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समानतानाइजीरिया

नाइजीरिया में बच्चों पर झपटते भरोसेमंद तस्कर

१ अगस्त २०२२

गरीब परिवार के बच्चियों को बड़े शहर में नौकरी और पढ़ाई लिखाई का सपना दिखाया और फिर सेक्स स्लेव की तरह कैद कर लिया. तस्करों के शिकंजे में फंस चुकी दो नाइजीरियाई लड़कियों ने डीडब्ल्यू को अपनी कहानी बताई.

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Nigeria Frauen Demo gegen Kindesmissbrauch in Lagos
तस्वीर: Pius Utomi Ekpei/AFP

टिमिप्रिये से उसकी आंटी ने कहा कि वे उसे अपने साथ बड़े शहर लागोस ले जाना चाहती हैं. टिमिप्रिये से कहा गया कि लागोस में उसकी अच्छी देखभाल की जाएगी और उसे पढ़ने के लिए यूनिवर्सिटी भेजा जाएगा. पहली बार अपना अनुभव मीडिया के साथ साझा कर रही टिमप्रिये के मुताबिक, "बहुत सारे वादे किए गए. मैं बहुत ही खुश हो गई. मैं तुरंत उनके साथ जाना चाहती थी."

जिस वक्त ये सपने दिखाए जा रहे थे, उस वक्त टिमिप्रिये की उम्र 16 साल थी. वह नाइजीरिया की आर्थिक राजधानी लागोस शहर से 350 किलोमीटर दूर एक गांव में रहती थी. गांव में जिंदगी दुश्वार थी. टिमिप्रिये के माता पिता अपने 11 बच्चों का पेट भरने लायक भोजन भी बमुश्किल जुटा पाते थे. ऐसे अभाव भरे जीवन से परेशान टिमिप्रिये लागोस जाने को तैयार हो गई.

अंकल के घर में गुलाम की जिंदगी
अपनी कहानी बताते-बताते कुछ देर बाद वह चुप हो गई. लंबी चुप्पी तोड़ने के बाद जब टिमिप्रिये ने फिर से बोलना शुरू किया, तो उसके शब्द ठिठकने लगे. आवाज रुआंसी हो गई. लागोस पहुंचने के बाद कोई भी वादा पूरा नहीं किया गया. स्कूल जाने के बजाए अब वह हर दिन सुबह 3 बजे उठती है. उसका पूरा दिन अंकल और उनके तीन बच्चों की देखभाल व घर के काम-काज में बीतता है.

पिटाई के डर वह खाना भी ठीक से नहीं खा पाती, वह फटाफट भोजन निगलती है.  एक बार उसे कार से उतरने में जरा सी देर हुई, तो आंटी ने कार का दरवाजा उसके हाथ पर दे मारा. कुचली अंगुलियों में रहे दर्द के बावजूद टिमिप्रिये ने शाम को तीनों बच्चों के कपड़े हाथ से धोए.

यातना यहीं खत्म नहीं होती है, उससे बलात्कार भी किया गया. टिमिप्रिये के मुताबिक नहाते वक्त या देर रात में अंकल उसके कमरे में घुस जाते हैं, "अगर मैं सोने से पहले अपना दरवाजा अंदर से लॉक कर दूं, तो भी मुश्किल होती है क्योंकि ऐसा करने पर वह मेरे साथ बुरा बर्ताव करने लगते हैं और मुझसे कहते हैं कि सोते समय मुझे कभी दरवाजा लॉक नहीं करना चाहिए."

टिमिप्रिये चाह कर भी अपने माता-पिता को कुछ नहीं बता सकती. उसके पास न तो फोन है और ना ही फोन करने के लिए पैसे, "मैं रात नींद आने से पहले हमेशा रोती हूं और मेरा तकिया गीला हो जाता है."

गांवो में गरीबी और अशिक्षा
गांवो में गरीबी और अशिक्षा तस्वीर: Amaka Okoye/DW

बड़े पैमाने पर बच्चों की तस्करी
टिमिप्रिये को अपने अंकल के घर पर कैद हुए चार साल हो चुके हैं. वह नाइजीरिया में बड़े पैमाने पर सक्रिय बच्चा तस्करी की शिकार है. मानव तस्करी के लिए कुख्यात नाइजीरिया में सबसे ज्यादा मामले बच्चों की तस्करी के आते हैं. दूर-दराज के गांवों से बच्चों को जबरन या बहला-फुसलाकर शहरों तक लाया जाता है. फिर उन्हें घर के काम-काज, यौन शोषण, भीख मांगने, अंग निकालने या फिर जबरन सरोगेसी जैसे कामों में झोंक दिया जाता है.

नाइजीरिया में  12 से 17 साल की लड़कियों की सबसे ज्यादा तस्करी होती है. टिमिप्रिये समेत ज्यादातर लड़कियों को देश के भीतर ही एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जाता है. नाइजीरिया की "नेशनल एजेंसी ऑफ द प्रॉहबिटेश ऑफ ट्रैफिकिंग इन पर्ससंस" के डैनियल आटोकोलो कहते हैं कि तस्करी के पीछे सबसे अहम कारण शोषण है.

अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को लगता है कि बीते कुछ बरसों में नाइजारिया ने मानव तस्करी को रोकने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं, लेकिन समस्या अब भी विकराल है. 2018 के आंकड़ों के मुताबिक नाइजीरिया में आज भी 14 लाख लोग गुलामी का शिकार हैं. यह आंकड़े "ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स" प्रकाशित करने वाले अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन "वॉक फ्री फाउंडेशन" के हैं.

मानव तस्करी के खिलाफ लंबे समय से अभियान चलाते एक्टिविस्ट
मानव तस्करी के खिलाफ लंबे समय से अभियान चलाते एक्टिविस्टतस्वीर: PIUS UTOMI EKPEI/AFP/Getty Images


अपनों का विश्वसाघात
टिमिप्रिये की ही तरह ज्यादातर मामलों में रिश्तेदार, दोस्त या भरोसेमंद पड़ोसी ही बच्चों को अपना गुलाम बनाते हैं. कुछ मामलों में ये लोग किसी दूसरे को बच्चा सप्लाई भी करते हैं. विशेषज्ञ गरीबी को इसकी सबसे बड़ी वजह बताते हैं. बच्चों की तस्करी करने वाले बेहद गरीब परिवारों को निशाना बनाते हैं. अशिक्षा और मानसिक रूप से कमजोर तबके भी तस्करों के झांसे में आ जाते हैं.

बच्चा तस्करी के मामले में बहुत ही कम लोगों को सजा मिलती है. अमेरिकी सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2021 में नाइजीरिया में तस्करी के मामलों में सिर्फ 36 लोगों को सजा मिली. तस्करों के कानून से बचने का मतलब है, कैद से भागने वाले इंसान और उसके परिवार को जान का खतरा.
इवी के साथ कुछ ऐसा ही हुआ. 15 साल की उम्र में एक भरोसेमंद पारिवारिक मित्र ने उसे यूरोप में नौकरी और स्कूल में दाखिला दिलाने का वादा किया. इटली पहुंचते ही इवी को कैद कर दिया गया और फिर से उसे देह व्यापार में झोंक दिया गया. "इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन" का अनुमान है कि इटली लाई जाने वाली 80 फीसदी नाइजीरियाई लड़कियों को जबरन सेक्स वर्कर बनाया जाता है.

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एक दिन इवी से एक ग्राहक ने कहा कि वह बहुत छोटी है और उसे देह व्यापार नहीं करना चाहिए. इसके बाद इवी ने ग्राहक को पूरी आपबीती बताई. ग्राहक ने इवी का संपर्क एक कैथोलिक नन से करवाया. नन ने बड़ी मदद करके इवी की नाइजीरिया वापसी कराई. लेकिन घर लौटने पर भी इवी का डर खत्म नहीं हुआ. तस्कर उसे खोजने लगे. वे उसके माता-पिता तक भी पहुंचने लगे. तस्कर धमकी देते हुए कहते थे कि इवी उनकी कर्जदार है, उसे इटली तक पहुंचाने में उनके कई अमेरिकी डॉलर खर्च हुए हैं. तस्करों से बचने के लिए इवी को लगातार जगह बदलनी पड़ी. उसे अपने मां-बाप के घर जाने में भी सिहरन होने लगी.

कोविड ने भी नाइजीरिया में कई महिलाओं को देह व्यापार के लिए मजबूर किया
कोविड ने भी नाइजीरिया में कई महिलाओं को देह व्यापार के लिए मजबूर कियातस्वीर: DW

गुलामी में फंसी हजारों नाइजीरियाई महिलाएं और लड़कियां

मन के घावों के साथ सरकती जिंदगी
कुछ अच्छे लोगों ने इवी की मदद की. उन्होंने इवी के लिए शिक्षा और ऐसी जगह का इंतजाम किया, जहां वह स्थायी रूप से रह सकती है. लेकिन इटली का बुरा अनुभव लगातार उसका पीछा करता है. वह एक सदमे के साथ जी रही है. "लागोस यूनिवर्सिटी टीचिंग हॉस्पिटल" में मनोचिकित्सा विभाग के विशेषज्ञ बाबाटुंडे फाडिपे के मुताबिक, तस्करी के शिकार लोग कई तरह की मनोवैज्ञानिक समस्याओं से जूझते हैं. उन्हें कभी गुस्सा आने लगता है, तो कभी घबराहट और अवसाद जकड़ने लगता है.

वहीं, टिमिप्रिये अब भी अपने अंकल के घर में गुलामी की जिंदगी जी रही है. उसे भागने से डर लगता है. अंकल एक वकील है और प्रभावशाली इंसान भी. डीडब्ल्यू के साथ उसकी गुप्त मुलाकात एक पड़ोसी के घर में हुई. इस दौरान उसकी आंटी घर पर नहीं थी. टिमिप्रिये चाहती हैं कि बाकी बच्चे उनकी तरह गुलामी के इस दलदल से बच जाएं.

उसने नाइजीरिया के माता पिताओं को भी एक संदेश दिया, "देखभाल के वादों के झांसे में आकर अपने बच्चे को किसी के हवाले न करें."

रिपोर्ट: टोबोरे ओवौरी