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कानून और न्यायब्रिटेन

ब्रिटेन:टिक टॉक पर डेटा सुरक्षा को लेकर लग सकता है जुर्माना

२७ सितम्बर २०२२

ब्रिटेन में शॉर्ट वीडियो ऐप टिक टॉक पर बच्चों की गोपनीयता कानूनों का पालन करने में विफल रहने पर 2.7 करोड़ पाउंड का जुर्माना लगाया जा सकता है.

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कई देशों में टिक टॉक विवादों में फंस चुका है
कई देशों में टिक टॉक विवादों में फंस चुका हैतस्वीर: Rasit Aydogan/AA/picture alliance

ब्रिटेन में सूचना आयुक्त कार्यालय ने टिक टॉक को कानूनी नोटिस जारी किया है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने डेटा सुरक्षा कानूनों का उल्लंघन किया है. टिक टॉक पर गोपनीयता कानूनों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है और यूजर्स के निजी डेटा की सुरक्षा से संबंधित कानूनों के उल्लंघन का भी संदेह है. हालांकि, इस संबंध में अभी तक केवल संदेह व्यक्त किया गया है.

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नोटिस में कहा गया है कि टिक टॉक ने 13 साल से कम उम्र के बच्चों के डेटा को माता-पिता की सहमति के बिना संसाधित किया होगा और ऐसे करने में उसने अपने यूजर्स को पारदर्शी तरीके से उचित जानकारी देने में विफल रहा.

सूचना आयुक्त कार्यालय के मुताबिक ''विशेष श्रेणी डेटा'' में उपयोगकर्ताओं के रंग, जाति, राजनीतिक विचारों, धार्मिक विश्वासों और यौन झुकाव शामिल हैं.

डेटा सुरक्षा का सवाल

ब्रिटिश सूचना आयुक्त कार्यालय ने यह भी संदेह जाहिर किया है कि टिक टॉक अपने यूजर्स को प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने और नियमों और विनियमों की जानकारी के बारे में स्पष्ट और सरल भाषा निर्देश प्रदान करने में भी विफल रहा है.

यह कानूनी नोटिस 2018 से 2020 तक की अवधि को कवर करता है. ब्रिटिश सूचना आयुक्त जॉन एडवर्ड्स ने एक मीडिया साक्षात्कार में कहा है कि टिक टॉक ने शायद इस अवधि के दौरान अपने यूजर्स को पर्याप्त डेटा सुरक्षा जानकारी प्रदान नहीं की.

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सूचना आयुक्त कार्यालय ने टिक टॉक से आरोपों का जवाब देने को कहा है. आगे कहा गया है कि संगठन अभी तक इन आरोपों के बारे में निश्चित नहीं है, हालांकि, जानकारी के विश्लेषण से ऐसा लगता है कि टिक टॉक इन कानूनों का उल्लंघन करने का दोषी हो सकता है.

बच्चों को खतरनाक सामग्री तक पहुंचने से बचाने के लिए ब्रिटिश सरकार 'ऑनलाइन सेफ्टी बिल' पारित करने की कोशिश कर रही है. हाल के दिनों में पश्चिमी देशों में इस संबंध में कानून बनाने के प्रयास तेज किए जा रहे हैं.

जानकारों का कहना है कि कानून तो है, लेकिन खासकर माता-पिता को अपने बच्चों पर इंटरनेट के इस्तेमाल को लेकर कड़ी नजर रखनी चाहिए. खासकर सोलह साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और गेम्स का इस्तेमाल भी खतरनाक स्थिति को पैदा कर सकता है.

टिक टॉक और विवाद

वजूद में आने के बाद से टिक टॉक अक्सर विवादों में रहा है. 2019 में अमेरिका ने इस ऐप के खिलाफ एक जांच की थी, जिसके बाद इसे प्रतिबंधित करने की चेतावनी दी गई थी. भारत ने 2019 में अस्थायी तौर पर और फिर 2020 में स्थायी रूप से इस ऐप को बैन कर दिया था. 29 जुलाई 2020 को भारत सरकार ने टिक टॉक समेत 233 चीनी ऐप्स को यह कहते हुए बैन कर दिया था कि ये ऐप भारत की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा हैं.

इंडोनेशिया में 2018 को टिक टॉक पर पॉर्नोग्रफी, अनुचित सामग्री और ईशनिंदा जैसे आरोप लगाते हुए बैन कर दिया था. इसके बाद कंपनी ने कहा कि वह 20 लोगों को नौकरी पर रखेगी और सामग्री को सेंसर किया जाएगा. इस आश्वासन के बाद बैन हटा लिया गया था. बांग्लादेश में ऐप को 2018 में एक बार बैन किया जा चुका है. पाकिस्तान ने भी 2020 में इस ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया था जिसे बाइटडांस के आश्वासन के बाद हटा लिया गया.

एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)

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