90 साल का हुआ जर्मन ऑटोबान
कई देशों में आज सुपर हाइवे या एक्सप्रेस वे बन रहे हैं. जर्मनी में इस काम की शुरुआत 90 साल पहले हुई. आज जर्मनी के ऑटोबान को नो स्पीड लिमिट के लिए जाना जाता है. बहुत से लोगों में यह भ्रम है कि ऑटोबान हिटलर ने शुरू किया.
पहला "इंटरसेक्शन फ्री मोटर रोड"
जर्मन शहर कोलोन और बॉन के बीच है A555, जर्मनी के मोटर वे की शुरूआत इसी से हुई. शुरुआत में इसे "इंटरसेक्शन फ्री मोटर रोड" कहा गया. ऑटोबान नाम बाद में मिला. ऑटोबान का मतलब है, बिना ट्रैफिक लाइट्स, टोल और क्रॉसिंग वाले एक्सप्रेस वे. ऑटोबान में दोनों दिशाओं में कम से कम में दो-दो लेन होती हैं.
नाजी खोज नहीं
यह तस्वीर 90 साल पहले की है. ऑटोबान के पहले हिस्से को बनाने में तीन साल लगे. उस समय कोनराड आडेनावर कोलोन के मेयर थे. बाद में वह पश्चिमी जर्मनी के चांसलर भी बने. 6 अगस्त 1932 की इस तस्वीर में उनकी मौजूदगी साफ बताती है कि ऑटोबान कोई नाजी खोज नहीं थी. नाजी तो इसके बाद सत्ता में आए.
हिटलर के शासन में "राइषऑटोबान"
जनवरी 1933 में हिटलर जर्मनी की सत्ता में आया. हिटलर की तानाशाही के दौरान इन चौड़ी सड़कों का निर्माण तेज हुआ. तब इन्हें "थर्ड राइष" ऑटोबान कहा जाने लगा. 23 सितंबर 1933 की इस तस्वीर में हिटलर को फ्रैंकफर्ट माइन से मानहाइम को जोड़ने वाले ऑटोबान के लिए जमीन खोदते हुए देखा जा सकता है.
तेज गति से निर्माण
इस ऑटोबान के एक सेक्शन को दो साल बाद खोला गया. उद्घाटन कार्यक्रम में नाजी शासन का प्रोपेगंडा भी छुपा था. 1930 की शुरुआत भी जर्मनी मंदी से जूझ रहा था. नाजियों का तर्क था कि ऑटोबान आर्थिक विकास को तेज करेगा. लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि ऑटोबान के जरिए हिटलर तेजी से दूसरे देशों पर हमला करने की योजना बना रहा था.
तेज और अत्याधुनिक
दूसरे विश्वयुद्ध के बाद भी जर्मनी में ऑटोबान का विस्तार जारी रहा, खास तौर पर विभाजित जर्मनी के पश्चिमी हिस्से, वेस्ट जर्मनी में. ऑटोबान में सुरक्षा का ध्यान रखते हुए कई इंतजाम किए गए. 1969 की इस तस्वीर में पश्चिमी जर्मनी के परिवहन मंत्री गेयोर्ग लेबेर ऑटोबान में रेडियो इमरजेंसी कॉल सिस्टम का उद्घाटन करते दिख रहे हैं.
ऑटोबान पर पैदल
1973 में अंतरराष्ट्रीय तेल संकट की वजह से पूरी दुनिया में परिवहन थमने लगा. तब जर्मनी में भी रविवार के दिन ऑटोबान पर गाड़ी चलाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया. बैन के साथ ही ऑटोबान को लोगों के पैदल चलने के लिए खोल दिया गया.
जर्मन की खासियत
बहुत सारे लोग जर्मन ऑटोबान को एक खास वजह से जानते या पंसद करते हैं, और वो वजह है, नो स्पीड लिमिट. 9000 किलोमीटर के पूरे ऑटोबान नेटवर्क में कई हिस्से ऐसे हैं, जहां कोई स्पीड लिमिट नहीं है. ऐसा यूरोप में और कहीं नहीं है. जलवायु परिवर्तन और सुरक्षा के लिहाज से बीते कुछ वर्षों से पूरे ऑटोबान पर स्पीड लिमिट लागू करने की मांग होने लगी है.
अंतहीन काम
ऑटोबान पर काम कभी खत्म नहीं होता, हमेशा कहीं ना कहीं निर्माण या मरम्मत का काम चलता रहता है. पहले ऑटोबान A555 की यह पुरानी ग्रिल 90 साल बाद भी दुरुस्त लगती है. (रिपोर्ट: फ्रीडेल टॉबे/ओएसजे)