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दीवाली के बाद दिल्ली प्रदूषित शहरों की लिस्ट में टॉप पर

१३ नवम्बर २०२३

दीवाली पर चले पटाखों के बाद दिल्ली समेत भारत के तीन शहर दुनिया के दस सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल हैं. दुनिया भर में हवा की गुणवत्ता पर नजर रखने वाले स्विस समूह आईक्यूएयर की इस रैंकिंग में दिल्ली पहले नंबर पर है.

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दिल्ली
दिल्लीतस्वीर: Rouf Fida/DW

सोमवार को आईक्यूएयर ने बताया कि दिल्ली एयर क्लालिटी इंडेक्स पर 407 के आंकड़े के साथ दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर रहा. टॉप 10 में दिल्ली के अलावा मुंबई (157) छठे और कोलकाता (154) सातवें स्थान पर रहे.

400 से 500 के बीच के एक्यूआई स्तर का लोगों के स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर होता है, खासकर यह उन लोगों के लिए खतरनाक है जो पहले से ही बीमार हैं. वहीं 150 से 200 का स्तर होने पर अस्थमा, फेंफड़ों के कैंसर और दिल की बीमारियों के मरीजों को असहजता और बेचैनी हो सकती है. 0 से 50 के स्तर को अच्छा माना जाता है.

रविवार की रात से ही दिल्ली पर स्मॉग की चादर बिछने लगी. मध्य रात्रि के कुछ देर बाद तो एक्यूआई का स्तर 680 के खतरनाक स्तर तक पहुंच गया था. हर साल अधिकारी दिल्ली में दीवाली के मौके पर पटाखे चलाने पर बैन लगाते हैं, लेकिन इस पर पूरी तरह अमल नहीं हो पाता. इस बार भी सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी में पटाखे चलाने पर बैन लगाया था. लेकिन दिल्ली में हवा की गुणवत्ता बता रही है कि इस पर अमल नहीं हुआ.

पटाखों पर राजनीति

राज्य सभा सांसद और तृणमूल कांग्रेस के नेता साकेत गोखले ने स्थानीय पुलिस से पटाखे चलाने के मामलो पर जानकारी मांगी है और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कदम उठाने को कहा है. उन्होंने एक्स पर लिखी अपनी एक पोस्ट में यह बात कही.

हालांकि बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने भी एक्स पर लिखी अपनी पोस्ट में दीवाली पर पटाखे चलाए जाने पर गर्व होने की बात कही है. उन्होंने बैन को तानाशाही कदम बताया.

उत्तर भारत में सर्दियां आने से पहले हर साल हवा की गुणवत्ता खराब हो जाती है, जब ठंडी हवा वाहनों, उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषक तत्वों को वातावरण में रोकने लगती है. निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल और पड़ोसी राज्यों में जलने वाली पराली से भी दिल्ली की हवा दूषित होती है. स्थिति खराब होने पर अकसर स्कूलों को बंद कर दिया जाता है, ऑड-इवेन गाड़ियां चलाने की स्कीम भी आजमायी जाती है और जगह जगह एंटी स्मॉग गन लगाकर हालात को काबू किया जाता है.

स्थाई समाधान की जरूरत

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर में विश्लेषक सुनील दहिया कहते हैं, "प्रतिक्रिया के तौर पर उठाए जा रहे कदम समाधान नहीं हैं. व्यवस्थित और व्यापक समाधान है उत्सर्जन के स्रोतों में कमी लाना." वहीं दिल्ली सरकार शहर में भारी प्रदूषण के लिए बाहरी कारणों को जिम्मेदार मानती है. दिल्ली सरकार के मंत्री गोपाल राय कहते हैं, "हमारे आसपास होने वाली गतिविधियों को हम नियंत्रित नहीं कर सकते." लेकिन जानकार कहते हैं कि दिल्ली में अक्टूबर-नवंबर में होने वाले प्रदूषण के लिए हरियाणा और पंजाब में जलने वाली पराली का योगदान 30 से 40 फीसदी है. 

एके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)