'धोखेबाज' पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिकी संसद में बिल
२१ सितम्बर २०१६संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री न्यूयॉर्क के दौरे पर हैं. इस दौरान अमरीकी नेताओ से होने वाली अपनी मुलाकातों में वो कश्मीर के मुद्दे पर समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं.
लेकिन रिपबल्किन सांसद टेड पो और डेमोक्रैट रोहरबाकर ने कहा है कि अमेरिका अब पाकिस्तान को पैसा देना बंद कर क्योंकि उसने अमेरिका को ‘धोखा'दिया है. इन दोनों ने प्रतिनिधि सभा में ‘पाकिस्तान स्टेट स्पॉन्सर ऑफ टेररिज्म डेजीगनेट एक्ट (एचआर 6069)' पेश किया है.
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आतंकवाद पर प्रतिनिधि सभा की उप समिति के प्रमुख पो ने कहा, “समय आ गया है कि हम पाकिस्तान को धन देना बंद करें और उसे वो करार दें जो वो है: एक राष्ट्र जो आतंकवाद को प्रायोजित करता है.”
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान ऐसा सहयोगी है जो भरोसे काबिल नहीं है. साथ ही पाकिस्तान ने बरसों से अमेरिका के दुश्मनों की मदद की है. ओसामा बिन लादेन को शरण देने से लेकर हक्कानी नेटवर्क तक से नजदीकी रिश्ते रखने तक, इस बात से बहुत सारे सबूत हैं कि आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में पाकिस्तान किसका साथ दे रहा है.”
वहीं एक अन्य बयान में अमेरिकी सांसद पेटे ओलसोन ने उड़ी हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को कानून के कटघरे तक लाने के लिए हर प्रयास का समर्थन करने की घोषणा की है. उन्होंने कहा, “मैं कश्मीर में भारतीय सेना के बेस पर हुए हमले की कड़ी निंदा करता हूं जिसमें 18 सैनिक मारे गए हैं. भारत शांति के लिए हमारा मजबूत साझीदार और साथी है.” दूसरी तरफ सीनेट की इंडिया कॉकस के उप प्रमुख जॉन कॉरनिन ने एक खबर को ट्वीट किया जिसमें कहा गया है कि हमले के कारण हाल के दशकों में भारतीय सेना को बड़ा नुकसान उठाना पड़ा है.
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दूसरी तरफ अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों ने भी पाकिस्तान को आतंकवाद का प्रायोजक घोषित कराने की मुहिम तेज कर दी है. अमेरिका में भाजपा समर्थक लोगों के समूह ने बयान जारी कर कहा है, “पाकिस्तान लगभग तीस साल से आंतकवाद को अपनी नीति के तौर पर इस्तेमाल कर रहा है.” बयान में कहा गया है कि उड़ी में हमले को भारत के खिलाफ पाकिस्तान के युद्ध के कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए और भारत को इसका जवाब देना चाहिए.
हालांकि पाकिस्तान ने कहा है कि उड़ी हमले को लेकर उस पर लग रहे आरोप बेबुनियाद हैं. लेकिन पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल राहील शरीफ का ये भी कहना है कि वह हर खतरे का सामना करने को तैयार हैं.
रिपोर्ट: एके/वीके (पीटीआई)