दिल्ली में तीन छात्रों की मौत का जिम्मेदार कौन
२८ जुलाई २०२४दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर में चल रहे राव आईएएस स्टडी सर्कल के कोचिंग सेंटर में शनिवार शाम बरसात का पानी घुस गया. पानी बेसमेंट में बनी लाइब्रेरी में घुसा जिसका बहाव इतना तेज था कि तीन छात्र बाहर नहीं निकल सके. भारतीय मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक, जल भराव की सूचना मिलते ही दमकल विभाग ने पानी पंप करने वाली पांच गाड़ियां भेजीं. इसके साथ नेशनल डिजास्टर रिस्पॉन्स फोर्स के गोताखोर भी मौके पर भेजे गए.
भारतीय अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी रिपोर्ट में एक फैकल्टी मेम्बर का हवाला देते हुए लिखा कि, पानी भरने पर छात्रों को निकालने की कोशिश की गई. इस दौरान 27 छात्र निकलने में सफल रहे, जबकि तीन तेज बहाव के कारण बेसमेंट में फंस रह गए. इसी दौरान 112 पर इमरजेंसी कॉल भी की गई, लेकिन ट्रैफिक जाम की वजह से राहतकर्मियों में मौके तक पहुंचने में देर हुई. करीब सात घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद दो छात्राओं समेत तीन स्टूडेंट की मौत की खबर आई.
कोचिंग सेंटर पर कानूनी कार्रवाई
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक दिल्ली पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत कोचिंग इंस्टीट्यूट और इमारत के मैनेजमेंट के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. कोचिंग सेंटर के कुछ अधिकारियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.
भारतीय मौसम विभाग के स्थानीय स्टेशन के मुताबिक ओल्ड राजेंद्र नगर के करीब, शनिवार शाम तीन घंटे के भीतर इलाके में 31.5 लीटर प्रतिवर्ग मीटर बरसात हुई. इससे बाढ़ जैसे हालात बने और कोठरीनुमा कमरे में चल रही लाइब्रेरी में पानी घुस गया. यह जानकारी द इंडियन एक्सप्रेस ने दी है.
कुछ मीडिया रिपोर्टों में यह भी कहा जा रहा है कि ड्रेनेज फटने से पानी लाइब्रेरी में घुसा. दिल्ली की राजस्व मंत्री आतिशी ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. सोशल नेटवर्किंग साइट एक्स पर आतिशी ने लिखा, "यह घटना कैसे हुई, इसकी पड़ताल करने के लिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए है. इस घटना के लिए जो कोई भी जिम्मेदार होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा."
इस बीच देश के कई हिस्सों से दिल्ली आकर सरकारी नौकरियों की तैयारी कर रहे छात्रों ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है. इसी इलाके में 22 जुलाई को भी यूपीएससी की तैयारी कर रहे एक छात्र की करेंट लगने से मौत हो गई.
नई दिल्ली संसदीय सीट की सांसद और बीजेपी नेता बांसुरी स्वराज ने आम आदमी पार्टी के स्थानीय विधायक पर आरोप लगाया कि उन्होंने नाला साफ करने की लोगों की मांग को दरकिनार किया, जिसकी वजह से यह हादसा हुए.
शहरी बाढ़ से होने वाले नुकसान का कौन जिम्मेदार
बीते दो दशकों से दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई समेत भारत के तमाम शहर, शहरी बाढ़ से नए किस्म की चुनौतियां झेल रहे हैं. लोगों के साथ साथ म्युनिसिपल अधिकारियों, प्लानिंग के विभागों, अधिकारियों की फौज और राजनेताओं को भी मालूम है कि जून से अगस्त तक देश का बड़ा हिस्सा मानसून का सामना करता है. लेकिन इस स्थापित तथ्य के बावजूद भारत का प्रशासनिक ढांचा और उत्तरदायी एजेंसियां, जलभराव को एक सीजनल समस्या के तौर पर देखते हैं.
और इसके अनदेखी के चलते लोगों की जान माल का बड़ा नुकसान हो रहा है. तेज परिवहन के लिए बनाई गई सड़कें झीलों में बदल रही हैं. सरकारी और निजी संपत्ति को भारी नुकसान पहुंच रहा है. करोड़ों अरबों की लागत से बनाया गया आधारभूत ढांचा खराब हो रहा है. साथ ही तेजी से फैलने वाली बीमारियों का खतरा भी पैदा हो रहा है. सोशल मीडिया के दौर में इन पर मीम और रीलें जरूर बन जातीं हैं, लेकिन समस्याएं कम ही हल हो पाती हैं.
अहमदाबाद, बेंगलुरु, चेन्नई, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, जमशेदपुर, कोलकाता, मुंबई, श्रीनगर और सूरत में आई शहरी बाढ़ का अध्ययन कर चुके कुछ विशेषज्ञ इसके कारण बताते हैं. अंधाधुंध निर्माण के दौर में, हर चीज को कंक्रीट और कोलतार से ढंकने की सोच इस शहरी बाढ़ का एक प्रमुख कारण है.
बाढ़ से होने वाले नुकसान को कैसे किया जा सकता है कम
भारत के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ अर्बन अफेयर्स ने सितंबर 2016 में अपने सुझावों में कहा था कि शहरी बाढ़ से बचने के लिए समुचित ड्रेनेज सिस्टम की प्लानिंग, उसका निर्माण और उसकी देखरेख जरूरी है. फुटपाथों को ऐसे मैटीरियल से बनाया जाए जो पानी को छानकर जमीन के भीतर डालें. ड्रेनेज बेसिन के शहर के मास्टर प्लान का हिस्सा बनाया जाए. इसके साथ इंस्टीट्यूट ने इस बात पर भी जोर दिया कि झीलों, नदियों, जलधाराओं की नियमित सफाई की जाए और उन्हें अतिक्रमण से बचाया जाए.
रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी