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युद्ध में आपसी सहयोग के बावजूद जर्मनी-यूक्रेन में तनाव क्यों

३ मई २०२२

जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने कहा है कि बीते दिनों राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर को यूक्रेन ना आने देना मंजूर करने लायक बात नहीं. इस पर यूक्रेनी राजदूत ने जवाबी बयान दिया है.

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जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की
जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्कीतस्वीर: Ben Stansall/empics/abaca/picture alliance

युद्ध में आर्थिक और सैन्य सहयोग के बावजूद जर्मनी और यूक्रेन के रिश्ते में तनाव साफ दिख रहा है. यूक्रेन के राजदूत आंद्रे मेलनेयक ने जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स के फिलहाल यूक्रेन का दौरा ना करने के फैसले की आलोचना की है. युद्ध में आर्थिक और सैन्य सहयोग के बावजूद जर्मनी और यूक्रेन के रिश्ते में तनाव साफ दिख रहा है. शॉल्त्स ने सोमवार शाम कहा था, "बीते दिनों यूक्रेन का जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर को देश के दौरे से अनिमंत्रित कर देना अब भी उनके यूक्रेन जाने की राह में अड़ंगा है."

(पढ़ें-यूक्रेन को इतनी मदद देकर भी आलोचना झेल रहा है जर्मनी )

पहले राष्ट्रपति श्टाइनमायर पोलैंड, लात्विया, एस्टोनिया और लिथुएनिया के राष्ट्र प्रमुखों के साथ कीव जाने वाले थे, लेकिन अचानक यूक्रेन ने उन्हें आने से मना कर दिया. शॉल्त्स के इनकार के बाद अब ऐसी संभावना बन रही है कि जर्मनी की ओर से विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक और दो जर्मन सांसद आने वाले दिनों में यूक्रेन जाएंगे.

यूक्रेनी राजदूत की प्रतिक्रिया

न्यूज एजेंसी डीपीए से यूक्रेनी राजदूत मेलनेयक ने कहा, "आवेश में आना अच्छी राजनीतिज्ञता नहीं है. यहां यूक्रेन पर नाजी हमले के बाद की सबसे बर्बर जंग को खत्म करने की बात हो रही है, यह कोई किंडरगार्टन नहीं है."

आंद्रे मेलमेयक, जर्मनी में यूक्रेन के राजदूत
आंद्रे मेलमेयक, जर्मनी में यूक्रेन के राजदूततस्वीर: Christophe Gateau/dpa/picture alliance

इससे पहले सोमवार को शॉल्त्स ने कहा कि "यह मंजूर करने लायक नहीं है कि एक देश जो बहुत सी सैन्य मदद, बहुत सी आर्थिक मदद दे रहा है, उसे कह देना कि उसका (जर्मनी का) राष्ट्रप्रमुख ना आए."

जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर
जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायरतस्वीर: Bernd von Jutrczenka/dpa/picture alliance

यूक्रेन को जर्मन राष्ट्रपति के आने से आपत्ति है, लेकिन चांसलर से नहीं. राजदूत मेलनेयक ने कहा, "राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की जर्मन चांसलर की कीव यात्रा पर खुश होंगे." साथ ही जोड़ा, "यूक्रेन इसके एक प्रतीकात्मक दौरा होने से कहीं ज्यादा होने की उम्मीद करेगा. उम्मीद करेगा कि जर्मनी का सत्ताधारी गठबंधन जर्मन संसद की ओर से मंजूर भारी हथियार देने का फैसला जल्द लागू करे और अब तक किए वादे पूरे करे."

जर्मनी की बढ़ती आलोचना के पीछे तेल की खरीदारी से जुड़ी हाल की एक रिपोर्ट भी हो सकती है. इसमें दावा किया गया था कि रूस से पिछले 2 महीनों से सबसे ज्यादा तेल खरीदने वाला देश जर्मनी है. जेलेंस्की रूसी तेल खरीदने को "ब्लड मनी" बता चुके हैं और कई मंचों से कह चुके हैं कि रूस से तेल खरीदने का मतलब है यूक्रेन में हो रही जंग के लिए रूस को पैसा मुहैया करवाना, यूक्रेनी नागरिकों के कत्ल के लिए पैसा देना."

जर्मनी ने क्या मदद दी है

अपने ताजा फैसले में जर्मनी ने यूक्रेन को 'जीपार्ड एंटी-एयरक्राफ्ट टैंक' देने का वादा किया है. यह पहला भारी हथियार होगा जिसे जर्मनी सीधा यूक्रेन तक पहुंचाएगा. इससे पहले जर्मनी ने जानकारी दी थी कि वह यूक्रेन को एंटी-टैंक और एयर-डिफेंस जैसे सुरक्षात्मक हथियार भेज चुका है.

जीपार्ड एयर डिफेंस टैंक पहला भारी हथियार है जो जर्मनी सीधे यूक्रेन को देने जा रहा है.
जीपार्ड एयर डिफेंस टैंक पहला भारी हथियार है जो जर्मनी सीधे यूक्रेन को देने जा रहा है. तस्वीर: Carsten Rehder/dpa/picture alliance

जर्मनी नाटो सहयोगियों से यूक्रेन को मिले हथियारों के कुछ स्पेयर पार्ट भी मुहैया करवा रहा है. साथ ही 2 अरब यूरो की सैन्य मदद का ऐलान भी किया गया था. जर्मनी हथियार निर्माताओं को सीधा पैसा मुहैया करवा रहा है ताकि यूक्रेन को जल्द से जल्द हथियार दिए जा सकें.

जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक
जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉकतस्वीर: LISI NIESNER/REUTERS

जर्मन विदेश मंत्री बेयरबॉक ने पिछले महीने कहा था, "जर्मनी ने एंटी-टैंक मिसाइल, स्टिंगर्स और अन्य हथियार भेजे हैं. जो हथियार हम नहीं दे सकते और हमारे सहयोगी (यूक्रेन को) पहुंचा सकते हैं, ऐसे उन्नत हथियारों के रखरखाव और सैनिकों को प्रशिक्षण देने में हम यूक्रेन की मदद करेंगे."

जर्मनी ने अन्य पश्चिम यूरोपीय देशों को मुकाबले ज्यादा यूक्रेनी नागरिकों को शरण दी है. अब तक करीब साढ़े तीन लाख यूक्रेनी नागरिक जर्मनी में आ चुके हैं. जंग रोकने के लिए शॉल्त्स मॉस्को का दौरा भी कर चुके हैं, हालांकि वह पुतिन के इरादों को बदल पाने में नाकाम रहे थे.

आरएस/आरपी (डीपीए)