क्या हैं भारत में इंटरनेट पर पांच सबसे बड़े जोखिम
माइक्रोसॉफ्ट के एक नए शोध में सामने आया है कि अवांछित संपर्क, अवांछित सेक्सटिंग, नफरत की भाषा, ट्रोल करना और कठोर व्यवहार भारत में इंटरनेट के इस्तेमाल से जुड़े पांच सबसे बड़े जोखिम हैं. आइए इन्हें समझते हैं.
कैसे कैसे जोखिम
अवांछित संपर्क, अवांछित सेक्सटिंग, नफरत की भाषा, ट्रोल करना और कठोर व्यवहार - इन्हें भारत में इंटरनेट का इस्तेमाल करने से जुड़े पांच सबसे बड़े जोखिम बताया है माइक्रोसॉफ्ट द्वारा किए गए एक नए शोध में. इस शोध के लिए कंपनी के शोधकर्ताओं ने 13 साल से ले कर 74 साल तक के इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों से बातचीत की.
कितनी आम हैं ऐसी घटनाएं
शोध में पता चला कि करीब 79 प्रतिशत लोगों को इंटरनेट पर इनमें से किसी एक जोखिम का सामना दो या उससे भी ज्यादा बार करना पड़ा है. लगभग 98 प्रतिशत लोगों को इन जोखिमों की वजह से किसी न किसी तरह की तकलीफ भी हुई. शायद यही कारण है कि 80 प्रतिशत लोगों ने यह चिंता जताई कि ये जोखिम फिर से उनके सामने आएंगे.
क्या परिचित करते हैं तंग
रिसर्चरों को पता चला कि दोषी व्यक्ति से परिचय होने और उससे जोखिम के बढ़ने में पक्का संबंध है. शोध में भाग लेने वालों में से 45 प्रतिशत लोग ऐसे थे जो दोषी व्यक्ति से वास्तविक जीवन में मिले हैं. इसके विपरीत 55 प्रतिशत लोग दोषी व्यक्ति से कभी नहीं मिले थे.
किसे है सबसे ज्यादा खतरा
युवा लड़कियों को लड़कों के मुकाबले ज्यादा जोखिम महसूस होता है. व्यस्क समूहों में मिलेनियल कहे जाने वाले लोग यानि वे युवा जिनका जन्म 1981 से ले कर 1996 के बीच हुआ था, सबसे ज्यादा जोखिम का सामना करते पाए गए हैं. कम से कम 80 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि ऐसे जोखिम एक बड़ी समस्या बन गए हैं. वहीं पुरुषों में ये आंकड़ा 77 प्रतिशत है.
भारत में कितनी सभ्यता
इस मौके पर माइक्रोसॉफ्ट ने अपने डिजिटल सिविलिटी इंडेक्स का ताजा संस्करण भी जारी किया, जो कि इंटरनेट पर सभ्य व्यवहार का आंकलन करता है. भारत में इस सूचकांक में एक साल में 12 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई है और अब ये 71 प्रतिशत पर है. सूचकांक पर जिस देश का स्कोर जितना ऊंचा होता है वहां इंटरनेट पर सभ्य व्यवहार में उतनी ही गिरावट हुई है.
कौन से विषय सबसे ज्यादा जोखिम भरे
भारत में जिन विषयों पर असभ्य व्यवहार सबसे ज्यादा होता है, उनमे 40 प्रतिशत के स्कोर के साथ सबसे आगे है लैंगिक रूझान. इसके बाद आते हैं धर्म (39 प्रतिशत), राजनीति (37 प्रतिशत), शारीरिक दिखावट (31 प्रतिशत) और लैंगिक पहचान (29 प्रतिशत). इंटरनेट पर भी सबसे ज्यादा जोखिम सोशल मीडिया साइटों पर है.