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समाज

भारत-चीन सीमा विवाद क्या शांत हो रहा है?

आमिर अंसारी
२८ मई २०२०

लद्दाख में चीन और भारत के बीच सीमा विवाद एक बार फिर छिड़ जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मध्यस्थता का प्रस्ताव पेश किया है. हालांकि भारत और चीन ने इस पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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China Indien Grenzstreit
तस्वीर: picture-alliance/A.Wong

भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पिछले दिनों हुए विवाद के बाद मामला शांत होता दिख रहा है. चीन ने भी कहा है कि हालात स्ठिर और नियंत्रण में है. भारत-चीन के बीच विवाद को लेकर बुधवार 27 मई को अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मध्यस्थता का प्रस्ताव भी पेश किया था. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, "हमने भारत और चीन को सूचित कर दिया है कि अमेरिका दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने और उसमें मध्यस्थता करने के लिए तैयार और सक्षम है."

ट्रंप के मध्यस्थता की पेशकश पर अब तक ना भारत और ना ही चीन की ओर से कोई प्रतिक्रिया आई है. जानकारों का कहना है कि दोनों देश अपने विवादों पर किसी बाहरी हस्तक्षेप का विरोध करते आए हैं और इस बार ट्रंप के प्रस्ताव को भी मंजूर नहीं करेंगे. ऐसा पहली बार हुआ है कि भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चल रहे विवाद पर अमेरिका या किसी दूसरे देश ने टिप्पणी की है. ट्रंप इससे पहले भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता का भी प्रस्ताव दे चुके हैं.

पिछले साल जुलाई में ट्रंप ने पहली बार कश्मीर मुद्दे पर "मदद" की पेशकश की थी. हालांकि भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रस्ताव को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि कश्मीर मुद्दे पर द्विपक्षीय स्तर पर ही विचार हो सकता है. इसके बाद भी ट्रंप कई बार कश्मीर मुद्दे पर "मदद" करने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं. हर बार ट्रंप को जवाब ना के ही रूप में मिला है. दूसरी तरफ बुधवार को ही भारत में चीन के राजदूत सन वेइडोंग ने कहा है कि भारत और चीन को अपने मतभेदों का असर कभी भी उनके दूसरे द्विपक्षीय संबंधों पर नहीं पड़ने देना चाहिए. साथ ही उन्होंने आपसी विश्वास को बढ़ाने पर जोर दिया. 

कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में चीन के अनुभवों पर एक वेबीनार में बोलते हुए चीनी राजदूत ने कहा, "हमें मूल निर्णय का पालन करना चाहिए कि चीन और भारत के पास एक दूसरे के लिए अवसर है और हम एक दूसरे के लिए कोई खतरा नहीं है. हमें एक दूसरे के विकास को सही तरीके से देखने की जरूरत है और साथ ही रणनीतिक पारस्परिक विश्वास को बढ़ाने की जरूरत है." चीनी राजदूत के बयान से पहले चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि सीमा के हालात पूरी तरह स्थिर और नियंत्रण में हैं.

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था दोनों देशों के पास बातचीत और विचार-विमर्श कर मुद्दे को सुलझाने के लिए सही तंत्र मौजूद है. गौरतलब है कि मंगलवार को चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सेना को पूरी तरह से तैयार होने के निर्देश दिए थे. हालांकि उन्होंने जंग जैसे हालात से निपटने को लेकर दिए अपने बयान में किसी भी देश का नाम नहीं लिया था. इसी महीने की शुरुआत में लद्दाख में चीनी और भारतीय सेना के जवान आमने-सामने आ गए थे. कुछ मीडिया रिपोर्ट में यहां तक कहा गया कि चीन ने लद्दाख सीमा के पास एयरबेस का विस्तार किया है और साथ ही लड़ाकू विमानों की तैनाती का भी दावा किया गया.

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