संयुक्त राष्ट्र अंतरक्षेत्रीय अपराध और न्याय शोध संस्थान (यूएनआईसीआरआई) ने एक नई रिपोर्ट जारी की है जिसका नाम "वायरस को लेकर गलत जानकारियों को रोकना: कोविड-19 महामारी के दौरान आतंकवादियों, हिंसक चरमपंथियों और आपराधिक समूहों द्वारा सोशल मीडिया का दुर्भावनापूर्ण इस्तेमाल" है. यह रिपोर्ट बताती है कि आतंकवादी और चरमपंथी समूह सोशल मीडिया पर ऐसी साजिशी कहानियां भी फैल रहे हैं जिनमें वायरस को हथियार बनाया जा रहा है और सरकारों में भरोसे को कमजोर किया जा रहा है.
अल कायदा और आईएसआईएस से जुड़े समूह कोविड-19 महामारी का फायदा उठा रहे हैं और मनगढ़ंत कहानियां फैला रहे हैं कि "ईश्वर को नहीं मानने वाले" को वायरस सजा दे रहा है और यह "पश्चिम पर टूटा खुदा का कहर है." रिपोर्ट में कहा गया है कि आतंकियों को इसको जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने के लिए उकसाया जा रहा है.
रिपोर्ट में यूएनआईसीआरआई की निदेशक एंटोनिया मैरी डि मेयो लिखती हैं, "यह देखना चिंताजनक है कि कुछ आतंकवादी और हिंसक चरमपंथी गुटों ने सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल करने का प्रयास किया है ताकि संभावित आतंकवादियों को, कोविड-19 का संक्रमण फैलाने के लिये उकसाया जा सके और इसे एक कामचलाऊ जैविक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सके."
सोशल मीडिया पर कॉन्सपेरेसी थ्योरी फैला रहे हैं आतंकी.
इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले शोधकर्ताओं ने पाया कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल आतंकवाद भड़काने, कट्टरपंथी बनने वाले आतंकवादियों को हमले करने के लिए प्रोत्साहित करने में किया जा सकता है. रिपोर्ट में ऐसे मामलों का जिक्र किया गया है जिनमें दक्षिणपंथी चरमपंथी गुटों ने खुले तौर पर अपने समर्थकों से स्थानीय अल्पसंख्यकों खासतौर पर अल्पसंख्यक समूहों को वायरस से संक्रमित करने के लिए कहा.
आतंकवाद से जुड़ा ऐसा ही एक मामला टिमोथी विलसन का है जिसने अमेरिका के कंसास शहर में कोरोना वायरस का इलाज कर रहे एक अस्पताल में बम फोड़ने की साजिश की थी. मार्च 2020 में एफबीआई के साथ एक मुठभेड़ में टिमोथी विलसन की मौत हो गई थी. रिपोर्ट्स के मुताबिक टिमोथी विलसन सोशल मीडिया प्लेटफार्म टेलीग्राम पर दो नव नाजी चैनलों पर सक्रिय था और उसका आखिरी ऑनलाइन संदेश कोविड-19 के स्रोत के बारे में यहूदी विरोधी था.
एए/सीके (एएफपी)
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पूरे यूरोप में कोरोना नियमों के खिलाफ प्रदर्शन
लंदन में
लंदन में सैकड़ों लोग कोरोना नियमों के खिलाफ प्रदर्शन करने सड़कों पर जमा हुए. लंदन में रात का लॉकडाउन लगाया गया है जिसके तहत सभी रेस्तरां और बार रात भर बंद रहते हैं.
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पुलिसकर्मी घायल
इन प्रदर्शनों में तीन पुलिसकर्मी घायल हुए और 18 लोगों को हिरासत में लिया गया. प्रदर्शनकारियों के हाथों में "आजादी" की मांग करते हुए बड़े बड़े बैनर देखे गए.
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नारे लगाते लोग
सेंट्रल लंदन में जगह जगह लोग नारे लगाते दिखे. लंदन में फिलहाल सार्वजनिक जगहों पर छह से अधिक लोगों के जमा होने पर पाबंदी है.
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नाराज लोग
जैसे जैसे संक्रमित लोगों की संख्या बढ़ रही है, लंदन में नियमों के और सख्त होने की बात कही जा रही है. और लोग इससे काफी नाराज नजर आ रहे हैं.
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आजादी की मांग
इटली के शहर नेपल्स में भी सैकड़ों लोग सड़कों पर उतरे और तोड़फोड़ की. पुलिस को लोगों को हटाने के लिए आंसू गैस का सहारा लेना पड़ा. यहां भी लोग "आजादी" की मांग कर रहे हैं.
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भड़की हिंसा
हालांकि इटली के गृह मंत्रालय का कहना है कि कुछ फुटबॉल प्रेमियों ने योजना बना कर हिंसा भड़काई और कोरोना प्रदर्शनों को उग्र रूप दिया. इटली में अब तक कोरोना के कारण 37 हजार लोगों की जान जा चुकी है.
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इटली मे प्रदर्शन
यूरोप में कोरोना संक्रमण की शुरुआत इटली से ही हुई थी. गर्मियों के दौरान संक्रमण थोड़ा सीमित रहा और अब 24 घंटों में 20 हजार नए मामले देखे जा रहे हैं.
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बड़ा नुकसान
नए लॉकडाउन नियमों के चलते रेस्तरां मालिकों को काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है. ऐसे में जिन लोगों का काम ठप्प पड़ गया है, वे रोम की सड़कों पर प्रदर्शन करने उतर रहे हैं.
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पूरे यूरोप में कोरोना नियमों के खिलाफ प्रदर्शन
पुलिस से भिड़े
इटली में रेस्तरां इत्यादि को शाम छह ही बजे बंद कर देने का नियम लागू किया गया है. नेपल्स और रोम के अलावा वहां फैशन कैपिटल मिलान में भी प्रदर्शनकारी पुलिस से भिड़े.
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हजार यूरो का जुर्माना
लॉकडाउन के नियमों का पालन ना करने पर इटली में एक हजार यूरो का जुर्माना देना पड़ सकता है. इसके बावजूद लोग बाहर निकल रहे हैं.
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इटली, ब्रिटेन और जर्मनी
इटली और ब्रिटेन के अलावा जर्मनी में भी कोरोना नियमों के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे हैं. बर्लिन में करीब दो हजार लोग सड़कों पर उतरे. ज्यादातर लोग यहां बिना मास्क के ही नजर आए.
रिपोर्ट: ईशा भाटिया सानन