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अपराध

दक्षिण अमेरिकी देश उरुग्वे कैसे बन गया है ड्रग्स का गढ़

७ अगस्त २०१९

संसाधनों और संस्थानों की कमी के चलते उरुग्वे मजबूती से ड्रग तस्करी की समस्या से नहीं लड़ पा रहा है. इन्हीं कमियों के चलते उरुग्वे ड्रग तस्करों का गढ़ भी बन गया है.

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Kokainfund in Deutschland
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo

एनरीके कैनन का कहना है कि उरुग्वे ड्रग्स को रोकने में कामयाब नहीं हो पा रहा है. ये बात उन्होंने फ्रांस के एक एयरपोर्ट पर उरुग्वे से आई हुई 600 किलो अवैध कोकीन के पकड़े जाने के बात कही. कैनन उरुग्वे के कस्टम विभाग के सर्वोच्च अधिकारी थे. अगस्त के पहले सप्ताह में हैम्बर्ग में एक कंटेनर शिप में 4.5 टन कोकीन पकड़े जाने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. पकड़ी गई इस कोकीन की कीमत लगभग एक अरब यूरो यानी करीब 80 अरब रुपये आंकी जा रही है. यह जर्मनी में एक साथ पकड़ी गई कोकीन की सबसे ज्यादा मात्रा है. हालांकि ये पहली बार नहीं था जब उरुग्वे से आने वाला कोकीन का बड़ा जखीरा हैम्बर्ग में पकड़ा गया हो. अप्रैल में भी हैम्बर्ग में एक कंटेनर से 440 किलो कोकीन पकड़ी गई जो चावल के कट्टों के बीच रखी हुई थी. ट्रांसपोर्ट के कागजातों के मुताबिक ये कंटेनर उरुग्वे से उस मालवाहक जहाज पर लादा गया था.

उरुग्वे यानी दक्षिण अमेरिका का स्विटजरलैंड

उरुग्वे दक्षिण अमेरिका का सबसे छोटा स्पेनिश बोलने वाला देश है. राजनीतिक और सामाजिक उथल पुथल वाले दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप में उरुग्वे को एक शांत और खुशहाल देश माना जाता है. लैटिन अमेरिकी देशों में अपराध पर शोध करने वाले पत्रकारों के समूह इनसाइट क्राइम के संपादक क्रिस डाल्बी कहते हैं ,"उरुग्वे, कोस्टारिका और चिली को दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप में इतिहास से ही शांत, स्थिर और सुरक्षित माना जाता है. लेकिन जैसे चीजें फिलहाल चल रही हैं उनसे यह छवि कमजोर पड़ने लगी है."

डाल्बी कहते हैं कि इस क्षेत्र के दूसरे देशों की तरह उरुग्वे कभी हिंसा से प्रभावित नहीं रहा. इसी वजह से यहां का अधिकारी वर्ग बेफिक्र रहा और उसने दूसरे देशों की तुलना में उन्होंने अपनी सीमाओं पर भी ध्यान नहीं दिया. वो कहते हैं कि इसी कमी का फायदा ब्राजील और बोलिविया के ड्रग माफियाओं और यूरोप में मौजूद उनके ग्राहकों ने उठाया. 

Hafen von Montevideo Uruguay
विकासशील उरुग्वे.तस्वीर: Pablo Porciuncula/AFP/Getty Images

कोकीन की बढ़ती मांग

परिस्थितियों के खराब होने की एक वजह दुनिया भर में कोकीन की बढ़ रही मांग भी है. यूएन के डाटा के मुताबिक साल 2017 में करीब 2,000 टन कोकीन का उत्पादन हुआ. यह साल 2016 में हुए कोकीन के उत्पादन से 25 प्रतिशत ज्यादा है. डाल्बी कहते हैं कि इस कोकीन के धंधे को कैसे भी खत्म करना ही होगा. ड्रग तस्कर दक्षिण अमेरिका के कम इस्तेमाल होने वाले निर्यात के रास्तों का इस्तेमाल करते हैं. साथ ही वो उरुग्वे जैसे देशों से आराम से निकल जाते हैं जहां सुरक्षा इतनी कड़ी नहीं है. डाल्बी के मुताबिक बोलिविया की कोकीन पिछले 10 साल से उरुग्वे के रास्ते यूरोप के बाजार में जा रही है. उरुग्वे की सरकार को 2013 में इस समस्या के बारे में पता लग गया लेकिन उन्होंने इसके बारे में कुछ नहीं किया.

बदल रहा है ड्रग व्यापार का तरीका

पूरी दुनिया में ड्रग के व्यापार का तरीका बदल रहा है. डाल्बी के मुताबिक पहले ड्रग व्यापार के मुखिया यानी ड्रग माफिया ड्रग की पैदावार से लेकर उसके ग्राहकों तक पहुंचाने का काम माफिया की निगरानी में होता था. लेकिन अब ऐसा नहीं होता है. अब पैदावार से डिलीवरी तक हर काम को छोटे-छोटे समूह करते हैं. ये समूह अपने-अपने काम में विशेषज्ञ हैं. डाल्बी के मुताबिक दुनियाभर का ड्रग व्यापार पहले की तुलना में अब बहुत सुव्यवस्थित है. अब बहुत सारे छोटे-छोटे लोग स्वतंत्र रूप से ड्रग्स के धंधे में लगे हुए हैं.

यहीं से ये धंधा उरुग्वे में पनपना शुरू होता है. उरुग्वे हाल के सालों में दुनियाभर में ड्रग तस्करी का गढ़ बन गया है. इस धंधे के लिए दक्षिण अमेरिका और यूरोप के अपराधी समूह मिलकर एक साथ काम कर रहे हैं. उरुग्वे अब अतंरराष्ट्रीय ड्रग तस्करी की दुनिया में चर्चित देश बन चुका है,

Kolumbien | Operation gegen Drogenhandeln
कोकीन की खेती.तस्वीर: imago/Agencia EFE/M. D. Castaneda

इटली से आ रही है मांग

क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ड्रग्स की तस्करी कर रहे लोगों को हैम्बर्ग में पकड़ी गई 1 अरब यूरो जैसी बड़ी खेप पकड़े जाने से भी कोई फर्क नहीं पड़ता है? डाल्बी कहते हैं कि फर्क तो जरूर पड़ता है. लेकिन अभी काम छोटे-छोटे समूहों में बंटा हुआ है. ऐसे में इस खेप के पकड़े जाने का असर दक्षिण अमेरिका में बैठे ड्रग तस्करों से ज्यादा यूरोप में बैठे तस्करों पर पड़ेगा. जिन लोगों को ये खेप मिलनी थी वही इस नुकसान को भुगतेंगे. इनमें अधिकांश इटली के माफिया शामिल हैं. लेकिन बाल्कन और रूस के माफिया भी शामिल हो सकते हैं क्योंकि ये किस तक पहुंचने वाली थी ये तो पता नहीं है. डाल्बी कहते हैं कि हैम्बर्ग में मिली खेप तो समुद्र में एक बूंद की तरह है.

उरुग्वे में उठी कार्रवाई की मांग

उरुग्वे के सामने ये चुनौती भरा समय है. अब उसे इस अंतरराष्ट्रीय ड्रग तस्करों पर कार्रवाई करनी ही होगी. उरुग्वे के मुख्य सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट परैडो ने डीडब्ल्यू से कहा कि उरुग्वे हमेशा से ड्रग्स तस्करी का एक रास्ता रहा है. इस समस्या को यहां के नेताओं द्वारा हमेशा नजरअंदाज किया गया. हैम्बर्ग में पकड़ी गई खेप उरुग्वे की सीमाओं और कस्टम विभाग की कमियों को जाहिर करती है. इसकी वजह ये है कि देश में ड्रग तस्करी, हथियारों की तस्करी और मानव तस्करी को रोकने के लिए कोई विशेष दल नहीं है.

डाल्बी उरुग्वे को लेकर अभी भी आशा में हैं. वो कहते हैं कि कम से कम उरुग्वे की सरकार को अब अपनी कमियों का पता तो चला है. और वो अब इस पर कार्रवाई करने की कोशिश में लगे हैं. एनरीके कैनन का इस्तीफा भी इसी कड़ी का एक उदाहरण है. अगर उरुग्वे ड्रग तस्करी के खिलाफ अपनी लड़ाई को गंभीरता से लेता है तो वो सफल भी हो सकता है.

गैब्रिएल गोंजालेज जोर्रिलिआ/ऋषभ शर्मा

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