जलवायु संकट को लेकर अंगेला मैर्केल के रुख के चलते उन्हें "जलवायु चांसलर" का रुतबा भले ही दिया गया हो लेकिन सच यह भी है कि मैर्केल ने अपने फैसलों में हमेशा इस बात का ध्यान रखा कि कार उद्योग उनसे नाराज ना हो. फुकुशिमा त्रासदी के बाद उन्होंने परमाणु ऊर्जा से भी दूर जाने का फैसला किया, जिसने जर्मनी को जलवायु संकट ने निबटने के लिए तय किए गए लक्ष्यों से और दूर धकेल दिया.