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उन्नाव रेप पीड़िता की मां लड़ेंगी चुनाव

आमिर अंसारी
१३ जनवरी २०२२

पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है. सबकी नजरें उत्तर प्रदेश पर है. कांग्रेस ने सत्ता की चाभी पाने के लिए महिलाओं पर दांव खेला है.

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तस्वीर: Getty Images/AFP/A. Deep

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने पिछले साल अक्टूबर में ऐलान किया था कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पार्टी 40 फीसदी टिकट महिलाओं को देगी. इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए प्रियंका गांधी ने कांग्रेस की पहली सूची में 50 महिलाओं को टिकट देने का ऐलान किया. गुरुवार को कांग्रेस महासचिव ने 125 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की जिसमें 40 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया गया है.

खास बात यह है कि इस सूची में एक ऐसी महिला का नाम है जिसकी बेटी के साथ बलात्कार हुआ था. कांग्रेस ने उन्नाव रेप पीड़िता की मां आशा देवी को अपना उम्मीदवार बनाया है. प्रियंका ने सूची जारी करते हुए कहा, "उन्नाव की उस लड़की की मां हमारी प्रत्याशी है जिसने सत्ताधारी दल के बलात्कारी विधायक के खिलाफ न्याय के लिए संघर्ष किया."

उन्होंने आगे कहा, "125 उम्मीदवारों की सूची में से 50 महिलाएं हैं. हमने प्रयास किया है कि संघर्षशील और पूरे प्रदेश में नई राजनीति की पहल करने वाले प्रत्याशी हों."

आशा सिंह की 19 वर्षीय बेटी के साथ 2017 में बलात्कार हुआ था और इसका आरोप विधायक कुलदीप सेंगर पर लगा था. कोर्ट ने सेंगर को दोषी पाया था और उम्रकैद की सजा हुई थी. अब आशा देवी उन्नाव की उसी बंगरमऊ सीट से चुनाव लड़ेंगी जहां से कभी सेंगर विधायक हुआ करते थे.

प्रियंका का कहना है कि कांग्रेस की सूची में ऐसी भी महिलाएं हैं जिन्होंने बहुत अत्याचार झेला है. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आशा देवी को टिकट दिए जाने पर ट्वीट कर लिखा, "उन्नाव में जिनकी बेटी के साथ भाजपा ने अन्याय किया, अब वे न्याय का चेहरा बनेंगी- लड़ेंगी, जीतेंगी!"

उत्तर प्रदेश की सियासत पर करीबी से नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार यूसुफ अंसारी कहते हैं, "प्रियंका गांधी ने महिला सशक्तिकरण का मुद्दा उठाकर राजनीति को महिला केंद्रित बनाने की कोशिश जरूर की है लेकिन उत्तर प्रदेश के चुनाव में यह फार्मूला कांग्रेस के लिए ज्यादा फायदेमंद साबित होता नहीं दिख रहा. यह बात माननी पड़ेगी कि विषम परिस्थितियों में प्रियंका ने महिला केंद्रित राजनीति की नींव जरूर रख दी है. भविष्य में कांग्रेस को इसका फायदा हो सकता है. ऐसा करके प्रियंका गांधी ने आधी आबादी यानी पूरे 50 फीसदी वोट बैंक को साधने की कोशिश की है."

प्रियंका गांधी कांग्रेस में महिलाओं को 40 फीसदी टिकट दे रही हैं लेकिन इसे लेकर पार्टी में ही सवाल उठ रहे हैं. इस पर अंसारी कहते हैं, "जहां पुरुष उम्मीदवार मजबूत है वह अपनी ही पार्टी की महिला मित्रों को हराने की साजिश कर सकते हैं ऐसी आशंका कांग्रेस नेताओं को है लेकिन प्रियंका का नारा महिलाओं को काफी प्रभावित कर रहा है."

इसके अलावा कांग्रेस ने लखनऊ सेंट्रल से सदफ जाफर को अपना उम्मीदवार बनाया है. सदफ सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन के दौरान जेल गई थीं. कांग्रेस ने एक आंदोलनकारी महिला को टिकट भी दिया है, उनका नाम पूनम पांडे है. पूनम ने आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय बढ़ाने के लिए आंदोलन किया था.

नजर आधी आबादी पर    

पिछले कई महीनों से उत्तर प्रदेश कांग्रेस और खासकर प्रियंका गांधी प्रदेश की महिलाओं को पार्टी की ओर आकर्षित करने की कोशिश में लगी हुई हैं. प्रियंका ने महिलाओं से जुड़े कई कार्यक्रम किए और चुनाव में जाने के लिए नारा दिया "लड़की हूं लड़ सकती हूं."

अंसारी कहते हैं कि चुनाव में महिलाओं की अलग से कोई भूमिका नहीं होगी क्योंकि वे वर्गों में बंटी हुई हैं. अंसारी के मुताबिक, "महिलाएं सिर्फ महिलाएं नहीं हैं, वे दलित हैं, पिछड़ी हैं, अगड़ी हैं, मुस्लिम भी हैं. दरअसल महिला कोई अलग से वोटबैंक नहीं है. हां, विधानसभा और लोकसभा में अपनी मौजूदगी बढ़ाने को लेकर महिलाओं में चेतना जरूर जागी है. जो चुनाव जीतने में सक्षम महिलाएं होंगी उनको महिलाओं का समर्थन और वोट जरूर मिल सकता है."

महिला की जीत सुनिश्चित होने पर ही पार्टियां उन्हें टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारती है. हालांकि किसी और पार्टी ने महिलाओं के टिकटें आरक्षित करने की बात नहीं की है, भारतीय राजनीति में ऐसे कई कारक हैं जो टिकट के लिए तय होते हैं, जैसे धर्म, जाति, माली हालत और क्षेत्र में समर्थन आदि. अंसारी के मुताबिक, "मुझे कतई ऐसा नहीं लगता कि वोटर जात-पात से उठकर महिलाओं के हक में वोट करेंगे. क्योंकि भारतीय समाज एक धर्म भीरु समाज है. इस समाज में महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कमतर समझा जाता है. ज्यादातर पुरुष नहीं चाहते कि महिलाएं सशक्त होकर किसी भी क्षेत्र में उनसे आगे बढ़ें."

जीत पक्की होने पर ही टिकट

दूसरी ओर पार्टी उसी उम्मीदवार पर पूरा दांव लगाती है जिसकी जीत पक्की होती है. अंसारी सिर्फ राजनीति ही नहीं समाज के हर स्तर पर महिला विरोधी आवाज पर कहते हैं, "करियर बनाने वाली महिलाओं को समाज का विरोध झेलना पड़ता है. यह विरोध परिवार से ही शुरू हो जाता है. भले ही समाज में महिला अधिकारों के प्रति काफी जागरूकता आ गई है लेकिन पुरुष आज भी महिलाओं को उनसे बेहतर या मजबूत होते नहीं देखना चाहते हैं."

पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था और 114 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ 7 सीट जीत पाई थी. 2017 में कांग्रेस पार्टी 49 सीटों पर दूसरे स्थान पर रही थी.

एक बात यह भी है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड संख्या में महिलाओं ने जीत हासिल की थी. पिछले बार के चुनाव में कुल 445 महिलाएं चुनाव मैदान में थीं, जिनमें में से 40 ने जीत दर्ज की. 2012 में ऐसी महिलाओं की संख्या 36 थी. 403 विधायकों वाली विधानसभा में 40 महिला विधायकों के जीतने के बावजूद महिलाओं के लिए तय 33 फीसदी के कोटे से यह आंकड़ा बहुत कम था.

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