कारण विमानों के पुर्जे खरीदने में बाधा आ रही है.

जारिफ की इस टिप्पणी पर मिलर ने कहा, "आखिर में तो यह ईरान की सरकार की ही जिम्मेदारी है जिसने 45 साल पुराने हेलीकॉप्टर को उड़ाने का फैसला किया.”

वीके/सीके (रॉयटर्स, एएफपी)