सेल्फ-ड्राइविंग कारों को सड़कों पर उतरने की कानूनी इजाजत
२८ अप्रैल २०२१ब्रिटेन के परिवहन मंत्रालय ने कहा है कि देश के हाईवे कोड को नए नियमों के अनुकूल बनाने के लिए सही शब्द तलाशे जा रहे हैं ताकि स्वयंचालक कारों का सुरक्षित इस्तेमाल किया जा सके. इसके तहत पहला बदलाव ऑटोमेटेड लेन कीपिंग सिस्टम्स (एएलकेए) का होगा जिसके जरिए ऐसे सेंसर और सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किए जाएंगे कि स्वयंचालक कारें अपनी ही लाइन में रहें, ब्रेक लगाएं और रफ्तार को घटा-बढ़ा सकें. ब्रिटिश सरकार ने कहा है कि एएलकेएस का इस्तेमाल मोटरवे तक ही सीमित होगा और अधिकतम रफ्तार 60 किलोमीटर प्रतिघंटा रहेगी.
वहां की सरकार चाहती है कि स्वयंचालक वाहनों को सड़कों पर उतारने के मामले मे देश दुनिया की अगुआई करे. परिवहन मंत्रालय का अनुमान है कि 2035 तक देश की 40 फीसदी कारों में स्वयंचालन की क्षमता होगी और इससे 38 हजार नई नौकरियां पैदा होंगी. कार उद्योग से जुड़ी संस्था सोसाइटी ऑफ मोटर मैन्युफैक्चरर्स ऐंड ट्रेडर्स के सीईओ माइक हॉज ने एक बयान में इस कदम का स्वागत किया है. उन्होंने कहा, "ऑटो उद्योग इस अहम कदम का स्वागत करता है जो ब्रिटेन को सड़क सुरक्षा और ऑटो तकनीक के मामले में अगुआ बना देगा.”
लेकिन देश की इंश्योरेंस कंपनियां इस कदम को लेकर आशंकित हैं. इन कंपनियों का कहना है कि कार बनाने वाली कंपनियां और नियामक संस्थाएं तकनीक में मौजूद कमियों को दूर नहीं करते हैं तो यह कदम उलटा भी पड़ सकता है. बीमा कंपनियों को आशंका है कि एएलकेएस को ऑटोमेटेड या सेल्फ-ड्राइविंग यानी स्वयंचालन कहने से कार ड्राइवर्स यह समझ सकते हैं कि कारें खुद को ड्राइव कर सकती हैं, जिससे हादसे बढ़ेंगे और लोग तकनीक के खिलाफ हो जाएंगे.
एएलकेएस सिस्टम को टेस्ट करने वाली संस्था थैचम रिसर्च के शोध निदेशक मैथ्यू एवरी कहते हैं, "हमारी चिंता ये है कि एएलकेएस को ऑटोमेटेड कहकर सरकार लोगों को उलझन में डाल रही है जो ऐसी तकनीक का गैर-वाजिब इस्तेमाल बढ़ा सकता है जिस कारण पहले ही कई त्रासदियां हो चुकी हैं.”
इस तकनीक को गलत समझ लेने का खतरा अमेरिका में भी जताया जा रहा है और अमेरिकी अधिकारी टेस्ला के ऑटो पायलट पर चलने वाली कारों के करीब 20 हादसों की जांच कर रहे हैं.
फिलहाल मौजूद तकनीक के तहत सेल्फ-ड्राइविंग कारें एक तरह से ड्राइवर की कुछ हद तक ही मदद कर पाती हैं.
वीके/एए (रॉयटर्स)