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मीडिया

न्यूज चैनल को लेकर अमेरिका और पोलैंड में ठनी

२३ जुलाई २०२१

एक समाचार चैनल को लाइसेंस देने के मामले पर पोलैंड और अमेरिका के बीच ठन गई है. अमेरिका ने पोलैंड को चेतावनी भी दे डाली है.

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तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/C. Sokolowski

डिस्कवरी कंपनी के समाचार चैनल का लाइसेंस रीन्यू करने को लेकर अमेरिका और पोलैंड आमने-सामने हैं. अमेरिका ने पोलैंड को चेतावनी दी है कि यदि चैनल का लाइसेंस रीन्यू नहीं किया गया तो भविष्य में देश में अमेरिकी निवेश रोका जा सकता है.

डिस्कवरी का न्यूज चैनल TVN24 दिनभर चलने वाला समाचार चैनल है. उसके लाइसेंस को रीन्यू करने की प्रक्रिया जारी है. यह लाइसेंस 26 सितंबर को खत्म हो रहा है. लेकिन पोलैंड का एक प्रस्तावित कानून इस चैनल के लाइसेंस के लिए खतरा बन गया है जिसकी वजह से अमेरिका ने तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है.

अमेरिका के विदेश मंत्रालय के काउंसलर डेरेक शोलेट ने गुरुवार को कहा कि लाइसेंस रीन्यू नहीं किया गया तो अमेरिकी निवेश पर भी आंच आ सकती है. शोलेट ने कहा, "पोलैंड में यह एक बड़ा अमेरिकी निवेश है. और अगर लाइसेंस रीन्यू नहीं किया गया तो उसके भविष्य के निवेश पर बड़े असर होंगे.” उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को पोलिश अधिकारियों के साथ बातचीत में भी उठा चुके हैं.

बाहरी कंपनियों को हटाने की कोशिश

पोलैंड की सत्ताधारी लॉ एंड जस्टिस पार्टी मौजूदा कानून में बदलाव की योजना बना रही है जिसके चलते डिस्कवरी को चैनल में अपनी हिस्सेदारी का अधिकतर भाग बेचना पड़ सकता है. गुरुवार को नेशनल ब्रॉडकास्टिंग काउंसिल (KRRiT) ने चैनल के लाइसेंस को लेकर वोटिंग भी की लेकिन निर्णायक नतीजे नहीं आए.

टीवीएन की अनुमानित कीमत एक अरब अमेरिकी डॉलर यानी लगभग 75 अरब रुपये है, जो पोलैंड में अमेरिका का सबसे बड़ा एकमुश्त निवेश है.

जुलाई में सत्ताधारी पार्टी के सांसदों ने ब्रॉडकास्टिंग एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव संसद में पेश किया था. नए प्रस्तावों में यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र से बाहर की कंपनियों को पोलैंड में रेडियो और टेलीविजन चैनलों के स्वामित्व का अधिकार न देने की बात है.

मीडिया की आजादी पर हमला

इस कानून को अमेरिका ने मीडिया की आजादी पर हमला बताया है. सत्ताधारी पोलिश पार्टी के विरोधियों ने भी इसे मीडिया की स्वतंत्रता को कुचलने की कोशिश बताया है. शालोट ने कहा, "मीडिया की आजादी बेहद महत्वपूर्ण है.

जबकि लॉ एंड जस्टिस पार्टी का तर्क है कि विदेशी कंपनियों का देश के मीडिया उद्योग में बहुत ज्यादा दखल है जिस कारण जनता के बीच चल रही बहस बिगड़ रही है.

इंटरनेशनल प्रेस इंस्टिट्यूट ने भी पोलैंड के इस कदम को गलत बताते हुए मीडिया अधिकारों पर चिंता जताई है. आईपीई ने पिछले हफ्ते जारी एक बयान में कहा कि प्रस्तावित मीडिया बिल सत्ताधारी पार्टी द्वारा आलोचनात्मक पत्रकारिता पर रोकने का व्यवस्थागत प्रयास है.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)

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