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सीरिया को मदद का विस्तार करने पर सहमति बनी

१२ जुलाई २०२२

अमेरिका और रूस के बीच गतिरोध के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे वाले क्षेत्रों में तुर्की सीमा से सहायता के हस्तांतरण के छह महीने के विस्तार पर सहमति दे दी है.

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संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहली बार 2014 में सहायता योजना को मंजूरी दी थी
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहली बार 2014 में सहायता योजना को मंजूरी दी थीतस्वीर: Juma Mohammad/IMAGESLIVE/ZUMA Wire/picture alliance

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सोमवार को तुर्की से विद्रोहियों के कब्जे वाले सीरियाई क्षेत्रों में एक प्रमुख सहायता कार्यक्रम का विस्तार करने पर सहमति व्यक्त की. सहायता योजना रविवार को समाप्त होने वाली थी और सुरक्षा परिषद के दो वीटो सदस्य देश रूस और अमेरिका विस्तार के विवरण पर सहमत होने में विफल रहे. लेकिन परिषद में अंततः शुरू में प्रस्तावित साल भर के विस्तार के बजाय छह महीने के लिए योजना का विस्तार करने की रूस की योजना पर सहमति हुई.

सहायता सीरियाई सीमा वाले हिस्से में लगभग 24 लाख लोगों के लिए जीवन रेखा के रूप में कार्य करती है. संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के मुताबिक इस साल के पहले छह महीनों में लगभग 4,650 सहायता ट्रक बाब अल-हवी सीमा पार से सीरिया पहुंचे.

बीते शुक्रवार को सीरिया के सहयोगी रूस ने एक प्रस्ताव को वीटो कर दिया, जिससे मदद एक वर्ष के लिए बढ़ जाती. पश्चिमी ताकतों ने तब रूस द्वारा एक प्रतिद्वंद्वी प्रस्ताव को वोट दिया जिसमें सहायता तंत्र को केवल छह महीने तक बढ़ाने का आह्वान किया गया था.

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संयुक्त राष्ट्र में रूस के उप राजदूत दिमित्री पॉलींस्की ने दोहराया कि मॉस्को अपने स्वयं के अलावा किसी भी प्रस्ताव को वीटो करना जारी रखेगा.

2014 में सुरक्षा परिषद ने इराक, जॉर्डन और तुर्की में दो बिंदुओं से सीरिया के विद्रोही क्षेत्रों में मानवीय सहायता वितरण को हरी झंडी दी थी. इसका मकसद सीरिया में विद्रोहियों के आखिरी गढ़ में रहने वाले लोगों को बुनियादी जरूरत की चीजें मुहैया कराना था.

विद्रोहियों के कब्जे वाला क्षेत्र भी कट्टरपंथी इस्लामी समूह हयात तहरीर अल-शाम द्वारा नियंत्रित है. हालांकि यह सहायता वितरण जनादेश स्थायी नहीं है और परिषद को हर साल इसे नवीनीकृत करने की जरूरत होती है.

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मॉस्को का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र सहायता कार्यक्रम सीरिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करता है. इसलिए उसने देश के भीतर से और मदद की गुहार लगाई है. हालांकि, विपक्ष को डर है कि अगर ऐसा होता है तो भोजन और अन्य मदद बशर अल-असद की सरकार के नियंत्रण में आ जाएगी.

एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स, एपी)

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