सऊदी अरब के बाद ट्रंप के इस्राएल दौरे पर निगाहें
२२ मई २०१७ट्रंप अपने इस्राएल दौरे में प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतान्याहू और फलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास से अलग अलग मुलाकातें करेंगे. इसके अलावा वह धार्मिक स्थलों का दौरा भी करेंगे.
जनवरी में राष्ट्रपति पद संभालने के बाद ट्रंप पहली बार विदेश दौरे पर हैं. उनके इस दौरे का पहला पड़ाव सऊदी अरब था. रियाद में रविवार को अपने अहम भाषण में उन्होंने अरब और इस्लामी नेताओं से इस्लामी चरमपंथियों को हराने में अपना योगदान देने को कहा.
ट्रंप ने अपने रियाद दौरे का इस्तेमाल अरब और मुसलमान देशों के साथ अमेरिका के संबंधों को मजबूत करने के लिए किया. एक तरफ उन्होंने सऊदी अरब को 110 अरब डॉलर के हथियारों की बिक्री के समझौते का एलान किया, वहीं ईरान को सख्त संदेश भी दिया.
अपने भाषण में ट्रंप ने इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ मुस्लिम देशों से सहयोग पर जोर दिया. इससे साफ दिखता है कि अपनी चुनावी मुहिम के दौरान उन्होंने मुसलमानों को लेकर जो आक्रामक रुख दिखाया, उसमें कमी आई है. अरब और इस्लामिक देशों के दर्जनों नेताओं को संबोधित करते हुए ट्रंप ने कहा, "बेहतर भविष्य तभी संभव है, जब आपके देश आंतकवादियों को निकाल बाहर करें, चरमपंथियों को बाहर करें. उन्हें बाहर कर दीजिए."
वहीं, ईरानी विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने ट्रंप के भाषण पर तंज किया है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि ट्रंप ने सऊदी अरब में "लोकतंत्र और उदारवाद के गढ़ से" ईरान पर हमला किया है और पता चलता है कि उन्होंने अपने मेजबानों से बिजनेस डील्स के रूप में अरबों डॉलर "दुह" लिए हैं.
ट्रंप ने कहा कि इस्राएल और फलीस्तीनियों के बीच शांति कायम करने के लिए जो भी जरूरी होगा, वह किया जाएगा, लेकिन उन्होंने इस बारे में कोई संकेत नहीं दिए कि लंबे समय से अटकी पड़ी इस वार्ता को बहाल कैसे किया जाएगा. इसी महीने की शुरुआत में भी ट्रंप वॉशिंगटन में राष्ट्रपति अब्बास से मिल चुके हैं.
इस बीच, ट्रंप ने अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से येरूशलम ले जाने की योजना पर फिलहाल रोक लगा दी है. इस्राएल की लंबे समय से मांग रही है कि अमेरिकी दूतावस येरूशलम में हो.
अपने नौ दिन के इस विदेश दौरे में ट्रंप वेटिकन सिटी, यूरोपीय संघ के मुख्यालय ब्रसेल्स और इटली के सिलसी भी जाएंगे. सिसली में वह जी7 देशों की बैठक में हिस्सा लेंगे.
एके/ओएसजे (रॉयटर्स, एपी)