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राजनीतिवेनेजुएला

दक्षिण अमेरिका में क्यों पैदा हो गया युद्ध का खतरा

विवेक कुमार
२५ दिसम्बर २०२३

युनाइटेड किंग्डम अपना एक लड़ाकू जहाज गयाना भेजने की तैयारी कर रहा है. वेनेजुएला के साथ गयाना का तनाव बढ़ने के बाद यह फैसला किया गया है. क्यों बढ़ गया है इतना तनाव?

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Satellitenbild eines Tagebaus im Einzugsgebiet der Flüsse Cuyuní und Mazaruni
तस्वीर: Reybert Carrillo

बीबीसी ने खबर दी है कि यूके का लड़ाकू जहाज एचएमएस ट्रेंट गयाना भेजा जाएगा जहां वह क्रिसमस के बाद एक सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेगा. गयाना राष्ट्रमंडल का सदस्य है और ब्रिटेन की कॉलोनी रहा है. गयाना के प्रति कूटनीतिक और सैन्य समर्थन जताने के लिए ब्रिटेन अपना जहाज गयाना भेज रहा है.

यह फैसला तब हुआ है जबकि कुछ ही समय पहले वेनेजुएला ने गयाना के एक खनिज और तेल जैसे संसाधनों से भरपूर इलाके पर अपना दावा फिर से जताया है. वेनेजुएला की सरकार ने इसी महीने की शुरुआत में गयाना के एस्कीबो इलाके को छीनने की धमकी दी थी.

वेनेजुएला की इस धमकी के बाद दक्षिण अमेरिका में दशकों बाद युद्ध का डर पैदा हो गया है. पिछले बार इस महाद्वीप में 1982 में फॉल्कलैंड्स विवाद हुआ था.

वेनेजुएला का दावा

वेनेजुएला बहुत पहले से एस्कीबो पर दावा करता रहा है. 61 हजार वर्ग किलोमीटर के इस इलाके में गयाना का दो तिहाई हिस्सा आ जाता है. इसकी पहाड़ियां सोने, हीरे और बॉक्साइट से भरपूर हैं जबकि इसके तट के पास तेल का बड़ा जखीरा मिला है.

गयाना की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है जबकि वेनेजुएला मुश्किलों से जूझ रहा है. 3 दिसंबर को वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने एक जनमत संग्रह कराया था जिसमें जनता से पूछा गया कि एस्किबो पर देश को दावा करना चाहिए या नहीं.

हालांकि इस जनमत संग्रह के नतीजों पर संदेह और विवाद हुए लेकिन मादुरो ने फिर भी देश का नया नक्शा प्रकाशित कर दिया जिसमें एस्किबो को वेनेजुएला का हिस्सा दिखाया गया. मादुरो ने एस्किबो के लिए नए गवर्नर की नियुक्ति कर दी और वहां रह रहे लोगों को वेनेजुएला के पहचान पत्र बनवाने की पेशकश की. उन्होंने राष्ट्रीय तेल कंपनी से एस्किबो में तेल खनन के लाइसेंस जारी करने का भी ऐलान किया है.

इसके बाद मादुरो गयाना के राष्ट्रपति इरफान अली से मिले और किसी तरह के बल का प्रयोग ना करने का वादा किया. लेकिन उन्होंने एस्किबो पर दावा नहीं छोड़ा है.

इस पूरे घटनाक्रम का अंतरराष्ट्रीय असर भी हो रहा है. लंदन की लॉयड्स इंश्योरेंस ने गयाना को सबसे खतरनाक जहाज मार्गों वाले इलाके में शामिल कर लिया है.

एस्किबो विवाद की जड़ें

एस्किबो विवाद की जड़ें करीब दो सौ साल पुरानी हैं जब ग्रेट ब्रिटेन ने गयाना पर कब्जा किया था. यह कब्जा नीदरलैंड्स के साथ हुई एक संधि के तहत ब्रिटेन को मिला था. इस इलाके में एस्किबो भी शामिल था जिसे ब्रिटिश गयाना नाम दिया गया. लेकिन वेनेजुएला तब भी इस इलाके को अपना बताता था और इस पर ब्रिटिश शासकों व वेनेजुएला के बीच करीब एक सदी तक विवाद जारी रहा. जब एस्किबो में सोने की मौजूदगी का पता चला तो ये दावे और तेज हो गए और दोनों पक्ष इस विवाद को एक अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल में ले जाने को सहमत हो गए.

1899 में अंतरराष्ट्रीय ट्राइब्यूनल ने इलाके का 90 फीसदी हिस्सा और सोने की सारी खदानें ब्रिटिश गयाना के हक में दे दीं. वेनेजुएला ने इस फैसले की आलोचना की. उनका आरोप था कि ब्रिटिश और रूसी अधिकारियों की मिलीभगत से उसके खिलाफ फैसला दिया गया.

तब से यह विवाद हमेशा बना रहा है. 1958 में वेनेजुएला के शासक मार्कोस जिमेनेज ने एस्किबो पर हमला करने की योजना तक बना ली थी लेकिन उनका तख्त पलट दिया गया. वेनेजुएला आज भी 1899 के ट्राइब्न्यूनल के फैसले को गलत बताता है.

मौजूदा स्थिति

1966 में गयाना को ग्रेट ब्रिटेन से आजादी मिली थी. इससे ठीक पहले ब्रिटेन और वेनेजुएला के बीच जेनेवा समझौता हुआ था जो एस्किबो विवाद को स्थायी रूप से सुलझाने की दिशा में एक अस्थायी कदम था. इस समझौते के मुताबिक अगर दोनों पक्ष विवाद का एक स्थायी और शांतिपूर्ण हल खोजने में विफल रहते हैं तो "वे सहमति से एक अंतरराष्ट्रीय संस्था के पास जाएंगे" और वहां भी सफलता नहीं मिलती है तो वे संयुक्त राष्ट्र महासचिव के पास जाएंगे.

जेनेवा समझौते में ब्रिटेन ने वेनेजुएला की यह बात मान ली थी कि 1899 का फैसला मान्यता नहीं रखता लेकिन इससे आगे कुछ नहीं कहा था, लिहाजा यथास्थिति बनी रही. लेकिन 2010 के दशक में गयाना के तट के पास तेल के बड़े जखीरे का पता लगने के बाद वेनेजुएला अपने दावे पर आक्रामक हो गया है. हाल ही में वेनेजुएला की विपक्ष के नेता मरिया कोरिना माचाडो ने सोशल मीडिया पर लिखा, "हम वेनेजुएला के लोग जानते हैं कि एस्किबो पर वेनेजुएला का हक है और हम इसकी रक्षा करने को प्रतिबद्ध हैं."

वेनेजुएला का एक और काला सोना

वेनेजुएला की आक्रामकता के चलते गयाना ने ब्राजील और अमेरिका के साथ सुरक्षा संबंध मजबूत किए हैं. जॉन क्विन्सी एडम्स सोसायटी नामक थिंक टैंक में प्रोग्राम असिस्टेंट एजे मानुजी लिखते हैं कि अभी तो किसी तरह के हिंसक विवाद के आसार नहीं हैं.

रिसपॉन्सिबल स्टेटक्राफ्ट नामक ऑनलाइन पत्रिका में अपने लेख में मानुजी ने लिखा, "जनमत संग्रह का ऐलान तब किया गया जबकि विपक्ष के नेता का चुनाव होना था. भले ही जनमत संग्रह को लेकर विपक्ष बंटा हुआ था लेकिन वे एस्किबो पर दावे का समर्थन करते हैं. 2024 में चुनाव होने हैं और आर्थिक मुश्किलों से जूझ रहे देश में मादुरो लोकप्रियता घटने की सूरत में इस संकट को का इस्तेमाल कर राष्ट्रवादियों को अपने पक्ष में जुटा सकते हैं."

जनमत संग्रह का विरोध करने वाले विपक्षी नेताओं को मादुरो देशद्रोही बता चुके हैं.

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