इन देशों में है इच्छामृत्यु की अनुमति
2010 में आई ऋतिक रोशन और ऐश्वर्या राय की फिल्म गुजारिश ने इच्छामृत्यु के विषय को छुआ था. भारत में यह गैरकानूनी है लेकिन दुनिया में ऐसे कई देश हैं जो इच्छामृत्यु की अनुमति देते हैं.
जर्मनी
2020 में जर्मनी ने इच्छामृत्यु को ले कर कानून बदला है. लंबे समय से बीमार चल रहे लोग अब डॉक्टर की मदद से अपने जीवन का अंत करने का फैसला खुद ले सकेंगे. हालांकि कानून के अनुसार अगर डॉक्टर इससे सहमत नहीं है तो उसे मरीज का साथ देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता.
स्विट्जरलैंड
यूरोप में अधिकतर लोग इच्छामृत्यु के लिए स्विट्जरलैंड का रुख करते हैं. यहां "असिस्टेड सुसाइड" की अनुमति है लेकिन यूथेनेशिया की नहीं. फर्क यह है कि आप किसी की मदद से अपना जीवन खत्म कर सकते हैं लेकिन खुद अपनी जान नहीं ले सकते हैं.
नीदरलैंड्स
यहां असिस्टेड सुसाइड और यूथेनेशिया दोनों की ही अनुमति है. दोनों के लिए पहले डॉक्टर से सर्टिफिकेट लेना होता है. 12 साल से ज्यादा उम्र वाले इसके लिए अर्जी दे सकते हैं. 16 से कम उम्र वालों के लिए माता पिता या अभिभावकों की रजामंदी जरूरी है.
बेल्जियम
यहां उम्र को ले कर कोई पाबंदी नहीं है. यहां भी दोनों तरह के तरीकों को इजाजत है. बच्चों के मामले में बहुत लंबी बीमारी के बाद ही ऐसा किया जा सकता है, जबकि वयस्क अगर बहुत बीमार ना हो तो भी अर्जी दे सकता है.
लक्जमबर्ग
यहां इच्छामृत्यु का विकल्प केवल वयस्कों के लिए ही उपलब्ध है. डॉक्टर को प्रमाणित करना होता है कि मरीज के हालात सुधरने की कोई उम्मीद नहीं है, वह लगातार अपनी बीमारी के कारण कष्ट झेल रहा है और ऐसे हाल में जीवन का अंत करना गलत नहीं है.
कनाडा
यहां भी कानून लक्जमबर्ग जैसा ही है. इच्छामृत्यु उसी हाल में हो सकती है अगर बीमारी इतनी बढ़ चुकी हो कि आगे चल कर व्यक्ति की उसके कारण जान जाना तय है. हालत में सुधार की जरा भी गुंजाइश हो तो अर्जी रद्द कर दी जाती है.
कोलंबिया
यहां 2015 में इच्छामृत्यु का पहला मामला आया. केवल डॉक्टर का प्रमाणपत्र जारी कर देना ही काफी नहीं है. एक स्वतंत्र समिति इस पत्र की जांच करती है और अनुमति देने का हक सिर्फ उसी के ही पास है.
ऑस्ट्रेलिया
1995 में यहां इच्छामृत्यु को मंजूरी मिली. लेकिन देश में इस पर इतना हंगामा हुआ कि 1997 में कानून को वापस ले लिया गया. इसके बाद 20 साल तक कानून पर बहस छिड़ी रही, 50 बार कानून बदलने की पेशकश की गई और आखिरकार 2017 में कानून एक बार फिर बदला.
अमेरिका
यहां अलग अलग राज्यों में अलग अलग कानून हैं. कुल 15 राज्य इच्छामृत्यु की अनुमति देते हैं. डॉक्टर प्रिसक्रिप्शन पर उस दवा का नाम लिख कर देता है जो जहर का काम करती है.
फ्रांस
बाकी देशों से यहां का कानून थोड़ा अलग है. कष्ट बर्दाश्त ना कर पाने की हालत में मरीज डॉक्टर से यह मांग कर सकता है कि उसे बेहोशी की ऐसी दवा जी जाए जिससे वह लंबे समय तक बेहोश रहे और फिर धीरे धीरे खुद ही उसकी जान चली जाए.
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