सात साल से जारी यमन की खूनी जंग खत्म होने वाली है?
सात साल से जंग में फंसे यमन में राहत के संकेत मिल रहे हैं. सऊदी अरब समर्थित यमनी सरकार और ईरान समर्थित हूथी बागी दो महीनों से जारी संघर्षविराम को बढ़ाने पर राजी हो गए हैं. यह जंग अब तक 3.8 लाख लोगों की जान ले चुकी है.
जंग की शुरुआत
आम तौर पर उत्तरी यमन की पहाड़ियों में रहने वाले हूथी बागियों ने सितंबर 2014 में राजधानी सना की तरफ कूच किया. उन्होंने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह साहेल के वफादार सैन्य लड़ाकों के साथ गठबंधन किया. सालेह को 2011 में सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद सत्ता गंवानी पड़ी थी.
सऊदी गठबंधन जंग में कूदा
फरवरी 2015 में राष्ट्रपति अब्द रब्बू मंसूर हादी को राजधानी छोड़कर देश के दूसरे सबसे बड़े शहर अदन जाना पड़ा जो यमन के दक्षिणी तट पर स्थित है. मार्च 2015 में ईरान के कट्टर प्रतिद्वंद्वी सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात भी इस संकट में कूद गए और बागियों के ठिकानों पर हवाई हमले शुरू कर दिए.
राष्ट्रपति सऊदी अरब भागे
अमेरिका ने कहा कि वह सऊदी गठबंधन को खुफिया और साजो-सामान के स्तर पर मदद कर रहा है. लेकिन हूथी बागियों के कदम जब अदन की तरफ बढ़ने लगे तो हादी को भागकर सऊदी अरब जाना पड़ा. हालांकि सऊदी गठबंधन के हस्तक्षेप ने अदन पर नियंत्रण बनाए रखने में सरकार समर्थक बलों की मदद की.
मानवीय मदद
जून 2018 में सरकारी बलों ने होदाईदा शहर को फिर से हासिल कर दिया. यह मानवीय मदद पहुंचाने के लिए अहम प्रवेश द्वार बना. उसी साल दिसंबर के महीने में स्वीडन में हुई वार्ता के बाद संयुक्त राष्ट्र ने होदाईदा में संघर्षविराम की घोषणा की.
दो खेमे
हूथी विरोधी खेमा दो धड़ों में बंटा है. एक हिस्सा है दक्षिण में रहने वाला अलगाववादी खेमा और दूसरा उत्तर में रहने वाला धड़ा हादी सरकार समर्थक है. सऊदी अरब और यूएई के हस्तेक्षप से पहले अलगाववादियों ने जनवरी 2018 में अदन के प्रेसिडेंशियल पैलेस पर कब्जा किया.
आपस में भी जंग
अगस्त 2019 में अमीरात समर्थित अलगाववादियों की हादी सरकार समर्थक सैनिकों से झड़प हुई. यानी हूथियों के विरोधी भी आपस में लड़ने लगे. इसके बाद सऊदी अरब ने सत्ता साझेदारी समझौते के लिए दोनों के बीच मध्यस्थता की और फिर नई सरकार बनी.
सऊदी अरब पर हमले
दूसरी तरफ हूथी बागियों ने सऊदी अरब के प्रतिष्ठानों पर ड्रोन और मिसाइलों से हमले शुरू कर दिए. 14 सितंबर 2019 को अबकियाक और खुरैस में तेल प्लांटों को निशाना बनाया गया, जिससे सऊदी अरब का तेल उत्पादन घटकर आधा हो गया था.
ईरान का इनकार
सऊदी अरब और अमेरिका ने इन हमलों के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन ईरान ने इससे इनकार किया. फरवरी 2021 अमेरिका ने सऊदी गठबंधन के सैन्य अभियानों को अपनी मदद बंद कर दी और हूथी बागियों को आतंकवादियों वाली ब्लैकलिस्ट से भी हटा दिया.
तेल के लिए होड़
इसके कुछ समय बाद ही बागियों ने यमन के तेल संसाधनों से मालामाल मारिब प्रांत पर नियंत्रण के लिए अभियान शुरू किया. यह प्रांत उत्तर में सरकार के नियंत्रण वाला आखिरी इलाका था. तेल भंडारों पर नियंत्रण आर्थिक लिहाज से फायदेमंद होता है.
यूएई पर हमले
जनवरी 2022 में हूथी विद्रोहियों ने यूएई को अपने निशाने पर लिया और सबसे पहले लाल सागर में अमीराती झंडे वाले एक जहाज को बंधक बना लिया. इसके बाद अबु धाबी में तेल के एक प्लांट पर मिसाइल हमले किए, जिसमें तीन लोग मारे गए.
अमेरिकी मदद
फरवरी में अमेरिका ने घोषणा की कि वह अपने युद्धपोत यूएसएस कोल और लड़ाकू विमानों को अबु धाबी भेज रहा है ताकि वह अपनी रक्षा को मजबूत कर सके. मार्च में विद्रोहियों ने सऊदी तेल प्लांटों पर कई ड्रोन हमले किए. ऐसे ही एक हमले में जेद्दाह में फॉर्मूला वन के सर्किट में बड़ी आग लग गई.
संघर्षविराम का ऐलान
26 मार्च को विद्रोहियों ने एकतरफा तौर पर तीन दिन के संघर्षविराम का ऐलान किया. बाद में सऊदी नेतृत्व वाले गठबंधन ने भी बाद में ऐसी ही घोषणा की. संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से हुआ यह संघर्षविराम 2 अप्रैल को यानी रमजान महीने के पहले दिन से शुरू हुआ.
उड़ानें शुरू
सऊदी गठबंधन होदाईदा में ईंधन की आपूर्ति और विद्रोहियों के नियंत्रण वाली राजधानी सना से व्यावसायिक उड़ानें शुरू करने के लिए सहमत हुआ. इससे अरब दुनिया के इस सबसे गरीब देश में शांति की कोशिशों को और बल मिला.
सत्ता का हस्तांतरण
7 अप्रैल को राष्ट्रपति हादी ने घोषणा की कि वह नई नेतृत्व परिषद को अपनी शक्तियां सौंप रहे हैं. इस परिषद का नेतृत्व पूर्व गृह मंत्री राशद अल-अलीमी कर रहे हैं, जो परिषद हूथी बागियों से बात करेगी ताकि पूरे यमन में युद्ध विराम लागू हो और संकट का राजनीतिक समाधान तलाशा जा सके.
संघर्षविराम बढ़ाने पर सहमति
2 जून को सरकार और हूथी बागी संघर्षविराम को आगे बढ़ाने पर रजामंद हो गए. इस बारे में दो पक्षों की 11 घंटे तक बातचीत हुई, लेकिन आखिरकार दोनों पक्ष संघर्षविराम को और दो महीने बढ़ाने के लिए तैयार हो गए.